नई दिल्ली. प्रदूषण की मार से परेशान राजधानी दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत को लेकर अगर बड़ा प्लान तैयार नहीं किया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है. यह चिंता दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में प्रदूषण को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार (International Seminar on Pollution) में दुनिया के विशेषज्ञों ने जताई है. बता दें कि दिल्ली-एनसीआर सहित पूरे उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर हर मौसम में अलग-अलग वजहों से बढ़ जाता है. वायु की गुणवत्ता इतनी बिगड़ जाती है कि स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों को बंद करना पड़ता है. यह स्थिति पिछले कई सालों से लगातार हो रहा है. विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रदूषण शरीर क्रिया विज्ञान पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है. शोध बताते हैं कि बढ़ता प्रदूषण का स्तर लोगों को दिल, दिमाग, सांस का मरीज बना रहा है. इसके अलावा बच्चों में अस्थमा व उनमें बुद्धिमता और सोचने समझने की क्षमता को कम कर रहा है.
पर्यावरण पर काम करने वाले विशेषज्ञों ने कहा है यदि जल्द प्रदूषण पर बड़े प्रहार नहीं किए गए तो समस्या विकराल हो जाएगी. बता दें कि दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के व्यावसायिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य केंद्र प्रदूषण पर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित कर रहा है. इसमें भारत में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य, विज्ञान, नीति, कार्यक्रम और सामुदायिक जुड़ाव पर आगे बढ़ने के लिए विशेषज्ञ अपनी राय दे रहे हैं. यह कार्यक्रम 30 नवंबर तक चलेगा. इसमें प्रदूषण के कारण होने वाले दुष्प्रभाव पर कई तरह के रिसर्च पर चर्चा चल रहा है.
इस सेमिनार में प्रदूषण से होने वाले शोध पर चर्चा किया जाएगा.
प्रदूषण से कैसे निपटें
इस अंतर्राष्टरीय सेमिनार में अमेरिका, गांबिया सहित प्रदूषण पर काम करने वाली कई संस्थाएं भाग ले रही हैं. इस सेमिनार में प्रदूषण से होने वाले शोध का डाटा तैयार करना, उन डेटा के आधार पर नीति-निर्धारकों से राष्ट्रीय नीति तैयार करवाना शामिल है. साथ ही प्रदूषण की रोकथाम के अभियान में लोगों को जोड़ना शामिल है.
बच्चों में याद रखने की क्षमता घटी
इस सेमिनार में दुनियाभर में हुए शोध को आधार बनाकर विशेषज्ञों ने कहा है कि पिछले कुछ सालों से प्रदूषण की वजह से कई समस्याएं शुरू हो गई हैं. जैसे बच्चों में याद रखने की क्षमता घटी है. साथ ही गणित के सवाल करने में भी बच्चे पहले ही तरह प्रदर्शन नहीं दे पा रहे. यह आने वाले समय में देश के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर देंगे. अभी 3-4 साल के बच्चे अगले 10-15 साल युवा होंगे. इन बच्चों में प्रदूषण के कारण कई गंभीर बीमारी हो सकती हैं.
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इस सेमिनार में अगले दो दिन तक विशेषज्ञों के द्वारा व्यावसायिक क्षेत्र में वर्तमान चुनौतियां विषय पर अपने-अपने सुझाव रखे जाएंगे. बता दें कि यह किसी भी भारतीय मेडिकल कॉलेज का एकमात्र विभाग है, जो प्रदूषण के रोकथाम को लेकर जागरूकता पैदा करके भारत में व्यावसायिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य का उत्थान लघु और दीर्घकालिक पाठ्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलन और विभिन्न शोध करत है. सेंटर फॉर ऑक्यूपेशनल और पर्यावरणीय स्वास्थ्य (सीओईएच), डोर्नसाइफ स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, ड्रेक्सेल और फिलाडेल्फिया यूनिवर्सिटी, संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से यह कार्यक्रम हो रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2023, 10:45 IST