Sunday, February 23, 2025
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कर्नाटक से फिर होगी कांग्रेस की वापसी? 1978 में इंदिरा गांधी और 1999 में सोनिया कर चुकी हैं कमाल


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कर्नाटक की जीत से कांग्रेस का खेमा काफी उत्साहित है। इन नतीजों पर रविवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने 1978 में इंदिरा गांधी को चिकमंगलूर से मिली जीत का जिक्र किया है। रमेश ने ट्वीट में लिखा है कि चिकमगलूर जिले में कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक असाधारण परिणाम है। इसके बाद रमेश ने लिखा है कि बहुत जल्द इतिहास खुद को दोहराएगा। आखिर क्या है साल 1978 की कांग्रेस की वह कहानी और क्या कर्नाटक एक फिर कांग्रेस के लिए तारणहार बनेगा? आइए जानते हैं सबकुछ…

क्या हुआ था 1978 में

साल 1978 का दौर था। कांग्रेस 1977 का आम चुनाव हार चुकी थी। इंदिरा गांधी 1975 में इमरजेंसी का खामियाजा भुगत रही थीं और रायबरेली से अपनी सीट हार चुकी थीं। इसके बाद इंदिरा ने दक्षिण की चिकमंगलूर से उपचुनाव में किस्मत आजमाने का फैसला किया। इस चुनाव में नारा आया था, ‘एक शेरनी सौ लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर’ और यहीं से कांग्रेस की कहानी बदल गई थी। 1978 के उपचुनावों इंदिरा ने चिकमंगलूर से जीत हासिल की और उन्होंने संसद में वापसी की। इसके बाद आया 1980 का लोकसभा चुनाव, जिसमें कांग्रेस और इंदिरा गांधी ने जोरदार जीत दर्ज करते हुए राष्ट्रीय सियासत पर जबर्दस्त वापसी की थी।

कई बार अहम रहा है कर्नाटक

ऐसा नहीं है कि केवल 1978 में ही कर्नाटक कांग्रेस के लिए खेवनहार बना था। इसके बाद भी कई मौके आए जब कर्नाटक ने कांग्रेस को नई उम्मीदें दी हैं। सोनिया गांधी ने 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी से अपनी किस्मत आजमाई थी। तब उन्होंने भाजपा नेता सुषमा स्वराज को यहां पर मात दी थी। हालांकि वह अमेठी से भी चुनाव जीतने में सफल रही थीं, लेकिन फिर भी बेल्लारी की जीत अहम थी। यहां पर जीत के बाद भी पार्टी का भरोसा बढ़ा और कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए ने दो बार सरकार बनाई थी। 

कांग्रेस के लिए काफी अहम

गौरतलब है कि 224 विधानसभा सीटों वाले कर्नाटक ने कुल 135 सीटों पर जीत हासिल की है। इस बड़ी जीत ने कांग्रेस को काफी ज्यादा भरोसा दिया है। बीते कुछ अरसे से कांग्रेस लगातार चुनाव हारती आ रही है। पिछले नौ साल में कांग्रेस का ग्राफ काफी ज्यादा गिरा है। वह दो बार लोकसभा चुनाव समेत कई राज्यों में चुनाव हार चुकी है। फिलहाल की बात करें तो कर्नाटक से पहले कांग्रेस राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ में सत्ता में है। इसके अलावा बिहार और झारखंड में उसने अन्य दलों से मिलकर सरकार बनाई है।



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