अनुज गौतम/सागर: शाहरुख खान की फिल्म ‘माय नेम इज खान’ और प्रियंका चोपड़ा की फिल्म ‘बर्फी’ तो आपने देखी ही होगी. इन फिल्मों में ये दोनों कलाकार अपूर्ण यानी दिमाग से कमजोर होने का रोल निभाते नजर आए थे. डॉक्टरों की भाषा में इस बीमारी को ऑटिज्म कहते हैं. इसे लाइलाज बीमारी माना जाता है. लेकिन, सागर के डॉक्टर हैदराबाद में इसी लाइलाज बीमारी का सफल इलाज कर रहे हैं.
डॉक्टर का दावा है कि ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों का डीएनए गाइडेड माइक्रोबायोम मॉड्यूलेशन थेरेपी से इलाज किया जा रहा है. इसमें देखा गया है कि जो बच्चे चल नहीं पाते थे, वह चलने लगे हैं ,स्कूल जाने लगे हैं, स्कूल में पढ़ाई में उनका मन भी लग रहा है. डॉक्टर ने बताया कि इस थेरेपी में एक प्रकार से जागरूकता के माध्यम से बच्चों का इलाज किया जा रहा है, जिसमें सफलता भी मिल रही है.
डीएनए गाडेड माइक्रोबायोम मॉड्यूलेशन थेरेपी
डॉ. सुमित रावत बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज सागर में असिस्टेंट प्रोफेसर और माइक्रो बायोलॉजी लैब के प्रभारी के रूप में कार्य कर रहे हैं. इस बीमारी और इलाज के बारे में बताया कि वह डॉ. वी राव और डॉ. कनक भूषण के साथ मिलकर जीनोम फाउंडेशन हैदराबाद में तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश के छोटे-छोटे बच्चे जो अपूर्ण दिमागी विकास यानी ऑटिज्म से पीड़ित थे, ऐसे लगभग 20 बच्चों का इलाज डीएनए गाइडेड माइक्रोबायोम मॉड्यूलेशन थेरेपी द्वारा किया गया. इस थेरेपी में फल या सब्जी, दही, कांजी, प्रोबायोटिक सप्लीमेंट, माइक्रो न्यूट्रिएंट और प्रोसेस फूड को बंद कर दिया जाता है.
इस थेरेपी से कुछ बच्चों में ग्रोथ दिखी
आगे बताया कि यहां पर कई ऐसे बच्चे भी आए थे, जो इस थेरेपी से 6 से आठ महीने में लाभान्वित हो चुके हैं. अब से कुछ वर्ष पहले तक यह माना जाता था कि ऑटिज्म एक लाइलाज बीमारी है और प्रभावित व्यक्ति व उनके परिवार को जीवन भर इसके साथ जीना होता है. लेकिन, वर्तमान में डीएनए गाइडेड माइक्रोबायोम मॉड्यूलेशन थेरेपी वरदान बनकर सामने आई है. इससे इस बीमारी का इलाज भी संभव हो पा रहा है. हालांकि, इसमें समय जरूर लग रहा है, लेकिन परिणाम अच्छे सामने आ रहे हैं.
इस तरह के लक्षण
डॉ. सुमित रावत ने बताया कि इस बीमारी की शुरुआत कुछ बच्चों में एक साल से ही हो जाती है. लेकिन, 18 से 24 महीनों के बीच ऑटिज्म के स्पष्ट संकेत देखने को मिलने लगते हैं. जैसे आंखें न मिला पाना, नाम सुनने पर प्रतिक्रिया न देना, सीखने में दिक्कत, सामान्य से कम या ज्यादा इंटेलीजेंसी, सामान्य गतिविधियों में दिक्कत, दूसरों से संपर्क में परेशानी, रोबोट की तरह आवाज होती है.