Wednesday, April 16, 2025
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फौज में भर्ती के लिए यहां औरतों का होता था वर्जिनिटी टेस्ट! फेल होने पर ऐसे मिलती थी सजा; जानें क्या था कारण


आज के समय में महिलाएं, पुरुषों की तुलना में किसी भी मामले में कम नहीं हैं. वो कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं और कई मामलों में पुरुषों से बेहतर भी कर रही हैं. उसके बावजूद कई देश ऐसे हैं जो महिलाओं को कम आंकते हैं और उनके प्रति ऐसे नियम कानून बनाए हुए हैं जो अपमानजनक होने के साथ-साथ उन्हें छोटा भी दिखाते हैं. ऐसी ही नियम एक एशियाई देश में भी था जहां औरतों को फौज में भर्ती होने के लिए वर्जिनिटी टेस्ट (Virginity test for women in Army) देना पड़ता था. पर अब इस नियम पर रोक लगा दी गई है.

हम बात कर रहे हैं इंडोनेशिया की. ये एक मुस्लिम देश है, ऐसे में यहां औरतों पर कई तरह की पाबंदियां हैं. पर सबसे ज्यादा हैरान करने वाला नियम आर्मी में भर्ती होने का था जो लंबे वक्त से इंडोनेशिया (Indonesia Virginity test in army) की वुमेन राइट्स एक्टिविस्ट्स की आंखों में खटकता था. पूरी दुनिया में भी इस नियम की आलोचना होती थी. दरअसल, इंडोनेशिया में पहले ये नियम था कि अगर किसी महिला को फौज में भर्ती होना है तो उन्हें वर्जिनिटी टेस्ट देना पड़ेगा.

क्या होता है वर्जिनिटी टेस्ट?
इस टेस्ट को टू फिंगर टेस्ट (Two Finger Test) भी कहते हैं. इसके तहत महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में दो उंगलियां डालकर चेक करते हैं कि कुंवारी है या उसने कभी फिजिकल रिलेशन बनाए हैं. इस टेस्ट के तहत असल में महिलाओं के हाइमन की मौजूदगी की जांच की जाती थी. हाइमन प्राइवेट पार्ट के अंदर पतली परत होती है, पर बचपन में खेलकूद करने या एक्सरसाइज करने से भी वो नष्ट हो जाती है. ऐसे में डॉक्टर्स का भी यही कहना है कि हाइमन जांचने से ये नहीं पता लगता कि महिला ने कभी शारीरिक संबंध बनाए हैं या नहीं. इस लिहाज से ये टेस्ट पूरी तरह फिजूल और निर्थक था. इससे कहीं ज्यादा महिलाओं के लिए अपमानजनक था.

इस कारण से होता था वर्जिनिटी टेस्ट
जिन महिलाओं के हाइमन नहीं डिटेक्ट होते थे, उन्हें सजा के रूप में भर्ती प्रक्रिया से तो बाहर कर ही दिया जाता था, साथ में उनके पास नेवी, आर्मी या किसी भी सुरक्षाबल में शामिल होने का अधिकार भी छीन लिया जाता था. यहां की सरकार का मानना था कि वर्जिनिटी टेस्ट वो महिलाओं के नैतिकता की जांच कर रहे हैं. इंडोनेशिया में लंबे वक्त तक डॉक्टर्स और वुमन राइट्स एक्टिविस्ट ने इसका विरोध किया क्योंकि ये टेस्ट कुछ भी साबित नहीं करता है. साल 2021 में इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया गया और इस फैसले का यहां खूब स्वागत किया गया.

Tags: Ajab Gajab news, Trending news, Weird news



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