Home Life Style मामा के आखिर पैर क्यों नहीं छूते हैं भांजे, 90% लोगों को नहीं है यह जानकारी, क्या कहता है धर्म शास्त्र?

मामा के आखिर पैर क्यों नहीं छूते हैं भांजे, 90% लोगों को नहीं है यह जानकारी, क्या कहता है धर्म शास्त्र?

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मामा के आखिर पैर क्यों नहीं छूते हैं भांजे, 90% लोगों को नहीं है यह जानकारी, क्या कहता है धर्म शास्त्र?

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हिंदू धर्म में पैर छूकर आशीर्वाद लेने की एक प्राचीन परंपरा है लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं, जिनमें पैरे छूकर आशीर्वाद नहीं लिया जाता. उनमें से एक हैं मामा और भांजे या भांजी का रिश्ता. मामा भांजे या भांजी के तो…और पढ़ें

मामा के आखिर पैर क्यों नहीं छूते हैं भांजे, 90% लोगों को नहीं है यह जानकारी

मामा के आखिर पैर क्यों नहीं छूते हैं भांजे

हाइलाइट्स

  • भांजे मामा के पैर नहीं छूते, यह परंपरा द्वापर युग से जुड़ी है.
  • मामा भांजे के पैर छू सकते हैं, भांजे मामा के नहीं.
  • भांजे मामा के मान दान होते हैं, इसलिए पैर नहीं छूते.

उत्तर भारत के ज्यादातर घरों में आपने देखा होगा कि भांजा, मामा या मामी पैर नहीं छूता है, हालांकि मामा, भांजे या भांजी के पैर छू सकता है. आखिर पैर छूकर आशीर्वाद लेना भारतीय समाज की परंपरा है तो भांजा मामा के पैर क्यों नहीं छू सकता. ज्यादातर लोग इस प्रथा के बारे में जानते हैं और बहुत से घरों में यह परंपरा आज भी निभाई जाती है लेकिन इसके पीछे की वजह कोई नहीं बताता. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे कि आखिर मामा भांजे के पैर क्यों नहीं छू सकता. दरअसल इसके पीछे की वजह के लिए कई मान्यताएं और द्वापर युग से जुड़ी एक कथा भी है, इसी वजह से भांजा, मामा के पैर नहीं छू सकता है.

मामा के लिए मानदान हैं भांजा या भांजी
मामा भांजे के पैर छू सकते हैं लेकिन भांजे मामा के पैर नहीं छू सकते. भगवत कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य बताते हैं कि भांजे, मामा के मान दान होते हैं. बहन के बेटे या बेटी और सभी सदस्य मान दान अर्थात पूजनीय होते हैं और उनका हमेशा सम्मान करना चाहिए और अपने से ऊपर स्थान देना चाहिए. ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि पिता अपनी बेटी के पैर छूकर कन्या दान करता है, उस प्रथा को ‘पांव पूजना’ कहा जाता है.

इसलिए नहीं छूए जाते हैं पैर
जिस स्त्री के पैर पिता ने छूए हों तो उस स्त्री के बेटे या बेटी को सम्मान देने का अधिकार उस पिता के लड़कों यानी मामा का है. यही वजह के मामा भांजे के पैर छू सकता है लेकिन भांजे मामा के पैर नहीं छू सकता. अगर भांजे मामा के पैर छूते हैं तो यह पाप के भागी बनते हैं. इसलिए ननद कभी भाभी के पैर नहीं छूती हैं. यह परंपरा सम्मान और आदर की भावना को दर्शाती है. भांजा और भांजी मामा-मामी के लिए पूज्यनीय होते हैं, इसलिए उन्हें पैर छूने की आवश्यकता नहीं होती.

एक नाव में भी नहीं बैठते साथ में
भांजे मामा के पैर नहीं छू सकते हैं, इसके पीछे की वजह द्वापर युग से भी जुड़ी हुई है. मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने कंस का उद्धार किया था, तब से यही नियम चला आ रहा है. इसी नियम के आधार पर आज भी चल रहे हैं और परंपराओं को निभाया जा रहा है. कई जगह तो यह भी मान्यता है कि मामा और भांजे को एक साथ नाव में नहीं बैठना चाहिए अन्यथा नाव पलटने का डर बना रहता है. इसके पीछे की कहानी यह है कि एकबार कंस भगवान कृष्ण को लेने गोकुल गए थे. उधर से आते समय दोनों नाव में बैठकर यमुना नदी को पार कर रहे थे, तभी बीच नदी में शेषनाग प्रकट हो गए और नाव पलट गई. मान्यता है कि तभी से मामा और मांजे एक नाव में नहीं बैठते.

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