Friday, February 7, 2025
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: काशी के बाद मथुरा की शाही ईदगाह का भी होगा सर्वे, हाईकोर्ट ने दी परमिशन


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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर विवाद में हिंदू पक्ष को बड़ी राहत दी है। काशी के बाद अब मथुरा की शाही ईदगाह परिसर में सर्वे को लेकर हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है। शाही ईदगाह में सर्वे को लेकर काफी समय से हिंदू पक्ष सर्वे को लेकर मांग कर रहा था। सर्वे को लेकर हिंदू पक्ष ने जिला कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबे समय से श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह को लेकर विवाद चल रहा था। गुरुवार को हाईकोर्ट ने 18 याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद ये फैसला दिया।

हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर में सर्वे को लेकर एक कमिश्नर नियुक्त करने का भी आदेश दिया है जो मंदिर परिसर का सर्वे कराएगा। हालांकि कमिश्नर की इस टीम में कितने सदस्य होंगे, इसको लेकर कोर्ट 10 दिसंबर को निर्देश देगा। बतादें कि ज्ञानवापी के बाद मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद में भी सर्वे कराने को लेकर हिंदू पक्ष ने याचिका दायर की थी। इसको लेकर काफी समय से जिला कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक सुनवाई चल रही थी। छह नवंबर को कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया।

क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद? जिसमें हाईकोर्ट ने दी सर्वे की अनुमति

हाईकोर्ट के फैसले के बाद क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील

कृष्ण जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया इलाहाबाद HC ने हमारे आवेदन को स्वीकार कर लिया है, जहां हमने अधिवक्ता आयुक्त द्वारा (शाही ईदगाह मस्जिद) के सर्वेक्षण की मांग की थी। तौर-तरीके 18 दिसंबर को तय किए जाएंगे। उन्होंने कहा, शाही ईदगाह मस्जिद के तर्कों को खारिज कर दिया है। मेरी मांग थी कि शाही ईदगाह मस्जिद में हिंदू मंदिर के बहुत सारे चिन्ह और प्रतीक हैं, और वास्तविक स्थिति जानने के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त की आवश्यकता है। यह अदालत का एक ऐतिहासिक फैसला है।

क्या थी हिंदू पक्ष की मांग 

शाही ईदगाह में सर्वे को लेकर हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वकील विष्णु शंकर जैन हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से केस लड़ रहे थे। वादी की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट में बताया था कि वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह मस्जिद का भी सर्वे कराया जाए। इसके लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया जाए। उन्होंने न्यायालय से तीन अधिवक्ताओं के पैनल को कोर्ट कमिश्नर के रूप में नियुक्त करने की मांग की थी। दूसरे पक्ष की ओर से इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा गया था कि जब तक प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट और वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत मामले में सुनवाई पूरी नहीं होती, इस अर्जी पर कोई निर्णय नहीं किया जा सकता है।

मुस्लिम पक्ष ने जताया था विरोध

मुस्लिम पक्ष ओर से इस बात का विरोध करते हुए कहा गया था कि कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाने की मांग पर न्यायालय किसी भी स्तर पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। अपने तर्क के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों की नजीर पेश की गई। साथ ही ज्ञानवापी मस्जिद केस में दिए गए फैसले का भी हवाला देकर के कहा गया कि ज्ञानवापी मामले में भी न्यायालय ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश दिया था। ऐसे में शाही ईदगाह परिसर का कोर्ट कमिश्नर और पुरातत्व विभाग द्वारा सर्वे किया जाना चाहिए तथा इसकी वीडियो ग्राफी एवं फोटोग्राफी करके पूरी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए।



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