Home Health कोविड के बाद तेजी से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, छोटे बच्चों पर भी खतरा, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके

कोविड के बाद तेजी से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, छोटे बच्चों पर भी खतरा, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके

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कोविड के बाद तेजी से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, छोटे बच्चों पर भी खतरा, डॉक्टर से जानें बचाव के तरीके

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Asthma Causes & Treatment: अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक बीमारी है. अस्थमा के कारण लोगों को सांस लेने में मुश्किल हो जाती है. इसे कंट्रोल करने के लिए इनहेलर और दवाएं दी जाती हैं. आजकल बच्चों में यह बीमारी तेजी से …और पढ़ें

कोविड के बाद तेजी से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, छोटे बच्चों पर भी बढ़ा खतरा

अस्थमा का सबसे अच्छा ट्रीटमेंट इनहेलर होता है.

हाइलाइट्स

  • डॉक्टर्स की मानें तो कोविड के बाद अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं.
  • चिंता की बात यह है कि इन दिनों बच्चों में अस्थमा के मामले बढ़ रहे हैं.
  • अस्थमा से बचाव के लिए प्रदूषण से बचें और इनहेलर का उपयोग करें.

World Asthma Day 2025: अस्थमा के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. कोविड महामारी के बाद तो अस्थमा ज्यादा कहर ढा रहा है. अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसके कारण लोगों को सांस लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. हर साल मई के पहले मंगलवार को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है. इन दिन का उद्देश्य लोगों को अस्थमा के बारे में जागरूक करना होता है. इस खास मौके पर डॉक्टर से अस्थमा से जुड़ी जरूरी बातें जान लेते हैं.

ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. राजेश कुमार गुप्ता ने News18 को बताया कि अस्थमा एक क्रोनिक डिजीज है, जिसमें फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है और वे सिकुड़ जाते हैं. इससे बलगम बनने लगता है और सांस लेना मुश्किल हो जाता है. एयर पॉल्यूशन, एलर्जी, धूल, धुआं और वायरल इंफेक्शन से अस्थमा हो सकता है. अगर परिवार में किसी को अस्थमा है, तो आगे की पीढ़ी में भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

डॉक्टर ने बताया कि कोविड के बाद कुछ लोगों में फेफड़ों की कमजोरी या सूजन के कारण अस्थमा जैसे लक्षण दिख रहे हैं. इस वक्त अस्पताल में आने वाले मामलों में लगभग 20 फीसदी मामले अस्थमा के हैं. अस्थमा दबे पांव बच्चों और वयस्कों की सांसों को कमजोर कर रहा है. कोरोना वायरस ने लोगों की इम्यूनिटी कमजोर करके अस्थमा को ज्यादा घातक बनाने का काम किया है. पिछले 3 साल में बच्चों में अस्थमा के मामले बढ़े हैं. कोविड के बाद कई ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिन्हें पहले हल्के एलर्जी के लक्षण होते थे, लेकिन अब उनमें अस्थमा के अटैक की फ्रीक्वेंसी और तीव्रता बढ़ गई है.

एक्सपर्ट के मुताबिक ठंडी हवा अस्थमा को ट्रिगर कर देती है और यही वजह है कि सर्दियों में अस्थमा की परेशानी ट्रिगर हो जाती है. गर्मी का मौसम आमतौर पर राहत देने वाला होता है लेकिन गेहूं की कटाई के समय पॉल्यूशन बढ़ने से परेशानी हो सकती है. इससे बचने के लिए मास्क पहनना और घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना फायदेमंद साबित हो सकता है. अस्थमा के ट्रीटमेंट की बात की जाए, तो इसका सबसे सुरक्षित और असरदार इलाज इनहेल्ड स्टेरॉयड है. इनहेलर दवा को सीधे फेफड़ों तक पहुंचाते हैं और इनके लंबे समय तक उपयोग से कोई गंभीर साइड इफेक्ट भी नहीं होते हैं.

डॉक्टर की मानें तो अस्थमा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ओरल स्टेरॉयड से कई समस्याएं हो सकती हैं. इनहेलर को लेकर लोगों में गलतफहमी होते हैं, लेकिन वही अस्थमा का सबसे अच्छा ट्रीटमेंट है. लोगों में अस्थमा को लेकर जागरुकता और सही जानकारी बेहद जरूरी है. अस्थमा से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि आप धूल, धुआं और प्रदूषित हवा से बचें. घर को साफ-सुथरा और हवादार रखें, नमी और फफूंदी से बचें. खुद को सर्दी-जुकाम से बचाएं. स्मोकिंग न करें और स्मोक करने वालों के पास न जाएं. नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी करें. अगर एलर्जी या सांस लेने में परेशानी हो, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर जांच कराएं.

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कोविड के बाद तेजी से बढ़ रहे अस्थमा के मरीज, छोटे बच्चों पर भी बढ़ा खतरा

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