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अमेरिकी संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसपर इशारों में हमला कि। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को लोकतंत्र, कानून के शासन और मानवाधिकारों के लिए वास्तविक खतरा बताया। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “भारत और अमेरिका आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। हम इस बात पर सहमत हैं कि सीमा पार से आतंकवाद को खत्म करने के लिए ठोस कार्रवाई जरूरी है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 9/11 हमले और मुंबई में 26/11 हमले के एक दशक से अधिक समय के बाद भी अभी तक कट्टरवाद और आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर ख़तरा बना हुआ है। ये विचारधाराएं नई पहचान और नया रूप लेती रहती हैं लेकिन इनके इरादे वही हैं। आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और इससे निपटने में कोई किंतु-परंतु नहीं हो सकता। हमें आतंक को प्रायोजित और निर्यात करने वाली ऐसी सभी ताकतों पर काबू पाना होगा।
पीएम मोदी ने का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के साजिद मीर को “वैश्विक आतंकवादी” के रूप में घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों में चीन ने अड़ंगा लगाया है। पीएम मोदी ने कहा, ”मुंबई आतंकवादी हमलों के 15 साल बाद भी इस अत्याचार के पीछे के मास्टरमाइंडों को अभी तक न्याय के कटघरे में नहीं लाया जा सका है। इसलिए आतंकवाद से लड़ने के लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण अंतर दोहरे मानकों से बचने और अच्छे आतंकवादियों बनाम बुरे आतंकवादियों की परिभाषा को खत्म करना है।” पीएम मोदी ने इशारों ही इशारों में चीन को भी संदेश दिया।
पीएम मोदी ने कहा, “दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र यानी कि भारत और अमेरिका वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि में योगदान दे सकते हैं। मुझे यकीन है कि इन मूल्यों के आधार पर हम दुनिया की आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं।”
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