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रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को एक साल पूरा होने वाला है। इसी बीच यूक्रेन के सांसदों को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘संदेश’ याद आ रहा है, जहां उन्होंने युद्ध से बचने की बात कही थी। सांसद का कहना है कि रूस को उनका संदेश समझना चाहिए था। हाल ही में भारत में जर्मनी के राजदूत डॉक्टर फिलिप एकरमैन ने भी युद्ध को रोकने में भारत की भूमिका पर बात की है।
बुधवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में यूक्रेन के सांसद वादिम हलाईचुक ने कहा, ‘हम पीएम मोदी के वाक्य (यह युद्ध का युग नहीं है) के आभारी हैं। भारत के आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य वजन और क्षमता को देखते हुए, हमें भरोसा है कि रूस ने उस संदेश को सुना होगा।’ 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी थी।
16 सितंबर को समरकंद में SCO शिखर सम्मेलन के समय पीएम मोदी ने युद्ध का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ‘आज का युग युद्ध का नहीं है।’ साथ ही उन्होंने खाद्य, ईंधन सुरक्षा समेत कई परेशानियों से निपटने पर जोर देने की बात कही थी।
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से उन्होंने (रूस ने) कोई समझ नहीं दिखाई। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि संदेश को दोहराया जाएगा, क्योंकि रूस को यह साफ हो गया है कि युद्ध को जारी रखने के लिए उनके पास समर्थन नहीं है।’ युद्ध के शुरुआती दौर को सांसद ने याद किया। उन्होंने कहा कि नागरिक ढांचों पर बम गिराए गए, क्योंकि रूस को लगता था कि इससे रूस में सभी को डराया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सांसद ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद से हमें आक्रमण करने वालों से लड़ना होगा। हम नहीं मानते की रूस ने युद्ध रोकने में कोई गंभीरता दिखाई है। सीजफायर के लिए अभी कोई बातचीत नहीं हुआ है, क्योंकि हमें रूसी पक्ष की ओर से गंभीर बातचीत की इच्छा नजर नहीं आती।’ उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ताजा भाषण का हावाला दिया और कहा कि क्रेमलिन का बातचीत का कोई मकसद नहीं है।
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