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हाइलाइट्स
हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
इस दिन व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
इस बार जन्माष्टमी पर द्वापर युग जैसा हर्षण संयोग बना है.
Krishna Janmashtami 2023: हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. लेकिन इसबार की जन्माष्टमी बेहद फलदायी है. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस बार जन्माष्टमी पर द्वापर युग जैसा संयोग बना है. इससे पहले ऐसा संयोग दशकों पहले बना था. इसी लिहाज से इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष उत्तम योग बना है. ऐसे में व्रत पूजन करने से कई गुना अधिक पुण्य फलदाई फल मिलेगा. यह संयोग साधकों के लिए भी बेहद फलदायी साबित होगा.
ज्योतिष शास्त्र गणना के अनुसार, भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. उस वक्त रोहिणी नक्षत्र हर्षण योग वृषभ राशि उच्च राज योग था. भगवान कृष्ण का जन्म रात के 12 बजे हुआ था, और इस बार 6 सितंबर 2023 को भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी मनाई जाएगी. इस बार द्वापर युग जैसा संयोग बनने से भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करने वाली मानी जा रही है. उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिकांत मिश्र शास्त्री बता रहे हैं, भगवान कृष्ण जन्माष्टमी पर बनने वाले अद्भुत संयोग के बारे में.
अष्टमी तिथि में हर्षण योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह 07 बजकर 57 मिनट से हर्षण योग बन रहा है. ज्योतिष शास्त्र में हर्षण योग को बेहद शुभ व मंगलकारी माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार हर्षण योग में किए जानें वाले सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.
अष्टमी तिथि का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, जन्माष्टमी पर बनने वाला हर्षण योग बेहद शुभ रहेगा. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर बुधवार की रात्रि 7 बजकर 57 मिनट पर शुरू हो जाएगी. साथ ही रोहिणी नक्षत्र दिन में 2 बजकर 39 मिनट पर लग रहा और वृषभ राशि उच्च में चन्द्रमा रहेगा. ऐसे शुभ मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव घर-घर में मनाया जाएगा.
औदायिक तिथि को मानने वाले 7 को मनाएंगे
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, 7 सितंबर दिन गुरुवार को उदया तिथि अष्टमी रोहिणी नक्षत्र हर्षण योग वृषभ राशि में चंद्रमा रहेगा. परंतु अर्धरात्रि में कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त में नहीं रहेगा. ऐसे में औदायिक तिथि को मानने वाले लोग, वैष्णव, संत महात्मा इस दिन जन्माष्टमी मनाएंगे. अतः दोनों ही दिन में से पहले दिन गृहस्थ और दूसरे दिन अपनी स्वयं की मान्यता अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत महोत्सव मनाया जाएगा. वहीं, गोकुलाष्टमी उदया व्यापिनी रोहिणी मतावलंबी 7 सितंबर को मनाएंगे, जबकि गृहस्थ जन्माष्टमी व्रत पारणा 7 सितंबर को प्रातः काल 7 बजकर 51 मिनट के बाद करेंगे.
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कृष्ण जन्मोत्सव का क्या है महत्व
भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण सभी भक्तों के कष्ट दूर करते हैं. भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में नटखट लड्डू गोपाल का जन्म हुआ था. भगवान विष्णु के अवतार ने पृथ्वी पर कृष्ण के रूप में जन्म लिया. सदियों से ही भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव अष्टमी तिथि को मनाया जाता आ रहा है. इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं. मंदिरों में साफ सफाई और साज सज्जा करते हैं. लड्डू गोपाल के जन्म की ख़ुशी में कई तरह के मेवे और पकवान बनाए जाते हैं और धूमधाम से भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord krishna, Sri Krishna Janmashtami
FIRST PUBLISHED : September 04, 2023, 12:06 IST
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