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Chandrayaan-3 Updates: ISRO यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने गुरुवार को बड़ी उम्मीद दी है। चीफ एस सोमनाथ ने रोवर प्रज्ञान के जागने की संभावनाओं से पूरी तरह इनकार नहीं किया है। सितंबर के पहले सप्ताह से ही प्रज्ञान और लैंडर विक्रम स्लीप मोड में हैं। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा था।
क्या बोले सोमनाथ
एक कार्यक्रम के दौरान गुरुवार को सोमनाथ ने रोवर पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘अभी वो वहां शांति से सो रहा है…। उसे शांति से सोने देते हैं…। उसे परेशान नहीं करते हैं…। जब वो अपने आप नींद से जागना चाहेगा, तो जाग जाएगा…। फिलहाल, इसके बारे में मैं यही कहना चाहता हूं।’ जागने की संभावनाओं को लेकर भी उन्होंने राहत के संकेत दिए हैं।
स्पेस एजेंसी के प्रमुख ने कहा, ‘उम्मीद रखने की वजह तो है।’ उन्होंने बताया कि लैंडर का ढांचा बड़ा था और उसकी पूरी तरह से जांच नहीं की जा सकी थी। लेकिन जब रोवर को -200 डिग्री सेल्सियस पर टेस्ट किया गया, तो पता चला था कि वो कम तापमान में भी काम कर रहा था।
अगर नहीं जागे तो क्या है लैंडर और रोवर का हाल?
कहा जा रहा है कि चांद का वातावरण समय के साथ लैंडर और रोवर को खासा प्रभावित कर सकता है। इसकी वजह भी कई हैं।
तापमान में बदलाव- चांद पर तापमान में बड़े स्तर पर बदलाव होते रहते हैं। यहां दिन में तेज गर्मी और रात में तेज सर्दी होती है। ये तापमान लैंडर और रोवर में लगी सामग्री पर असर डाल सकते हैं। आसान भाषा में समझें, तो तापमान सामग्री को फैला सकता है या सिकुड़न भी आ सकती है। जिससे संभावित रूप से उन्हें नुकसान पहुंच सकता है।
धूल- चांद की सतह पर रेजोलिथ नाम की धूल मौजूद है। ये धूल लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की सतहों पर चिपक सकती है और कई तरह की टूट-फूट की वजह बन सकती है।
माइक्रो मीटियोराइट- चांद की सतह पर माइक्रो मीटियोराइट की बारिश होती रहती है। ये छोटे छोटे पार्टिकल्स कुछ समय में रोवर या लैंडर की सतह को नुकसान पहुंचा सकते हैं। खास बात है कि पृथ्वी की तरह चांद में घना वातावरण नहीं है, जो मीटियोराइट्स को जला दे।
रेडिएशन- घना वातावरण नहीं होने के चलते चांद की सतह पर सोलर रेडिएशन और कॉस्मिक किरणों का खासा असर होता है। ये रोवर और लैंडर के इलेक्ट्रिक उपकरणों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बैटरी- अब रोवर और लैंडर पावर के लिए सोलर पैनल पर निर्भर होते हैं। अगर ये पैनल खराब हो जाते हैं या इनपर धूल की चादर चढ़ जाती है तो बैटरी दोबारा चार्ज होना मुश्किल होता है। ऐसे में बैटरी की काम करने की क्षमता पर भी असर होता है।