हाइलाइट्स
बॉब डिलन ने प्रोज़ यानी गद्य भी लिखा और पद्य भी
बॉब डिलन को 2016 में मिला था नोबेल पुरस्कार
Bob Dylan songs in hindi: संसार भर में सगीत की दुनिया के चमकते हुए सितारे बॉब डिलन साल 2016 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से नवाजे गए थे. 1941 में अमेरिका के डुलुथ, मिनेसोटा में जन्मे बॉब डिलन का मूल नाम तो था रॉबर्ट ज़िम्मरमैन. गायकी और संगीत से दुनियाभर में अभिव्यक्ति की अलग इबारत लिख चुके डिलन के गीत और उनका बाकी का लेखन उनके संबंधों और धर्म पर उनकी सोच और विचारों की झलक देता हुआ दिखता है.
82 साल की आयु को पार कर चुके डिलन ने कभी कहा था कि वह रिटायरमेंट नहीं लेना चाहते. और कौन चाहेगा कि वह रिटायरमेंट लें! नोबलप्राइज डॉट ओआरजी में बॉब डिलन को लेकर लिखा है कि उन्होंने अपने गीतों और संगीत को बार-बार नए-नए आयाम दिए. उन्होंने प्रोज़ यानी गद्य भी लिखा और पद्य भी. आप उनके गीतों को सुनते हैं तो यह समझते हुए देर नहीं लगती कि क्यों वे साहित्य की दुनिया में नोबेल प्राइज पाने वाले संगीतकार बने! वह पहले संगीतकार हैं जिन्हें साहित्य के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया था. आइए पढ़ें उनकी कविताओं का हिन्दी अनुवाद:
ईश्वर का साथ हमारे साथ
मेरा नाम, अरे, कुछ नहीं है
मेरी उम्र का अर्थ और भी कम
मैं जिस देश से आया हूँ
उसको सब कहते हैं मिडवेस्ट
मुझको वहाँ यह पढ़ाया और सिखाया गया
कानून की राह पर चलना
और यह कि जिस देश में मैं रहता हूँ
ईश्वर का साथ उसके साथ है ।
अरे भाई ! इतिहास की किताबें बताती हैं
और इतना बढ़िया बताती हैं
घुड़सवारों ने धावा बोला
और इण्डियंस कट गए
घुड़सवारों ने धावा बोला
और इण्डियंस मर गए
अरे, देश तब जवान था
और ईश्वर का साथ उसके साथ था ।
अरे स्पेनी-अमरीकन युद्ध
का भी अपना समय था
और गृह-युद्ध को भी जल्दी ही
पीछे को छोड़ दिया गया
और नायकों के नामों को भी
मुझको रटवाया गया
उनके हाथ ज्यों बन्दूकें थीं, वैसे ही
ईश्वर का साथ उनके साथ था ।
अरे, प्रथम विश्व-युद्ध का भी, यारों !
समय आया और चला गया
लड़ाई का कारण लेकिन
मेरे पल्ले कभी नहीं पड़ा ।
पर मैंने उसे मानना सीख लिया
और मानना भी गर्व के साथ
क्योंकि अपन मरों को नहीं गिनते
जब ईश्वर का साथ अपने साथ हो ।
जब दूसरा विश्व-युद्ध भी
अपने अनजाम को पा गया
हमने जर्मनों को माफ़ कर दिया
और अपना दोस्त बना लिया
चाहे साठ लाख की उन्होंने हत्याएँ की हों
उनको भट्टियों में झुलसाकर ।
अब जर्मनों के लिए भी
ईश्वर का साथ उनके साथ था ।
मैंने रूसियों से घृणा करना सीख लिया
अपनी पूरी ज़िन्दगी के लिए
अगर एक और युद्ध होता है
हमें उनसे लड़ना ही होगा
उनसे घृणा करनी होगी और डरना होगा
भागना होगा और छिपना होगा
और यह सब बहादुरी से मानना होगा
ईश्वर का साथ अपने साथ रख कर ।
पर अब हमारे पास हथियार हैं
जो रासायनिक रेत से बने हैं
अगर उन्हें पड़ता है किसी पर दाग़ना
तो दागग़ तो हमें पड़ेगा ही
एक बटन का दबाना
और एक धमाका पूरी दुनिया में
और तुम सवाल कभी नहीं पूछोगे
जब ईश्वर का साथ तुम्हारे साथ हो ।
अनेक अन्धेरी घड़ियों में
मैंने इस बारे में सोच के देखा है
कि ईसा मसीह के साथ विश्वासघात
एक चुम्बन के साथ हुआ था
पर मैं तुम्हारे लिए नहीं सोच सकता
तुम्हें ख़ुद ही तय करना होगा
कि क्या जूडस इस्कैरियट
के भी साथ ईश्वर का साथ था ।
तो अब जब मैं तुम्हें छोड़ रहा हूँ
मैं ऊब और उकता चुका हूँ
जिस सम्भ्रम में मैं फँसा हूँ
कोई ज़बान जो है बता नहीं सकती
शब्दों से मेरा सिर भरा है
और नीचे फ़र्श पर भी वो गिरे हैं
अगर ईश्वर का साथ हमारे साथ है
तो वो अगले युद्ध को रोक देगा ।
(अनुवाद- अनिल एकलव्य – साभार- कविताकोश)
हवा में उड़ता जवाब
कितने रास्ते तय करे आदमी
कि तुम उसे इंसान कह सको?
कितने समन्दर पार करे एक सफ़ेद कबूतर
कि वह रेत पर सो सके ?
हाँ, कितने गोले दागे तोप
कि उनपर हमेशा के लिए पाबन्दी लग जाए?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है।
हाँ, कितने साल क़ायम रहे एक पहाड़
कि उसके पहले समन्दर उसे डुबा न दे?
हाँ, कितने साल ज़िन्दा रह सकते हैं कुछ लोग
कि उसके पहले उन्हें आज़ाद किया जा सके?
हाँ, कितनी बार अपना सिर घुमा सकता है एक आदमी
यह दिखाने कि उसने कुछ देखा ही नहीं?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है।
हाँ, कितनी बार एक आदमी ऊपर की ओर देखे
कि वह आसमान को देख सके?
हाँ, कितने कान हो एक आदमी के
कि वह लोगों की रुलाई को सुन सके?
हाँ, कितनी मौतें होनी होगी कि वह जान सके
कि काफ़ी ज़्यादा लोग मर चुके हैं ?
मेरे दोस्त, इनका जवाब हवा में उड़ रहा है
जवाब हवा में उड़ रहा है।
(अनुवाद : भोला रबारी – साभार- कविताकोश)
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Tags: Hindi Literature, Literature, Poem
FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 11:03 IST