Home National पुरातत्व विभाग के ऑफिस से कम नहीं है यूपी के इस शख्स का घर, दुर्लभ खजानों में श्रीराम के सिक्के और स्टैंप

पुरातत्व विभाग के ऑफिस से कम नहीं है यूपी के इस शख्स का घर, दुर्लभ खजानों में श्रीराम के सिक्के और स्टैंप

0


ऐप पर पढ़ें

भगवान श्रीराम रोम-रोम में बसे हैं। हमेशा से लोगों में इस बात की ललक रही है कि हम इससे जुड़ा इतिहास जानें और इसे लोगों तक पहुचाएं। इन्हीं में एक शख्स हैं विनोद टंडन। लगभग पूरा जीवन उन्होंने इसी काम में लगा दिया। घर का एक कमरा किसी पुरातत्व विभाग के कार्यालय से कम नहीं है। उनके खजाने में कई ऐसे सिक्के हैं जिन पर भगवान श्रीराम और हनुमान की तस्वीर है। आजाद नगर में अपने निवास पर हजारों ऐसी यादगार चीजें उनके पास हैं जो इतिहास के लिए किसी साक्ष्य से कम नहीं हैं। कुछ देश भर से जुटाई हैं। कुछ कानपुर का संदर्भ रखती हैं। कुछ ऐसी हैं जो परिवार की कई पीढ़ियों से होते हुए उन तक पहुंची हैं। जिनमें सैकड़ों साल पुरानी रामायण, सिक्के और अन्य धार्मिक महत्व की चीजें भी हैं।

डाक टिकटों में श्री रामलीला

इतिहासकार बताते हैं कि डाक टिकटों का संग्रह भी हमारे पास है। दो टिकट हमारे पास ऐसे हैं जिनमें धार्मिक चित्र हैं। पुराने हैं लेकिन कहां रखे हैं यह नहीं बता सकता। हां, कुछ वर्षों पहले डाक टिकटों की एक शृंखला जारी हुई थी। इसमें श्री रामलीला के दृश्य थे। इस सीरीज को रामायण नाम दिया गया था। इसे वाराणसी से डाक विभाग ने जारी किया था। इसमें 11 डाक टिकट हैं। एक लंबाई में है और शेष 10 का आकार एक जैसा है। लंबाई वाले डाक टिकट में श्रीराम का दरबार स्पष्ट दिखाई देता है। एक में हनुमान पर्वत ले जाते दर्शाए गए हैं। ऐसे अनेक दृश्य इसमें दिखाए गए जिने संदर्भ रामायण में दिखाई देते हैं।

सिक्के में श्रीराम, सीता लक्ष्मण और हनुमान

उनके खजाने में दिखे दो सिक्के सीधे वर्तमान से जुड़ते हैं। पीतल या किसी विशेष धातु के इन सिक्कों पर वर्ष अंकित है। एक सिक्का है जिस पर 1818 लिखा है। उर्दू और इंग्लिश में एक आना लिखा है। गोलाई में ईस्ट इंडिया कंपनी लिखा है। सबसे खास बात यह है कि सिक्के के दूसरी ओर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण हैं। इसी तरह का बेहद चमकीला सिक्का है। इस पर एक पैसा लिखा है। संवत 1947 दर्ज है जो सन 1890 का है। इस सिक्के में नक्काशी शानदार है। इसकी विशेषता यह है कि इस पर हनुमान गदा लिए जा रहे दिखते हैं और नीचे हनुमान लिखा है।

सिक्कों पर होती है चर्चा, निष्कर्ष नहीं

कानपुर इतिहास सोसाइटी के सदस्य विनोद टंडन कहते हैं कि उनके पास यह सिक्के वर्षों से हैं। इनके बारे में काफी अध्ययन किया गया है। जानकारों ने बारीकी से अध्ययन किया। इतिहास खंगाला। यहां से लेकर रतलाम, लखनऊ तक में इस पर विशेषज्ञों से चर्चा हो चुकी है लेकिन अंतिम निष्कर्ष का अभी भी इंतजार है। जो बात सामने आई उसमें बताया गया कि यह सिक्के रतलाम स्टेट के हैं। पर यह कहना मुश्किल है कि यह सिक्के चलन में रहे होंगे। कुछ लोग इसे करेंसी के रूप में देखते हैं तो कुछ का मानना है कि यह टोकन क्वाइन हैं। अभी भी तमाम लोग इसे देखने परखने और समझने आते रहते हैं। कुछ भी हो इसमें भगवान राम, सीता और लक्ष्मण हैं जो आज के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसी तरह हनुमान के गदा ले जाते हुए जो सिक्का है वह भी एक पहेली बना हुआ है। वैसे तो सिक्के तमाम हैं लेकिन धार्मिक दृष्टि से यह खास हैं।

कानपुर में 164 साल पहले उर्दू में लिखी गई थी रामायण, भगवान राम की लीलाओं के चित्र भी मौजूद

परिवार की डायरी भी है खास

विनोद टंडन बताते हैं कि उनके पास ऐसा साहित्य है जो इतिहास में दर्ज है। यह धार्मिक है। सिक्कों और स्टैंप के अतिरिक्त कई ऐतिहासिक पुस्तकें भी हैं। कहते हैं, एक दिन पिता जी की डायरी मिल गई। तो पता चला कि वह पूरी डायरी में राम राम ही लिखते थे। फिर पता चला कि पिता जी के अलावा अन्य सदस्य भी राम राम लिखते रहते थे। पिता गोपाल कृष्ण जी बेहद धार्मिक व्यक्ति थे। ऐसा कई पीढ़ियों से होता आया है जिसके कई साक्ष्य अब तक जुटाए हैं। वह कहते हैं कि सिक्कों पर अभी शोध कार्य चल रहा है। लोगों ने बताया है कि मुगल काल में भी भगवान राम से जुड़े कुछ सिक्के चलते थे लेकिन अभी तक यह हमें मिल नहीं सके हैं।



Source link