Home Life Style 70 साल का बुजुर्ग और छोटे से गॉल ब्लैडर में 8 हजार से ज्यादा पथरी,डॉक्टरों ने किया कमाल, एक घंटे में निकाल दिए सारे स्टोन

70 साल का बुजुर्ग और छोटे से गॉल ब्लैडर में 8 हजार से ज्यादा पथरी,डॉक्टरों ने किया कमाल, एक घंटे में निकाल दिए सारे स्टोन

0
70 साल का बुजुर्ग और छोटे से गॉल ब्लैडर में 8 हजार से ज्यादा पथरी,डॉक्टरों ने किया कमाल, एक घंटे में निकाल दिए सारे स्टोन

[ad_1]

Doctor Remove 8125 Stone: एक 70 साल के बुजुर्ग के गॉलब्लैडर या पित्ताशय में 8000 से ज्यादा पथरियां थीं. ऐसा लग रहा था कि इन पथरियों को निकालना मुश्किल है लेकिन फोर्टिस अस्पताल, गुड़गांव के डॉक्टरों ने कमाल करते हुए सिर्फ एक घंटे के अंदर इस बुजुर्ग के गॉलब्लैडर से सभी 8125 स्टोन निकाल कर बड़ी सफलता हासिल की है. यह जटिल ऑपरेशन बिना किसी बड़ी परेशानी के पूरा किया गया और मरीज अब स्थिर अवस्था में है. गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक बयान में कहा कि अस्पताल में की गई सर्जरी लगभग 60 मिनट तक चली जबकि पथरी की गिनती में टीम को लगभग छह घंटे लगे. बयान के मुताबिक मरीज कई वर्षों से पेट में दर्द, बीच-बीच में बुखार, भूख न लगना, छाती और पीठ में भारीपन की समस्या से पीड़ित था. पित्ताशय की पथरी अक्सर कोलेस्ट्रॉल असंतुलन के कारण बनती है और समय के साथ बढ़ सकती है. बयान के मुताबिक मरीज की 12 मई को लेप्रोस्कोपिक पित्ताशय की थैली हटाने की सर्जरी की गई थी. अस्पताल के अनुसार, यह संभवतः दिल्ली-एनसीआर में पित्ताशय से निकाली गई पथरी की सबसे बड़ी संख्या है. अस्पताल के मुताबिक दो दिन बाद मरीज की हालत में सुधार होने के बाद छुट्टी दे दी गई.

इतनी पथरी बनी कैसे
फोर्टिस अस्पताल के डॉ. अमित जावेद और डॉ. नरोला येंगर ने बताया कि मरीज में कई दिनों से पथरी के लक्षण आ रहे थे लेकिन वह इसे नजरअंदाज करता रहा. जब दर्द हद से ज्यादा बढ़ गया तब आखिर में वह डॉक्टर के पास आया. उन्होंने कहा कि मरीज को भर्ती करवाने के बाद पेट का तत्काल अल्ट्रासाउंड किया गया जिसमें उनके पित्ताशय में काफी हलचल देखा गया. ऐसा पाया गया कि पथरी अब आउट ऑफ कंट्रोल होने वाला है. डॉक्टरों ने आनन-फानन में मिनीमली इन्वेसिव लैपरोस्कोपिक सर्जरी कर गॉल ब्लैडर में जमा हजारों गॉलस्टोन्स को निकाला.अगर इस सर्जरी में देरी की जाती तो गॉल ब्लैडर में पस बनने लगता और गॉल ब्लैडर की थैली सख्त होने लगती जिससे इसमें फाइब्रॉसिस भी हो सकता था. यह बेहद खतरनाक स्थिति है.

गॉल ब्लैडर में पथरी क्यों होती है
गॉलब्लैडर यानी पित्त की थैली में पथरी क्यों बनती है इसका सही-सही कारण अब तक साफ नहीं है.लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि पित्ताशय में पथरी बनने के पीछे कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन की मात्रा है. आमतौर पर पित्त में इतने रसायन होते हैं कि वो लिवर से निकले कोलेस्ट्रॉल को पचा सके लेकिन अगर लिवर बहुत ज्यादा कोलेस्ट्रॉल बनाता है और पित्त उसे घोल नहीं पाता तो वह कोलेस्ट्रॉल धीरे-धीरे क्रिस्टल बनाकर पथरी का रूप ले सकता है.दूसरी तरफ पित्त में बिलीरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाए तो भी पथरी हो सकती है. बिलीरुबिन एक केमिकल है जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर बनता है. कुछ स्थितियों में लिवर अधिक बिलीरुबिन बनाने लगता है जैसे कि लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियों में यह अतिरिक्त बिलीरुबिन भी पथरी बनने में मदद करता है. इसके अलावा अगर पित्ताशय पूरी तरह से या समय पर खाली नहीं होता, तो उसमें जमा पित्त गाढ़ा हो सकता है. इस गाढ़े पित्त से पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है.

किन लोगों में गॉलब्लैडर में पथरी बनने का खतरा
पित्त में पथरी बनने का खतरा पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है. अगर उम्र का 40 साल या उससे अधिक है, अधिक वजन या मोटापा है, ज्यादा समय बैठे-बैठे काम कर रहे हैं, बहुत ज्यादा फैट वाला भोजन करते हैं, कम फाइबर वाला आहार लेते हैं, परिवार में किसी को पहले से पथरी की समस्या है, डायबिटीज है, सिकल सेल एनीमिया या ल्यूकेमिया है, बहुत जल्दी वजन कम हो जाता है, एस्ट्रोजेन की गोलियां ले रहे हैं, कोई लिवर की बीमारी है तो ऐसे लोगों में गॉल ब्लैडर में पथरी का खतरा ज्यादा है.

इसे भी पढ़ें-गर्मी में शरीर को हीटर बना देंगी ये 5 चीजें, वॉडी के पानी को चूसकर दिमाग को करेगी खराब, भूलकर भी न खाएं

इसे भी पढ़ें-कोरोना मरीज आखिर क्यों मर रहे हैं, क्या वैक्सीन लेना बेकार हो गया, कितने दिनों तक रहा यह कारगर, डॉक्टर से जान लें

[ad_2]

Source link