Home Life Style 90 सालों से स्वाद की दुनिया की शहंशाह है इस दुकान की मिठाई, स्वाद ऐसा कि कुछ घंटो में 40 किलो चट कर जाते है लोग

90 सालों से स्वाद की दुनिया की शहंशाह है इस दुकान की मिठाई, स्वाद ऐसा कि कुछ घंटो में 40 किलो चट कर जाते है लोग

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90 सालों से स्वाद की दुनिया की शहंशाह है इस दुकान की मिठाई,  स्वाद ऐसा कि कुछ घंटो में 40 किलो चट कर जाते है लोग

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निखिल स्वामी/बीकानेर. बीकानेर अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां एक ऐसी मिठाई ऐसी भी मिलती है जहां देशी और विदेशी लोग इस दुकान पर आकर स्वाद चखते है. हम बात कर रहे है बीकानेर की स्पेशल रबड़ी की. इस रबड़ी की खासियत है कि यह रबड़ी ज्यादा घंटे तक नहीं चलती है. करीब तीन से चार घंटे में 40 किलो से अधिक रबड़ी खत्म हो जाती है.

इस रबड़ी को दूसरे शहर में जो कम दूरी वाले है वहां पर भी जाती है. इस रबड़ी को विदेशों में नहीं भेजा जाता है बल्कि विदेशी लोग खुद इस दुकान पर आकर रबड़ी का स्वाद चखते है. सर्दी में इस रबड़ी की डिमांड काफी रहती है. सर्दी में रबड़ी का डबल उपयोग होता है. एक तो लोग सीधा रबड़ी को खाते है तो दूसरा इस रबड़ी को लोग गर्मागर्म घेवर पर लगाकर भी खाते है. इस रबड़ी की एक ओर खासियत है कि एक बार व्यक्ति 100 से 150 ग्राम ही रबड़ी खा सकते है.

90 सालों से दे रहे रबड़ी का स्वाद
दुकानदार बाबू राज छंगाणी ने बताया कि बीकानेर के मोहता चौक के मनका महाराज की रबड़ी काफी प्रसिद्ध है. इनके दादाजी मनका महाराज ने यह काम शुरू किया था. इसके बाद परिवार के सभी सदस्य रबड़ी बनाने का काम में लगे हुए है. करीब 90 सालों से यहां रबड़ी बनाई जा रही है. आठ किलो दूध को लगातार दो घंटे तक गर्म किया जाता है. जिससे लच्छा बनता रहता है. अभी रबड़ी के भाव 360 रुपए किलो है. 40 से 45 किलो रोजाना रबड़ी बनती है. यहां की रबड़ी जयपुर तक भी जाती है. यह रबड़ी सिर्फ छह घंटे तक खराब नहीं होती है उसके बाद खराब होनी शुरू हो जाती है. सर्दियों में बीकानेर में देशी और विदेशी सैलानी खूब पसंद करते है.

ऐसे होती है तैयार
वे बताते है कि रबड़ी बनाने में दो घंटे से भी ज्यादा समय लगता है. पहले दूध को अच्छी तरह गर्म किया जाता है. उसके बाद मलाई को अलग किया जाता है. 8 किलो दूध में डेढ़ किलो रबड़ी निकलती है. दो घंटे बाद रबड़ी तैयार होती है. रबड़ी में चीनी, केसर, पिस्ता, बादाम और काजू भी डालते हैं.

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