Home Life Style बेहद खास है ये जाली वाला अचार, टिफिन में न दो तो बच्चे नहीं जाते स्कूल! जानिए दादी की खास रेसिपी

बेहद खास है ये जाली वाला अचार, टिफिन में न दो तो बच्चे नहीं जाते स्कूल! जानिए दादी की खास रेसिपी

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बेहद खास है ये जाली वाला अचार, टिफिन में न दो तो बच्चे नहीं जाते स्कूल! जानिए दादी की खास रेसिपी

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Famous Achaar Of Rampur: रामपुर का ये आम का अचार खासा फेमस है, खासकर बच्चे इसे खूब पसंद करते हैं. सालों से न इसका स्वाद बदला, न बच्चों का इसके लिए चाव.

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रामपुर

रामपुर का खास जाली वाला अचार, जिसे बच्चे कहते हैं बिना इसके स्कूल नहीं जाएंगे

हाइलाइट्स

  • रामपुर का आम का अचार बच्चों में बेहद लोकप्रिय है.
  • मोना चावला 1980 से जाली वाला आम का अचार बना रही हैं.
  • अचार का मसाला न ज्यादा तीखा होता है न ज्यादा खट्टा.

Famous Achaar Of Rampur:  हर जगहों पर कुछ खाने की चीजें इतनी फेमस होती हैं जो वहां की पहचान बन जाती हैं. अब रामपुर के इस अचार को ही ले लें. हालांकि अचार कोई अनोखी चीज नहीं है और हर जगह बनता है पर इस अचार के लिए बच्चों का लगाव देखते वाला है. रामपुर की मोना चावला साल 1980 से एक खास तरह का आम का अचार बना रही हैं, जिसे जाली वाला आम कहा जाता है. यह अचार खासतौर पर बच्चों को बहुत पसंद आता है. मोना बताती हैं कि कई बच्चे तो बिना इस अचार के स्कूल ही नहीं जाते.

कैसे होते है तैयार
अचार बनाने के लिए वे हरे छिलके वाला, बड़ा और गूदेदार आम चुनती हैं. आम को पहले धोकर साफ किया जाता है और फिर टुकड़ों में काटा जाता है. अगर आम बड़ा है तो 16 टुकड़े, छोटा है तो 8 और बहुत छोटा है तो 4 टुकड़े कर लिए जाते हैं.  जैसे अगर 12 किलो आम लिया जाए, तो धोने और काटने के बाद करीब 10 किलो आम बचता है. इसमें 1 किलो नमक और 1 किलो अचार का मसाला मिलाया जाता है. फिर इसे 4 घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दिया जाता है ताकि मसाले अच्छे से बैठ जाएं. इसके बाद 2 किलो तेल डालकर सब कुछ अच्छे से मिलाया जाता है.

ऐसे बनता है बच्चों का फेवरेट अचार
इस तरह तैयार होता है बच्चों का पसंदीदा चटपटा अचार. मोना बताती हैं कि इस अचार की खास बात इसका मसाला है, जो न ज्यादा तीखा होता है और न ज्यादा खट्टा. इसका स्वाद इतना मजेदार होता है कि लोग इसे बार-बार मंगवाते हैं. इस अचार की कीमत 240 रुपये है और इसे खासतौर पर बच्चों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. मोना कहती हैं कि चार दशक से भी ज्यादा वक्त हो गया, लेकिन आज भी बच्चे इसे उतना ही पसंद करते हैं, जितना पहले करते थे.

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