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Makar Snktranti 2023 : इस बार संक्रांति 14 को मनेगी या 15 जनवरी को होगी? सूर्य देव के रात्रि में मकर राशि में गोचर करने से संक्रांति को लेकर यह असमंजस पैदा हो गया है। ब्रज के प्रमुख ज्योतिषाचार्यों ने स्पष्ट किया है कि हिंदु धर्म में पर्व-त्योहार उदयातिथि में मनाए जाने की मान्यता होने से इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने का संयोग बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य अमित गौतम के अनुसार, सूर्य देव जब मकर राशि में गोचर करते हैं, उस समय मकर संक्रांति होती है। इस साल 14 जनवरी को रात 08.14 बजे सूर्यदेव मकर राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में मकर संक्रांति का क्षण 14 जनवरी को पड़ रहा है। सूर्य के मकर में प्रवेश के समय के कारण संक्रांति की तारीख को लेकर असमंजय पैदा हुआ है। ज्योतिषाचार्य डा. अरविंद मिश्र के मुताबिक, सूर्य की मकर संक्रांति का क्षण भले ही 14 जनवरी शनिवार की रात 08:14 बजे पड़ रहा है, लेकिन रात्रि प्रहर में स्नान और दान नहीं होता। इसके लिए उदयातिथि की मान्यता है यानि जब सूर्य उदय होंगे, उस समय मकर संक्रांति का स्नान और दान होगा। इस वर्ष 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
संक्रांति 2023 की खास बातें:
पंचांग के अनुसार, सूर्य की संक्रांति का क्षण 14 जनवरी रात 08:14 बजे
लेकिन रात्रि के प्रहर में स्नान और दान नहीं होता, उदयातिथि की मान्यता
ऐसे में इस वर्ष 15 जनवरी 2023 रविवार को मकर संक्रांति मनाई जाएगी
15 को संक्रांति का पुण्यकाल
07:15 बजे सुबह से शाम 05:46 बजे तक है संक्रांति का पुण्यकाल
07:15 बजे से सुबह 09:00 बजे तक 15 जनवरी को महा पुण्यकाल
रविवार का संयोग
संक्रांति रविवार को पड़ रही है, रविवार सूर्यदेव का दिन है। संक्रांति में भी सूर्य पूजा करते हैं। ऐसे में इसदिन अधिक फल प्राप्त होगा।
सूर्य होंगे उत्तरायण
मकर संक्रांति पर सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इस दिन से खरमास का समापन होगा और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।
तिल-तिल बढ़ेंगे दिन
सूर्य देव जब उत्तरायण होते हैं तो धीरे-धीरे दिन की अवधि बढ़ने लगती है। यानि सर्दी कम होने लगती है और तापमान बढ़ने लगता है।
इस तरह करें स्नान
गंगा या फिर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अन्यथा नहाने के पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान करने से ग्रह-दोष दूर होते हैं।
संक्रांति पर पूजन विधि
विष्णु स्तोत्र का पाठ करें। काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल फूल, अक्षत मिश्रित जल से सूर्य को नमस्कार कर तिल-जल अर्पित करें।
दान की परंपरा
संक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। घी, कंबल, तिल, गुड़, लड्डू, खिचड़ी, समेत सामर्थ्य के अनुसार जरुरतमंदों को दान करें।
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