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Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या के भव्य मंदिर में मंत्रोच्चार के बीच रामलला जब विराज रहे थे तो योगी आदित्यनाथ दोहरी भूमिका में थे। एक तरफ वे राम मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की पांच पीड़ियों के संघर्ष के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद थे, तो वहीं बतौर मुख्यमंत्री वह पूरी व्यवस्था भी संभाले हुए थे। मंदिर के लिए लंबे आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाली गोरक्षपीठ की पांच पीढ़ियों का सपना सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा के साथ पूरा हुआ।
मंदिर आंदोलन में गोरक्षपीठ की भागीदारी 1855 से लेकर 1885 तक पीठाधीश्वर रहे महंत गोपाल नाथ के समय शुरू हुई। उन्होंने रामचरन दास और मुस्लिम पक्षकार आमिर अली से मिलकर समझौते का प्रयास किया, लेकिन अंग्रेजों की विभाजनकारी नीति के चलते इसपर अमल नहीं हो सका। इसके बाद 1917 तक योगिराज बाबा गम्भीरदास ने भी राम मंदिर को लेकरप्रयास किये।
आजादी के बाद मंदिर को लेकर विशेष प्रयास तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ ने शुरू किया। वह 22-23 दिसम्बर 1949 की रात रामलला के प्राकट्य के दौरान आरती में शामिल रहे। इसके बाद राममंदिर आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर लाने का श्रेय ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को जाता है। 21 जुलाई, 1984 को अयोध्या के भगवताचार्य आश्रम में ‘श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति’ का गठन हुआ तो आंदोलन के केन्द्र में गोरक्षपीठ ही थी। महंत अवेद्यनाथ ने मंदिर आंदोलन को धार देते के लिए सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाई।
मंदिर के लिए महंत अवेद्यनाथ ने सक्रिय राजनीति से ले लिया था संन्यास
महंत अवेद्यनाथ ने मंदिर आंदोलन को रफ्तार देने के लिए ही 1980 में में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था। वर्ष 1984 में श्री रामजानकी रथ यात्राएं तथा उनकी सुरक्षा हेतु युवाओं की एक वाहिनी बजरंग दल का गठन हुआ। 22 सितम्बर 1989 को महंत अवेद्यनाथ की अध्यक्षता में दिल्ली में हुए विराट हिन्दू सम्मेलन में 9 नवम्बर, 1989 को जन्मभूमि पर शिलान्यास कार्यक्रम घोषित किया गया था।
शिष्य ने दी विशेष गुरु दक्षिण
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप राव बताते हैं, ‘महंत अवेद्यनाथ ने ही देश की सभी पीठों और धर्माचार्यों को एक मंच पर लाकर मंदिर निर्माण के आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया। उनका सहभोज अभियान मंदिर आंदोलन को मुकाम पर पहुंचाने में अहम कड़ी रहा। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की अंतिम इच्छा थी कि रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो। इसी इच्छा के साथ वे परलोकवासी हो गए थे। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की जिस प्रकार की सहभागिता है, वह किसी भी शिष्य के लिए विशेष गुरुदक्षिणा है।’
गोरक्षपीठाधीश्वर की अहम भूमिका
गोरखनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ का कहना है कि ‘महंत दिग्विजयनाथ के बाद महंत अवेद्यनाथ ने मंदिर आंदोलन को राष्ट्रीय आंदोलन बनाया। वह सभी संप्रदायों को एक मंच पर लाने में सफल रहे। अब गोरक्षपीठाधीश्वर की अहम भूमिका के चलते हम सब अयोध्या में भव्य मंदिर के साक्षी बने हैं।’
सीएम योगी ने यूं जाहिर की खुशी
आज जीवन धन्य हो गया!
शताब्दियों की प्रतीक्षा, प्रण और प्रार्थना आज श्री अयोध्या धाम में प्रभु श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ पूर्ण हुई। यह ऐतिहासिक एवं पुण्य अवसर बड़े सौभाग्य से प्राप्त हुआ है। पीढ़ियों के संकल्प की सिद्धि का साक्षी बनकर अभिभूत हूं, कृतज्ञ हूं, आह्लादित हूं।
जय श्री राम!
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