Home National कोर्ट में बिगड़ी कपिल सिब्बल की तबीयत, सुनवाई रोक मदद को आगे आए CJI चंद्रचूड़

कोर्ट में बिगड़ी कपिल सिब्बल की तबीयत, सुनवाई रोक मदद को आगे आए CJI चंद्रचूड़

0
कोर्ट में बिगड़ी कपिल सिब्बल की तबीयत, सुनवाई रोक मदद को आगे आए CJI चंद्रचूड़

[ad_1]

ऐप पर पढ़ें

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की सुप्रीम कोर्ट (SC) में अचानक तबीयत खराब हो जाने के बाद कुछ देर के लिए सुनवाई रोकनी पड़ी। शीर्ष अदालत में चुनावी बांड के मुद्दे पर सुनवाई चल रही थी। इस दौरान जब सिब्बल को अस्वस्थ महसूस करते देखा तो भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कुछ मिनटों के लिए सब कुछ एक तरफ रख दिया और उनकी तरफ मदद के लिए आगे आए।

गौरतलब है कि चुनावी बॉण्ड को लेकर प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई चल रही है। गुरुवार को सुनवाई के तीसरे दिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलीलें रखते हुए अचानक रुक गए और पलटकर देखा कि सिब्बल कहां हैं। तभी याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हो रहे सिब्बल की टीम ने तुषार मेहता को कुछ बताया। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उनसे पूछा कि क्या हुआ?

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सीजेआई को जवाब देते हुए मेहता ने बताया कि यह कुछ व्यक्तिगत मामला है और सुनवाई से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद सुनवाई फिर से शुरू हुई। इसके कुछ देर बाद सिब्बल कोर्ट में लौट आए। सिब्बल के आते ही मेहता ने अदालत को बताया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है, और उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता को अपने चैंबर का इस्तेमाल करने की पेशकश की ताकि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई में शामिल हो सकें। उन्होंने कहा कि वह यह भी सुनिश्चित करेंगे कि सिब्बल के लिए चाय और कुछ नाश्ते की व्यवस्था की जाए।

मुख्य न्यायाधीश भी आगे आए और कहा कि सिब्बल सुप्रीम कोर्ट के कॉन्फ्रेंस रूम में बैठ सकते हैं और वीडियो लिंक के माध्यम से सुनवाई में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के प्रस्ताव को स्वीकार किया और लंच तक कॉन्फ्रेंस रूम से सुनवाई में शामिल हुए। सिब्बल दोपहर के भोजन के बाद अदालत कक्ष में लौट आए। इसके बाद, मेहता और सिब्बल ने पेशेवर और अपने पुराने अंदाज में दलीलें रखीं। 

चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक चुनावी बॉण्ड के जरिए राजनीतिक दलों को प्राप्त धन का डेटा पेश करने का निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को 30 सितंबर, 2023 तक चुनावी बॉण्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को प्राप्त धन (चंदे) का ‘अद्यतन’ डेटा सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने 12 अप्रैल, 2019 को शीर्ष अदालत द्वारा पारित अंतरिम निर्देश का हवाला दिया, जिसमें राजनीतिक दलों को चुनावी बॉण्ड के माध्यम से प्राप्त धन का विवरण एक सीलबंद लिफाफे में आयोग को सौंपने का निर्देश दिया गया था।

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि अप्रैल 2019 का आदेश उसी तारीख तक सीमित नहीं था जिस दिन इसे सुनाया गया था तथा यदि कोई अस्पष्टता थी, तो आयोग के लिए यह जरूरी था कि वह शीर्ष अदालत से स्पष्टीकरण मांगें। संविधान पीठ ने राजनीतिक दलों के चंदे से संबंधित चुनावी बॉण्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दलीलें सुनते हुए कहा कि आयोग के पास अद्यतन डेटा होना चाहिए। पीठ ने आदेश दिया, ‘‘किसी भी स्थिति में अब हम निर्देश देते हैं कि निर्वाचन आयोग 12 अप्रैल, 2019 को जारी अंतरिम निर्देश के संदर्भ में 30 सितंबर, 2023 तक अद्यतन डेटा पेश करेगा।’’

[ad_2]

Source link