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नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा एमबीबीएस नेक्स्ट (NEXT) को लागू करने का विचार खतरनाक है। इस परीक्षा का प्रस्ताव ही भ्रमित करने वाला है। इसको लेकर एनएमसी ही भ्रमित है। एनएमसी ने सरकार को गलत तथ्यों की जानकारी देकर यह फैसला लागू कराया है। आईएमए इसका सैद्धांतिक विरोध करेगा। सरकार को इसको लागू करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। यह कहना है आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद अग्रवाल का। वह मंगलवार को जिले के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने नेक्स्ट पर खुलकर हमला बोला। बताया कि बीआरडी के एमबीबीएस ( MBBS ) छात्रों ने उनसे मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि छात्रों की चिंता वाजिब है। देश में नए मेडिकल कालेजों में शिक्षकों के ज्यादातर पद रिक्त हैं। कालेजों में पढ़ाई नहीं हो रही। जैसे-तैसे छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई को पूरा कर रहे हैं। अब छात्रों को नेक्स्ट देना पड़ेगा। इस परीक्षा के आयोजन की जिम्मेदारी एम्स दिल्ली को मिली है।
उन्होंने एनएमसी के इस फैसले को आड़े हाथों लिया। कहा कि यह बदलाव सकारात्मक नहीं है। बगैर किसी रिसर्च के यह फैसला लागू किया जा रहा है। देश में करीब 700 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें 50 फीसदी नए हैं। ज्यादातर नए कॉलेजों में शिक्षा का स्तर नीचे है। कॉलेज में शिक्षक और संसाधन नहीं हैं। ऐसे कॉलेजों के छात्र नेक्स्ट क्वालिफाई नहीं कर सकेंगे। इससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।
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क्या है NEXT एग्जाम
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) अधिनियम के मुताबिक, एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए एनईएक्सटी साझा योग्यता परीक्षा के तौर पर होगा। साथ में यह आधुनिक चिकित्सा पद्धति की प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस परीक्षा और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए योग्यता आधारित परीक्षा एवं विदेश से पढ़कर आए और भारत में प्रैक्टिस करने की मंशा रखने वालों के लिए स्क्रीनिंग परीक्षा का काम करेगा। एनएमसी ने घोषणा की है कि 2019 में दाखिला लेने वाले छात्रों की एनईएक्सटी परीक्षा अगले साल दो चरणों में आयोजित की जाएगी। पहला चरण मई जबकि दूसरा चरण नवंबर में आयोजित किया जाएगा।
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