शक्ति सिंह/कोटा. कोटा शहर में देश भर के अलग-अलग राज्यों से अभिभावक अपने बच्चों को इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग के लिए भेजते हैं. लाखों की तादाद में बच्चे कोटा आते हैं और यहां तैयारी करते हैं. हर बच्चा इंजीनियर या डॉक्टर नहीं बन पाता. कई ऐसे बच्चे होते हैं जिनका सिलेक्शन होता है तो कई बच्चों का सिलेक्शन नहीं होता. ऐसे में लगातार 10 घंटे 12 घंटे पढ़ाई करते हुए बच्चे स्ट्रेस फील करने लगते हैं और पढ़ाई से ध्यान दूर होता जाता है.
स्ट्रेस में आए कई बच्चे गलत कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में क्या करना है, पढ़ाई करते समय किन बातों का ध्यान रखना है कि आपका माइंड डायवर्ट न हो. इसके लिए कुछ छोटी-छोटी रेमेडी है, जो एस्ट्रोलॉजर ने बताई है. ऐसा करने से धीरे-धीरे जीवन में परिवर्तन भी आ सकता है.
एस्ट्रोजर प्रतीक्षा ने बताया कि कुछ छोटे-छोटे ऐसे उपाय हैं, जो बच्चे भी कर सकते हैं और उनके अभिभावक भी. बच्चे की स्टडी रूम की जो टेबल होती है वह नॉर्थ-ईस्ट के डायरेक्शन में होनी चाहिए. बच्चे की एकाग्रता मजबूत करने के लिए उस टेबल पर कांच के गिलास में पानी भर कर रखना चाहिए. स्टडी टेबल के सामने किसी भी प्रकार की कोई फोटो या टीवी नहीं लगी होनी चाहिए.
प्रतीक्षा ने बताया कि बच्चे के रूम में पूरी तरह की साफ-सफाई होनी चाहिए. किसी भी प्रकार का सामान इधर-उधर फैला नहीं रहना चाहिए. बच्चे को अपना नर्वस सिस्टम सही करने के लिए सुबह खाली पेट तुलसी के 3 से 4 पत्ते खाने चाहिए. ऐसा करने से ब्रेन से रिलेटेड नर्वस सिस्टम मजबूत होगा, फोकस पढ़ाई पर बना रहेगा. इसी प्रकार सुबह-सुबह स्टूडेंट को नहा कर सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए जिससे सकारात्मक ऊर्जा शरीर में आती है, और पूरा दिन सकारात्मक गुजरेगा.
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FIRST PUBLISHED : May 20, 2023, 09:38 IST