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Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान को महीनों से सिर्फ बुरी खबरें ही सुनने को मिल रही थीं। इसी वजह से बुधवार को जब भड़काऊ भाषण (हेट स्पीच) मामले में उनके बरी होने की खबर आई तो उनके परिवार के साथ-साथ समर्थकों और शुभचिंतकों में खुशी की लहर दौड़ गई। पिछले कुछ महीनों में आजम खान के परिवार के राजनीतिक अस्तित्व पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। रामपुर विधानसभा क्षेत्र से 10 बार विधायक चुने जा चुके आजम के साथ चार दशकों में पहली बार ऐसा हुआ है कि वह या उनके परिवार का कोई सदस्य सांसद या विधायक नहीं है।
आजम खान और उनके परिवार पर अभी तक 124 मुकदमे दर्ज हुए। इसमें भैंस चोरी, बकरी चोरी, मशीन चोरी से लेकर किताबों की चोरी तक के मुकदमे हैं। सूबे में बीजेपी की सरकार बनने के बाद आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला के खिलाफ रामपुर के लोगों ने कई मुकदमे दर्ज कराए। इसमें जमीन कब्जाने, शत्रु संपत्ति, सार्वजनिक भूमि, दो जन्म प्रमाण पत्र, दो पासपोर्ट सहित कई मुकदमे हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में बतौर वरिष्ठ मंत्री आजम के पास जहां कभी आठ-आठ विभाग हुआ करते थे। पत्नी राज्यसभा तो बेटे विधानसभा के सदस्य होते थे वहीं 2017 में योगी सरकार बनने के बाद ऐसे सियासी दुर्दिन शुरू हुए आज परिवार से एक भी जनप्रतिनिधि नहीं है।
आजम खान, 26 फरवरी 2020 को पत्नी और बेटे अब्दुल्ला के साथ कोर्ट में हाजिर हुए और वहीं से जेल चले गए थे। इन मामलों के चलते करीब 26 महीनों तक सीतापुर की जेल में बंद रहने के बाद मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल पाई थी। 27 अक्टूबर 2022 को हेट स्पीच में दोषी ठहराए जाने और तीन साल की सजा मिलने के बाद फरवरी 2023 में बेटे अब्दुल्ला आजम को भी दो साल कैद की सजा सुनाई गई जिसके चलते उनकी विधायकी भी रद्द हो गई थी। अब्दुल्ला की विधायकी छिनने के बाद चार दशक में पहली बार आजम परिवार का कोई सदस्य किसी सदन का हिस्सा नहीं रहा।
उपचुनाव में बीजेपी ने दी गढ़ में मात
आजम खान ने 2022 के विधानसभा चुनाव में रामपुर शहर विधानसभा से जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें मात दे दी। इसके बाद रामपुर शहर विधानसभा सीट भी सपा के हाथ से जाती रही। इस सीट से सपा ने आजम के पसंदीदा उम्मीदवार को चुनाव लड़ाया था। भडकाऊ भाषण मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा मिलने के बाद उनकी विधायकी चली गई। वोट देने का अधिकार भी छिन गया। इसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल कर ली। इसके कुछ ही समय बाद बेटे अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता भी कोर्ट से मिली सजा के आधार पर चली गई। मुरादाबाद के थाना छजलैट में 2008 में दर्ज हुए एक मामले में मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट से आजम और अब्दुल्ला को सजा सजाए जाने के बाद अब्दुल्ला की सदस्यता भी चली गई।
बीजेपी के सहयोगी अपना दल ने अब्दुल्ला की सीट पर भी उपचुनाव में कब्जा कर लिया। अब्दुल्ला की स्वार सीट पर हुए उपचुनाव में अपना दल के प्रत्याशी शफीक अंसारी ने सपा को हरा दिया। आजम खान ने इन उपचुनावों में खुद बड़ी मेहनत की। चुनावी जनसभाओं में वे अक्सर भावुक हो जाया करते थे। आजम, रामपुर की जनता से लगातार अपीलें करते रहे लेकिन महीनों से उन्हें कोई अच्छी खबर सुनने को नहीं मिली थी। लंबे समय बाद बुधवार को सजा के फैसले वाले केस से बरी होने के बाद उन्होंने जरूरी बड़ी राहत महसूस की है।
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