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Maharashtra Politics Ajit Pawar: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बुधवार को एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री और NCP नेता अजित पवार से मुलाकात की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विभाजन के बाद दोनों नेताओं की यह पहली मुलाकात थी। उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) के कई विधायकों के साथ विधान भवन में जूनियर पवार से मुलाकात करने पहुंचे थे।
दोनों की मुलाकात के बाद अब अटकलों का बाजार गर्म है कि यह सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात थी या इसके पीछे कोई गुप्त रणनीति है। महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में पहले शरद पवार से तीन दिनों के अंदर तीन मुलाकात और अब उद्धव ठाकरे से अजित पवार की मुलाकात के कई मायने लगाए जा रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित पवार फिर से यू-टर्न ले सकते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अजित पवार और उनके समर्थकों पर दल-बदल कानून लागू होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में वह किसी भी खतरे से बचने के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं।
मुंबई की सियासी गलियों में इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि एकनाथ शिंदे समर्थक विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के बाद राज्य में फिर से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बन सकती है और अजित पवार उसमें मुख्यमंत्री बन सकते हैं। जूनियर पवार ऐसी सूरत में अपने समर्थक विधायकों संग एनसीपी में वापसी कर सकते हैं। माना जा रहा है कि इन्हीं कवायद के बीच अजित समर्थकों की शरद पवार से कई दौर की मीटिंग हो चुकी है।
पहले शिव सेना और बाद में एनसीपी में हुई टूट के बाद मीडिया द्वारा कराए गए सर्वे में आम जनमानस का झुकाव उद्धव ठाकरे और शरद पवार की तरफ दिख रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे में अजित पवार का अगला कदम यू-टर्न का हो सकता है। अगले साल महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने हैं। अजित के मुख्यमंत्री बनने की सूरत में दोनों पक्षों के लिए विन-विन कंडीशन हो सकती है।
बहरहाल, ठाकरे ने अजित पवार से मुलाकात के बाद मीडियाकर्मियों से कहा कि उन्हें विश्वास है कि अजित पवार मुख्यमंत्री शिंदे की सरकार में अपनी नई भूमिका में राज्य के लोगों के साथ न्याय करेंगे। ठाकरे ने कहा कि ”मैंने उनके साथ ढाई वर्षों तक काम किया है और मैं उनके स्वभाव से अवगत हूं, चाहे राजनीतिक खेल जो भी चल रहा हो लेकिन वह लोगों को आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे। आखिरकार, राज्य के खजाने की चाबी एक बार फिर उनके हाथ में है।”