Thursday, December 26, 2024
Google search engine
HomeNationalअयोध्या राम मंदिर: जनवरी 2025 में ही श्रद्धालु पा सकेंगे कुबेरेश्वर महादेव...

अयोध्या राम मंदिर: जनवरी 2025 में ही श्रद्धालु पा सकेंगे कुबेरेश्वर महादेव का दर्शन


ऐप पर पढ़ें

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद देश भर से हर वर्ग के लाखों श्रद्धालुओं का यहां आगमन हो रहा है लेकिन इन श्रद्धालुओं का प्रवेश राम मंदिर तक ही सीमित रखा गया है। इस परिसर के दक्षिणी हिस्से में स्थित कुबेर टीला पर कुबेरेश्वर महादेव का दर्शन इन्हें जनवरी 2025 में ही सुलभ हो सकेगा। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए रोके गये कामों को दोबारा शुरू कर दिया गया है लेकिन गति पकड़ने में समय लगेगा। इस बीच राम मंदिर निर्माण के अवशेष कामों के लिए पत्थरों की आपूर्ति करने वाली एजेंसी की निदेशक मार्केटिंग दीक्षा जैन ने बुधवार को उनकी कंपनी द्वारा किए जा रहे कामों का जायजा लेने पहुंची। उन्होंने रामलला का दर्शन कर निर्माण कार्यों का भी अवलोकन किया।

इस दौरान उनसे हुई बातचीत में यह खुलासा किया गया कि दर्शनार्थियों के चलने के स्थानों एवं परकोटे के परिक्रमा पथ के अलावा कुबेर नवरत्न टीला पर निर्माण के लिए भरतपुर के पिंक सैंड स्टोन के बजाय भीलवाड़ा के बिजौलिया सैंड स्टोन का प्रयोग हो रहा है। यह सैंड स्टोन मंडाना रेड व मंडाना ग्रे भी कहलाता है। बताया गया कि उन्हें यहां पत्थरों की आपूर्ति के साथ इंस्टालेशन की भी जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने बताया कि करीब पांच लाख वर्ग फिट क्षेत्रफल में इन पत्थरों को लगाया जाना है जिसके लिए 15 से 20 घन लाख फुट पत्थरों के आपूर्ति की जरूरत होगी। फिलहाल उनकी कंपनी एक लाख घन फुट पत्थरों की आपूर्ति कर चुकी है और निर्धारित पांच लाख वर्ग फिट क्षेत्रफल के सापेक्ष 65 हजार वर्ग फिट क्षेत्रफल में काम हो चुका है। यहां एक साथ दूसरी कंपनियां भी काम कर रही है और सभी को अलग-अलग काम सौंपा गया है।

बिजौलिया सैंड स्टोन पर मौसम का असर न होने से विदेशों में बड़ी मांग:

स्टोन कंपनी की मार्केटिंग निदेशक दीक्षा बताती है कि बिजौलिया सैंड स्टोन पर मौसम का असर नहीं होता है। इसके कारण विदेशों में फुटपाथ के निर्माण के लिए इन पत्थरों की मांग खासी है। इनकी यह भी खासियत है कि यह दीर्घजीवी और फिसलन रहित है। इन पत्थरों पर चार तरह कि फिनिशिंग होती है, जिसमें होंड फिनिश, सैंड ब्लास फिनिश, लेदर फिनिश व मिरर पालिश शामिल हैं। यही कारण एलएण्डटी की ओर से दर्शनार्थियों के मार्ग व परकोटे के परिक्रमा पथ के साथ कुबेर टीला के परकोटे व चढ़ाई के मार्ग में इन पत्थरों के प्रयोग को अनुमति दी गयी है। वह बताती हैं कि उनकी कंपनी को बुधवार को साठ हजार घन फिट पत्थरों का अतिरिक्त आर्डर मिला है। उन्होंने बताया कि यहां इस्तेमाल हो रहे पत्थरों की अलग-अलग साइज है जो कि छह सौ गुणा छह सौ, छह सौ गुणा तीन सौ व दो सौ गुणा दो सौ फिट लंबे-चौड़े एवं 75 व 40 मिलीमीटर मोटे हैं।

कुबेर टीला के परकोटे में लगाए जा रहे मंडाना ग्रे सैंड स्टोन:

एएसआई के संरक्षित स्मारकों की श्रेणी में सूचीबद्ध रहे कुबेर नवरत्न टीला को केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की संस्तुति पर श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। इसके बाद इस टीला के जीर्णोद्धार का जिम्मा श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ने लिया है। करीब 50-60 फिट ऊंचे टीले पर कुबेरेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर के ऊंचाई के थोड़ा नीचे ही पक्षीराज जटायु को हुतात्माओं की स्मृति में स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 22 जनवरी को जटायुराज की प्रतिमा का अनावरण कर पुष्पांजलि अर्पित कर चुके हैं। इसके साथ उन्होंने कुबेरेश्वर महादेव का भी दर्शन पूजन किया था। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। इसका जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है और टीले के चारो ओर परकोटा के रूप में बहुआयामी सुरक्षा दीवार खड़ी की जा रही है। इस सुरक्षा दीवार में बिजौलिया सैंड स्टोन के मंडाना ग्रे सैंड स्टोन का प्रयोग हो रहा है।



Source link

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments