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नई दिल्ली: इसरो (ISRO) का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) बुधवार यानी 23 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. चांद पर चंद्रयान-3 भेजने के लिए वैज्ञानिकों ने सालों से मेहनत की है. आज हम आपको एक इसरो वैज्ञानिक की कहानी बताएंगे, जो अपने काम के प्रति प्रेम के कारण 2 साल से घर नहीं गए हैं. रॉकेट वैज्ञानिक निंगथौजम रघु सिंह दो साल से अधिक समय से मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में अपने घर नहीं गए हैं.
द वीक की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक निंगथौजम रघु सिंह, चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजने के लिए जिम्मेदार वैज्ञानिकों में से एक थे. रघु सिंह ने कहा, ‘मुझे घर की याद आती है, लेकिन अपने काम के कारण लगभग दो साल से वहां नहीं गया हूं.’ उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि अगली उन्हें बार घर कब जाना है. रघु सिंह ने कहा, ‘लेकिन, मैं अपने माता-पिता के साथ लगभग हर दिन बातचीत करने में मदद करने के लिए वॉट्सऐप और फेसबुक जैसी तकनीक को धन्यवाद देना चाहूंगा.’
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चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अधिक महत्वाकांक्षी अगले अध्याय की शुरुआत है, जो सूर्य का अध्ययन करेगा. इस अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. उन्होंने कहा, ‘अब हम मिशन गगनयान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसमें तीन दिवसीय मिशन के लिए तीन सदस्यों के चालक दल को 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और भारतीय समुद्री जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है.’
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Tags: Chandrayaan-3, ISRO
FIRST PUBLISHED : August 25, 2023, 16:30 IST
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