Monday, December 16, 2024
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‘किसी आरोपी को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती ED’ , मद्रास HC की जज


चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी पत्नी एस मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर मंगलवार को खंडित फैसला सुनाया. प्रवर्तन निदेशालय ने 14 जून को कैश-फॉर-जॉब घोटाले (नौकरी के बदले रिश्वत) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बालाजी को गिरफ्तार किया था. बालाजी पर आरोप है कि वह 2011 और 2016 के बीच परिवहन मंत्री रहने दौरान कथित रूप से घोटाला किया.

अदालती मामलों को रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मद्रास हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ में शामिल जस्टिस जे. निशा बानू ने माना कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका विचारणीय थी, क्योंकि प्रधान सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित हिरासत का आदेश उसके क्षेत्राधिकार के बाहर था और इसलिए अवैध था.

जस्टिस बानू ने यह भी कहा कि चूंकि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी के पास धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत स्टेशन हाउस अधिकारी की शक्तियां नहीं हैं, इसलिए वे मंत्री की हिरासत के लिए आवेदन नहीं कर सकते थे.

‘गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर कोर्ट में आरोपी को पेश करे ईडी’
जस्टिस बानू ने कहा, ‘मौजूदा नियम के अनुसार, पीएमएलए-2002 (धनशोधन निवारण अधिनियम) की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी का अधिकार रखने वाले अधिकारियों को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर आरोपी को सक्षम अदालत में पेश करना होगा और वहां से केवल न्यायिक रिमांड की मांग कर सकते हैं और अधिनियम के मौजूदा प्रावधान के तहत इस पर न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा आदेश दिया जा सकता है. इस हिसाब से ईडी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी के पहले 24 घंटों से अधिक हिरासत में नहीं रख सकता है.’

जस्टिस बानू की दलील से असहमत जस्टिस चक्रवर्ती
हालांकि इस बेंच में शामिल दूसरे जज जस्टिस डी. भरत चक्रवर्ती ने जस्टिस बानू के फैसले से असहमति जताते हुए अपने आदेश में चार सवाल उठाए और उसके जवाब भी दिए. जस्टिस चक्रवर्ती ने कहा कि यह  बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई मामला नहीं बनाया, जिससे यह कहा जा सके कि हिरासत में लिया जाना अवैध है. सेंथिल बालाजी अस्पताल से छुट्टी मिलने तक या आज से लेकर 10 दिन तक निजी अस्पताल (कावेरी अस्पताल) में इलाज करा सकते हैं. इसके बाद वह जेल या सरकारी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं.’

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ‘कैश के बदले नौकरी’ के कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में सेंथिल बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया था. ईडी ने मंत्री पर 2014-15 में राज्य के परिवहन उपक्रमों में कथित ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. बालाजी पहले अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (AIADMK) में थे और दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की सरकार में परिवहन मंत्री थे.

Tags: ED, Enforcement directorate



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