Friday, December 20, 2024
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G20 समिट: पूरी दुनिया की नजर पीएम मोदी पर, अंडमान से दिल्ली तक गुजरा कारवां


नई दिल्ली. जी20 शिखर सम्मेलन के लिए पूरा भारत तैयार है और पूरी दुनिया की नजर भारत पर टिकी है कि यहां से क्या कुछ निकलता है, लेकिन पिछले 10 महीने की भारत की यात्रा कैसे यहां तक पहुंची और क्या होंगी सम्मेलन से मुख्य उम्मीदें, चलिए जानते हैं.

दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर आयोजन के लिए देश की राजधानी दिल्ली एक तरफ सज धजकर तैयार है, तो दूसरी तरफ जी20 देशों के नेताओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. बाली में जी20 की अध्यक्षता लेने से लेकर पिछले साल 1 दिसंबर से लेकर दिल्ली में जी20 सम्मेलन तक देश के सभी राज्यों के 60 शहरों में जी20 की 200 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं और कारवां अंडमान निकोबार से अब दिल्ली में होनेवाले सम्मेलन तक पहुंच गया है.

29 देशों के नेता होंगे जी20 समिट में शामिल
गौर करनेवाली बात है कि अब तक जी20 की बैठकें मेजबान देश के एक से दो तीन शहरों तक सिमट कर रह जाती थी, लेकिन देशभर के हर राज्य में पहुंचाकर भारत ने जी20 को एक नया आयाम दिया है. दिल्ली में होनेवाले 18वें जी20 सम्मेलन में जी20 के 20 सदस्यों के नेताओं के अलावा 9 अतिथि देशों के नेता भी आएंगे. इसके अलावा 14 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भी बैठक में हिस्सा लेंगे.

‘भारत मंडपम’ में होगा जी20 समिट का आयोजन
भारत में जी20 सम्मेलन स्थल का नाम ‘भारत मंडपम’ है और दो दिनों यानी 9/10 सितंबर को तीन अलग-अलग सत्रों में जी20 के नेता अर्थव्यवस्था से लेकर यूक्रेन और दूसरे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और व्यापक सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की तर्ज पर भारत ने जी20 सम्मेलन का थीम ‘वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर’ दिया है और तीनों सत्र भी इसी नाम से हैं.

जी20 की अध्यक्षता भारत के नेतृत्व में कितनी व्यापक थी, उसका अंदाजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमारे ग्रुप Network 18 को जी20 अध्यक्षता पर दिए इंटरव्यू से लगाया जा सकता है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत की जी20 की अध्यक्षता खत्म होने तक 28 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें होंगी. 125 देशों के एक लाख से अधिक प्रतिभागी भारत का दौरा तब तक करेंगे. डेढ़ करोड़ से अधिक भारतीय जी20 के प्रोग्राम और अलग-अलग पहलुओं से जुड़े चुके हैं.

पुतिन और जिनपिंग नहीं आ रहे भारत
पीएम के वक्तव्य से साफ है कि आयोजन आसान नहीं था और यही वजह है कि पाकिस्तान की आपत्तियों और चीन समेत अपने मित्र राष्ट्रों के बीच लॉबिंग के बावजूद कश्मीर में भी जी20 देशों के प्रतिनिधि बैठक के लिए पहुंचे. जी20 सम्मेलन के लिए नई दिल्ली में नेताओं के आगमन की शुरुआत हो चुकी है. ज्यादातर देशों के राष्ट्रप्रमुख सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंच रहें हैं. हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी20 में हिस्सा लेने भारत नहीं पहुंच रहे हैं. रूस की तरफ से विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग अपने देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.

पुतिन और जिनपिंग के न आने से कुछ सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं, लेकिन भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कहा है कि सभी देश गंभीरता के साथ सम्मेलन में आ रहे हैं और पहले भी ऐसा हुआ है जब कई बार राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री पूर्व के जी20 सम्मेलन में नहीं पहुंचे हैं और इसका आउटकम पर कोई असर नहीं होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन 8 सितंबर की शाम भारत पहुंचेंगे और दूसरे नेताओं के आने का सिलिसला लगातार जारी है.

भारत के जी20 सम्मेलन पर यूं तो कई वजहों से खास नजर रहेगी, लेकिन सबसे अहम यह रहेगा कि क्या ग्लोबल साउथ की बात करनेवाला भारत पीएम मोदी की पहल पर 55 अफ्रीकन यूनियन को जी20 का सदस्य बनवा पाता है? अगर ऐसा होता है तो ये बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन बड़ी चुनौती यूक्रेन पर सभी सदस्य देशों को एक साथ लाने की होगी क्योंकि अब तक चीन और रूस यूक्रेन पर बाली घोषणापत्र पर अपने स्टैंड से पीछे हट गए हैं. सम्मेलन का नतीजा जो भी हो भारत दुनिया के नक्शे पर बड़ी छाप छोड़ने जा रहा है, वैसे ही जैसे जी20 ने पिछले एक साल में पूरे देश के राज्यों पर छोड़ा है.

Tags: G20 Summit, India G20 Presidency, Narendra modi



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