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अग्निवीरों का सेवाकाल खत्म होने के बावजूद आपात स्थितियों में उनके पुन: इस्तेमाल को लेकर रक्षा मंत्रालय को सुझाव मिले हैं। इन पर विचार किया जा रहा है। 2026 से पहले इस बारे में निर्णय लिए जाने की संभावना है। क्योंकि, अग्निवीरों के पहले बैच का कार्यकाल उसी दौरान खत्म होगा। मौजूदा नियमों के तहत चार साल का सेवाकाल पूरा करने के बाद अधिकतम 25 फीसदी अग्निवीरों को ही सेना में स्थाई किया जाएगा। अन्य 75 फीसदी या इससे भी ज्यादा अग्निवीर सेनाओं में नहीं रह पाएंगे। सेवा पूरी होने के वक्त इनमें से ज्यादातर की आयु 25 साल के करीब होगी। हालांकि, पुलिस और अर्धसैनिक बलों समेत राज्य सेवाओं में रोजगार के कई अवसर मिलेंगे। लेकिन, सेनाओं के लिए भी उनका आपातकालीन महत्व बना रह सकता है।
हाल में संसद में पेश एक रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ऐसे अग्निवीरों की आपातकालीन स्थितियों में सेवाएं लेने के लिए रक्षा मंत्रालय एक तंत्र स्थापित करे। क्योंकि, यह पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं और युवा भी हैं। जबकि, भूतपूर्व सैनिकों की उम्र कहीं ज्यादा होती है। समिति ने कहा, योग्य और पुन: सेवा के इच्छुक अग्निवीरों का एक डाटाबेस तैयार होना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें तुरंत बुलाया जा सके।
बता दें, अग्निवीरों के पहले बैच ने 2023 में कार्य शुरू किया था। इस हिसाब से पहला बैच 2026-27 के दौरान अपना कार्यकाल पूरा करेगा। इसलिए, इस बारे में तत्काल कोई निर्णय होने की उम्मीद नहीं है। रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है, इस बाबत कई सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन पर विचार-विमर्श चल रहा है। तीनों सेनाएं अपने-अपने अग्निवीरों का रिकार्ड तैयार कर ही रही हैं। लेकिन, उनके आपात इस्तेमाल का सुझाव भी महत्वपूर्ण है।