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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधाान ने लोकसभा में सोमवार को बताया कि 10वीं स्कूल छोड़ने वाले छात्रों का ड्रॉपआउट रेट 20.6 है। वहीं साल 2020-21 में 29 लाख से ज्यादा छात्र फेल हुए थे। इस मामले में देश में ओडिशा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य रहा, वहीं बिहार इसके बाद दूसरे नंबर खराब प्रदर्शन वाला राज्य रहा। एक प्रश्न के लिखित जवाब में धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा को बताया कि 20222 में कुल 1,89,90,809 छात्रों ने 10वीं की परीक्षा में भाग लिया था। इनमें से 29,56,138 छात्रों को असफलता मिली थी।
10वीं कक्षा में स्कूल छोड़ने में मामले में 49.9 फीसदी ड्रॉपआउट रेट के साथ ओडिशा देश में सबसे खराब राज्य रहा। इसके बाद बिहार में छात्रों का ड्रॉपआउट रेट 42.1 रहा। डीएमके सांसद कलानिधि वीरस्वामी ने पूछा था कि क्या सरकार को इस बारे में भान है कि कक्षा 10 में 3.5 मिलियन यानी करीब 35 लाख छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है?
इस शिक्षा मंत्री ने छात्रों के 10वीं में फेल होने का कारण बताते हुए कहा कि इस बात में कई तथ्य शामिल होते हैं जैसे- स्कूल न जाना, स्कूलों के निर्देशों का पालन न करना, पढ़ाई में मन न लगना, परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का कठिनाई स्तर, शिक्षकों की क्वॉलिटी, पैरेंट्स का सपोर्ट और स्कूल व शिक्षकों का सपोर्ट भी शामिल है। इससे आगे कहा जाए तो शिक्षा एक समवर्ती सूची का विषय है और देश के ज्यादातर स्कूल राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के तहत आते हैं।
शिक्षा मंत्री ने आगे बताया कि ओडिशा और बिहार के बाद अन्य कई राज्य भी उच्च ड्रॉपआउट रेट का सामना कर रहे हैं। इनमें मेघालय 33.5 फीसदी, कर्नाटक 28.5 फीसदी, आंध्र प्रदेश 28.3 फीसदी, गुजरात 28.2 फीसदी और तेलंगाना में 27.4 फीसदी ड्रॉपआउट रेट है।
वहीं 10 फीसदी से कम ड्रॉपआउट रेट वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश 9.2%, त्रिपुरा 3.8 %, तमिलनाडु 9%, मणिपुर कोई ड्रॉपआउट नहीं, मध्यप्रदेश 9.8 %, हिमाचल प्रदेश 2.5 %, हरियाणा 7.4 % और दिल्ली 1.3% हैं।
वहीं असम ने ड्रॉपआउट रेट में सुधार किया है। यहां पहले यह रेट 44 था जो अब 28.3 फीसदी पर आ गया है। जबकि ओडिशा में यह रेट और बढ़ा है। d