साल 2022 आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए बहुत उत्साहित करने वाला नहीं रहा है। इस साल आईपीओ से महज 57,000 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके। नए वर्ष में इन गतिविधियों में और भी सुस्ती आने का अनुमान है।
सिर्फ एलआईसी से 35 फीसदी: इस साल आईपीओ के जरिये जुटाए गए कोष में से 20,557 करोड़ रुपये यानी 35 फीसदी हिस्सेदारी अकेले एलआईसी के आईपीओ की थी। अगर इस साल एलआईसी का आईपीओ नहीं आया होता तो आरंभिक शेयर बिक्री से होने वाला कुल संग्रह और भी कम होता।
वजह क्या है: बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका के कारण 2022 का साल निवेशकों के लिए परेशानी भरा रहा। ट्रू बीकन एंड जिरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने कहा, ”दुनियाभर में वृद्धि के मंद पड़ने के बीच 2023 मुश्किल साल रहने वाला है। भारत में भी इसके दुष्प्रभाव नजर आएंगे। मेरा अनुमान है कि 2023 में बाजार नरम रह सकता है और आईपीओ के जरिये पूंजी जुटाने की गतिविधियों में भी अगले वर्ष कमी आ सकती है या फिर यह 2022 के स्तर पर ही रह सकता है।”
क्या है 2023 के लिए अनुमान: जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेस में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि शेयर बाजारों में अस्थिरता रहने की आशंका के बीच 2023 में आईपीओ का कुल आकार कम रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि हाल में आए आईपीओ के कमजोर प्रदर्शन का भी निवेशकों पर असर पड़ने और उसकी वजह से निकट भविष्य में कमजोर प्रतिक्रिया रहने का अनुमान है।
इस साल का डेटा: आंकड़ों के मुताबिक इस साल 16 दिसंबर तक कुल 36 कंपनियां अपने आईपीओ लेकर आईं जिससे 56,940 करोड़ रुपये जुटाए गए। अगले हफ्ते दो और कंपनियों के आईपीओ आने वाले हैं जिसके बाद यह राशि और बढ़ जाएगी।
2021 का हाल: वर्ष 2021 में 63 कंपनियों ने आईपीओ से 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे जो बीते दो दशकों में आईपीओ का सबसे अच्छा साल रहा था। इसके पहले 2020 में 15 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 26,611 करोड़ रुपये जुटाये थे।