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हाइलाइट्स
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या होती है.
आज स्नान करने के बाद अपने पितरों को जल से तर्पण दें.
ब्राह्मण भोज और पंचबलि कर्म करें. भोजन में खीर, पूड़ी और कद्दू की सब्जी अवश्य बनाएं.
आज 14 अक्टूबर दिन शनिवार को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जा रही है. इसे पितृ विसर्जन अमावस्या भी कहते हैं. पितृ पक्ष में अमावस्या तिथि नाराज पितरों को खुश करने का अंतिम दिन है क्योंकि पितृ पक्ष में धरती पर आए पितर वापस पितृ लोक जाते हैं. जो लोग किसी कारणवश अपने पितरों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं, उनको आज सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध करना चाहिए. इस दिन त्रिपिंडी श्राद्ध करने का बड़ा महत्व होता है. त्रिपिंडी श्राद्ध में पिता, दादा और परदादा का श्राद्ध किया जाता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि आज सर्व पितृ अमावस्या पर पितृ विसर्जन कैसे करें? सर्व पितृ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त क्या है?
सर्व पितृ अमावस्या 2023 तिथि और मुहूर्त
हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्व पितृ अमावस्या होती है. इस साल सर्व पितृ अमावस्या की तिथि 13 अक्टूबर को रात 09:50 बजे से लेकर आज 14 अक्टूबर को रात 11:24 बजे तक है.
सर्व पितृ अमावस्या के दिन कुतुप मूहूर्त 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है. रौहिण मूहूर्त दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से दोपहर 01 बजकर 16 मिनट तक है. अपराह्न काल दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक है. पितरों का श्राद्ध कर्म सूर्यास्त से पूर्व संपन्न कर लेना चाहिए.
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सर्व पितृ अमावस्या 2023 पितृ विसर्जन की विधि
आज प्रात: स्नान करने के बाद अपने पितरों को जल से तर्पण दें. इसके लिए अपने दाहिने हाथ में कुशा की पवित्री पहनें. फिर जल, काले तिल, सफेद फूल और चवल से तर्पण दें. अपनी तीन पीढ़ियों के लिए तर्पण दे सकते हैं, जिसमें आपके पिता, दादा और परदादा शामिल हों. इसके अलावा ज्ञात और अज्ञात पितरों के लिए भी तर्पण और श्राद्ध कर सकते हैं.
पितृ ऋण से मुक्ति के लिए आप अपने माता पितरों का भी श्राद्ध कर सकते हैं. पितरों के लिए श्राद्ध अपने घर पर या फिर नदी तट पर करना चाहिए, तभी वह फलदायी होता है. आज के दिन त्रिपिंडी श्राद्ध में पिता को वसु, दादा को रुद्र और परदादा को आदित्य देव के रूप में पूजा करते हैं. ये तीनों सभी पितरों के प्रतिनिधि होते हैं.
इनके लिए आप ब्राह्मण भोज और पंचबलि कर्म करें. भोजन में खीर, पूड़ी और कद्दू की सब्जी अवश्य बनाएं. इस दिन सात्विक भोजन का विधान है. ब्राह्मणों को भोजन कराने से पूर्व गाय, कुत्ता और कौआ को भोजन का एक अंश अवश्य खिला दें. फिर अपनी क्षमता के अनुसार, 1, 3, 5 या 16 ब्राह्मणों को भोजन कराएं. उनको सफेद वस्त्र, केला, पान का बीड़ा, बर्तन आदि का दान करें. उनको खुशी-खुशी विदा करके आशीर्वाद लें. ऐसा करने से अन्न, वस्त्र, जल, फल आदि सभी चीजें पितरों को प्राप्त होती हैं, वे तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं.
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इसके बाद शाम के समय में पितरों के लिए दक्षिण दिशा में एक तेल का दीपक जलाएं. ऐसी मान्यता है कि पितरों को विदा करते समय उनके लिए प्रकाश करना आवश्यक होता है. इससे पितर प्रसन्न होकर पितृ लोक वापस लौटते हैं और आपको आशीष देते हैं. ऐसा करने से पितृ दोष भी दूर हो जाता है.
तिलांजलि से भी कर सकते हैं पितरों को खुश
यदि आपके पास पितरों के विसर्जन के लिए धन और अन्न नहीं है तो आप आज स्नान करने के बाद अपने पितरों का स्मरण करें. उसके बाद दक्षिण दिशा में मुख करके श्रद्धापूर्वक पितरों के लिए काले तिल और जल से तर्पण करना चाहिए. पितरों का ध्यान करके दोनों हाथ ऊपर उठाकर कहना चाहिए कि मेरे पास धन, अन्न आदि सामग्री की कमी है, आप सभी पितर तिल और जल से तृप्त हों. इसके बाद पितरों को प्रणाम करना चाहिए. ऐसा करने से भी पितर तृप्त होकर खुशी-खुशी आशीर्वाद देते हैं.
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Tags: Dharma Aastha, Pitru Paksha
FIRST PUBLISHED : October 14, 2023, 08:28 IST
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