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यह दरार पूर्वी अफ्रीकी दरार घाटी (East African Rift Valley) क्षेत्र में स्थित थी। नेशनल ज्योग्राफिक के अनुसार, यह दरार 50 फीट से अधिक गहरी और 65 फीट चौड़ी है। दरार बनने से नैरोबी-नारोक हाईवे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। द कन्वर्सेशन की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी एक परिवर्तनशील ग्रह है, भले इस पर होने वाले बदलाव हमें पता न चलते हों। प्लेट टेक्टोनिक्स इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। लेकिन हर बार कुछ ना कुछ नाटकीय होता रहता है और इसने अफ्रीका के दो हिस्सों में बंटने को लेकर नए सिरे से सवाल खड़े कर दिए हैं।
दो हिस्सों में टूट जाएगा अफ्रीका?
वैज्ञानिकों ने आशंका जाहिर की थी कि भविष्य में इस दरार का विस्तार हो सकता है और अंततः अफ्रीका दो महाद्वीपों में टूट जाएगा। छोटे महाद्वीप में सोमालिया और केन्या के कुछ हिस्से, इथियोपिया और तंजानिया शामिल होंगे। जबकि बड़े महाद्वीप में बाकी देश शामिल होंगे। एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के भूविज्ञानी क्रिस्टी टिल ने कहा कि इसी तरह की एक दरार अंततः अटलांटिक महासागर बनाने के लिए अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों को अलग कर देगी। पूर्वी अफ्रीका में दिखी दरार इसके शुरुआती चरण हो सकते हैं।
कैसे पड़ती हैं दरारें?
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया बहुत धीरे-धीरे होती है और इसमें लाखों साल लगते हैं। दरार पैदा होने से कुछ दिन पहले इलाके में भूकंपीय गतिविधि दर्ज की गई थी। धरती का ऊपरी हिस्सा क्रस्ट और मेंटल से बना होता है। इसे लिथोस्फेयर कहते हैं। यह कई टेक्टॉनिक प्लेटों में बंटा होता है जो अलग-अलग स्पीड से आगे बढ़ती रहती हैं। ये प्लेट्स लिथोस्फेयर के नीचे मौजूद एस्थेनोस्फेयर के ऊपर खिसकती हैं जिससे डायनैमिक फोर्स पैदा होता है। यह फोर्स कभी-कभी प्लेट्स को तोड़ देता है जिससे धरती में दरारें पड़ जाती हैं।
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