Home National अब एक्शन में प्रशासन, संडे टेस्ट बैन, बुधवार को फन-डे, स्टूडेंट्स थाना खुलेगा

अब एक्शन में प्रशासन, संडे टेस्ट बैन, बुधवार को फन-डे, स्टूडेंट्स थाना खुलेगा

0
अब एक्शन में प्रशासन, संडे टेस्ट बैन, बुधवार को फन-डे, स्टूडेंट्स थाना खुलेगा

[ad_1]

हाइलाइट्स

पेरेंट्स कई ऑनलाइन गतिविधियां और गेम के माध्यम से दूर रहकर भी बच्चों से जुड़े रह सकते हैं
वॉयस और वीडियो कॉल के लिए शेड्यूल सेट करें, बच्चों की तारीफ और मस्ती के पल शेयर करें
यह समय पीजी के पंखे बदलवाने का नहीं, बच्चों की मेंटल हेल्थ पर काम करने का- मालीवाल
कोर्स कम करने के लिए कमेटी बनेगी, दो सितंबर को स्टेट लेवल कमेटी कोटा का दौरा करेगी

एच. मलिक

कोटा. देश को नामी डॉक्टर्स और इंजीनियर देने वाली कोटा अलार्मिंग सिचुएशन को पार करने लगी है. कोटा जिला प्रशासन और एक्सपर्ट की पड़ताल की मानें तो छात्रों की मौजूदा हालत के कारणों में बहुत ज्यादा स्टडी पर फोकस, पेरेंट्स का प्रेशर, सेपरेशन एंग्जायटी और होम सिकनेस प्रमुख हैं. आपदा में अवसर खोजकर हमने कोरोना महामारी के समय डिस्टेंस लर्निंग को बेहद सहज और उपयोगी बनाया था. अब ऑनलाइन के इस दौर में डिस्टेंस पेरेंटिंग (Distance Parenting) घर से दूर रह रहे बच्चों के लिए मुश्किल समय में रामबाण बन सकती है.

कोचिंग हब कोटा में सिर्फ आठ माह में ही 25 घरों के चिराग ही असमय नहीं बुझे, बल्कि कोटा के प्रति हजारों पेरेंट्स का भरोसा और विश्वास भी हिला है. कोटा की पहचान तो कोचिंग सिटी के रूप में है, ये सुसाइड सिटी के रूप में क्यों तब्दील होती जा रही है. भविष्य संवारने यहां पहुंचे बच्चों की जिन्दगी मुट्ठी में बंद रेत की मानिंद फिसलने का दोष आखिर किसे दें?

सबके अपने-अपने तर्क
शहर में सुसाइड की इस श्रृंखला में रविवार को चार घंटे के दौरान ही दो और आत्महत्या के केस जुड़ गए. सबके अपने-अपने तर्क हैं, अभिभावक उस घड़ी को कोस रहे हैं, जब उन्होंने अपने बच्चों को खुद से दूर भेजा. कोचिंग संस्थान तर्क गढ़ रहे हैं कि उन्होंने तो अपना बेस्ट देने का प्रयास किया, पर छात्र ही परफॉर्म नहीं कर पाया. पैरेंट्स और अभिभावक कोचिंग संस्थान पर नाकामी का ठीकरा फोड़ने में जुटे हैं. वहीं, इस सब पर लगाम कसने वाला प्रशासन सब कुछ लुटाकर होश में आने के बहाने ढूंढ रहा है. किसने, क्या खोया इसका हिसाब-किताब तो वही पिता, सबसे अच्छा से लगा सकता है, जिसने अपने जवान बच्चे की अर्थी को कांधा दिया है.

कोटा में क्यों हो रहा देश के भविष्य का ‘सुसाइड’, 24 घंटे में दो स्‍टूडेंट ने ली जान, 8 महीने में 23 की मौत

कोचिंग सिटी में हर माह तीन छात्र हार रहे जिंदगी
कोटा में कोचिंग छात्र पहले भी सुसाइड करते रहे हैं, लेकिन इस साल इसमें देखी जा रही अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हैरान और सोचने पर मजबूर करने वाली है. जनवरी से अब तक यहां पर आत्महत्या के 25 केस सामने आ चुके हैं. इनके अलावा दो मामलों में सुसाइड की कोशिश की गई. जीवनलीला समाप्त करने वालों में 13 स्टूडेंट्स को तो कोटा आए हुए दो-तीन माह से एक साल से भी कम समय हुआ था. सात स्टूडेंट्स ने दो से पांच माह पहले कोचिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया. सवाल यही है कि आखिर क्यों कुछ महीने पहले ही आए बच्चे सुसाइड को मजबूर हो रहे हैं?

बच्चों के सुसाइड नोट में सेपरेशन एंग्जायटी के संकेत
एक्सपर्ट्स और पुलिस का भी मानना है कि यहां आत्महत्या करने वाले बच्चों के कुछ सुसाइड नोट्स से संकेत मिलता है कि पेरेंट्स का बच्चों पर बढ़ता दबाव और सेपरेशन एंग्जायटी (बच्चों को परिवार से दूर होने का डर) मौत की बड़ी वजह बन रही है. बच्चे कोटा आने से पहले अपने परिवार के साथ रह रहे होते हैं. अचानक घर से दूर, पढ़ाई का अतिरिक्त दबाव, पैरेंट्स की बेइंतहा उम्मीदों के चलते उनके दिमाग में डीप डिप्रेशन, हायर टेंशन और निगेटिविटी जगह बना लेती है, जिसके बाद वे सुसाइड जैसा घातक कदम उठाते हैं.

बच्चों को बचाने के लिए डिस्टेंस पेरेंटिंग कारगर
एजुकेशन एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसे में बच्चों को बचाने के लिए डिस्टेंस पेरेंटिंग कारगर हो सकती है. बहुत से पेरेंट्स ऐसे होते हैं जिन्हें मजबूरन अपने बच्चे को खुद से दूर रखना पड़ता है. इसके पीछे पारिवारिक मजबूरी या पढ़ाई के लिए परिवार से दूर रखने जैसे कई कारण हो सकते हैं. ऐसे में घर से दूर रह रहे बच्चों की सही परवरिश और उनका पालन-पोषण करना डिस्टेंस पेरेंटिंग के जरिए हो सकता है. इसे पेरेंट्स और बच्चों के बीच लॉन्ग-डिस्टेंस रिलेशनशिप कह सकते हैं. पेरेंट्स का भावनात्मक लगाव और उनका अटेंशन बच्चों को कोई भी गलत कदम उठाने से रोक सकता है.

वॉयस और वीडियो कॉल के लिए शेड्यूल सेट करें
डिस्टेंस पेरेंटिंग के लिए माता-पिता को रोजाना समय निकालकर अपने बच्चों से फोन पर बात करनी चाहिए. हालांकि कॉल करने की सीमा का ध्यान रखें, क्योंकि बहुत ज्यादा कॉल या ज्यादा लंबे समय की कॉल करने से समस्याएं हो सकती हैं. एक दिन में बच्चे को दो या तीन बार फोन कॉल करने के लिए पेरेंट्स एक शेड्यूल सेट कर लें. अगर कभी कॉल के लिए समय नहीं है तो ऑडियो मैसेज जरूर भेजें. सप्ताह में दो बार बच्चे के साथ वीडियो कॉल भी जरूर करें. इससे बच्चे अकेलापन महसूस नहीं करेंगे.

छोटी-छोटी बातों की तारीफ और मस्ती के पल शेयर करें
आमतौर पर बच्चों को पेरेंट्स से प्यार और उनके ध्यान की जरूरत होती है. ऐसे में घर से दूर रहकर बच्चों को खुद से जुड़ाव महसूस करवाने के लिए पेरेंट्स को बच्चे की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने और समय निकालने की जरूरत है. वीडियो कॉल पर बच्चों के नए हेयरकट या नए कपड़ों की तारीफ करें. उसके दोस्तों और फ्रेंड सर्कल के बारे में भी हल्की-फुल्की बातें करें. ऐसा करने से बच्चे को लगेगा कि आप आसपास ही हैं, जो उनकी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दे रहे हैं.

दखलअंदाजी नहीं, बच्चे की प्राइवेसी का सम्मान करें
लॉन्ग-डिस्टेंस पेरेंटिंग का मतलब यह नहीं है कि आप बच्चों के बारे में पूरी पड़ताल में लग जाएं. कुछ पेरेंट्स बच्चों के दैनिक जीवन में बारे में सब कुछ जानना चाहते हैं, जो ठीक बात है. आजकल की पीढ़ी को जिंदगी में कुछ ज्यादा ही दखल देने, हर बात पर टोकने और बहुत ज्यादा रेस्ट्रेक्शन लगाना पसंद नहीं आता. पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत है कि बच्चे अपनी अलग पहचान के साथ एक अलग व्यक्तित्व हैं. उनसे रोजाना बात करना सही है, लेकिन बहुत ज्यादा दखलअंदाजी करना नहीं, इसलिए उन्हें बच्चे की प्राइवेसी का सम्मान करना चाहिए.

संडे और वेडनेसडे को बच्चे कुछ रिलेक्स रहेंगे
दूसरी ओर कोचिंग छात्रों के सुसाइड के बाद अब प्रशासन ने सख्ती की तैयारी की है. प्रमुख शासन सचिव (शिक्षा) भवानी सिंह देथा ने सोमवार को स्टेट लेवल कमेटी ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल एक्शन लेने को कहा. इसके बाद जिला प्रशासन ने कई निर्णय लिए. अब कोचिंग में हर बुधवार को हाफ टाइम ही क्लास लगेगी, बाकी समय फन एक्टिविटी कराई जाएगी. संडे को टेस्ट बैन कर दिया गया है. कोटा में अलग से स्टूडेंट्स थाना खुलेगा, जिसका प्रभार डीएसपी स्तर के अफसर के पास रहेगा. पढ़ाई का प्रेशर कम करने की दिशा में कोर्स को कम करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी.

[ad_2]

Source link