Monday, December 23, 2024
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Opinion: नॉर्थ ईस्ट में PM मोदी के विकास के कामों का प्रतिफल, चुनावी नतीजों में साफ दिखाई दिया


हाइलाइट्स

पूर्वोत्तर के तीन प्रमुख राज्यों में बीजेपी और उसके गठबंधन ने सत्ता वापसी की.
त्रिपुरा में बीजेपी ने अपने दम पर एक बार फिर भगवा परचम लहराया है.
नगालैंड में बीजेपी के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिल गया है.

नई दिल्ली. एंटी इनकंबेंसी (anti incumbency ) जैसे चुनावी चोंचलों को अब वोटर ही नजरअंदाज कर रहे हैं. ये बात अब भारत के सूदूर पूर्वी सीमा पर बसे राज्यों के विधानसभा चुनावों (North East Elections) में बीजेपी और सहयोगियों की बढ़त से साबित हो गई है. पूर्वोत्तर (North East) के तीन प्रमुख राज्यों में बीजेपी और उसके गठबंधन ने मिल कर सत्ता में रहते हुए भी फिर से विधानसभा चुनाव में बढ़त ली है. त्रिपुरा में तो कांग्रेस और लेफ्ट ने अपनी विचारधारा को ताक पर रखते हुए चुनावी समझौते भी किए, लेकिन जनता ने उन्हें भी धूल चटा दी. त्रिपुरा में बीजेपी तो अपने दम पर सत्ता पर काबिज थी और एक बार फिर 2023 में वहां भगवा परचम लहराया है.

जबकि मेघालय में बीजेपी की सहयोगी एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है और नगालैंड में बीजेपी के गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिल गया है. पिछले साल ही असम में बीजेपी अपने दम पर दोबार सरकार बनाने में सफल हुई थी. सवाल तो यही उठता है कि जिस नार्थ ईस्ट मे सरकारें पांच साल पूरीं नहीं कर पातीं थीं या फिर हर पांच साल पर एक सरकार का तख्ता पलट जाता था. वहां आखिर क्या हो रहा है कि जनता अब सत्ता पर काबिज पार्टियों पर ही भरोसा जता रही है. जनता का ऐसा भरोसा संयोग नहीं हो सकता.

PM मोदी ने पूर्वोत्तर के विकास को दी प्राथमिकता
2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के सत्ता संभालने के बाद पूर्वोत्तर भारत के पूर्ण विकास की नई कहानी लिखी गई है. पूर्वोत्तर को लेकर दिल्ली की सोच में आए इस बदलाव का नतीजा है कि पूर्वोत्तर अब भारत के विकास का गेटवे बन रहा है. देश की आजादी के बाद सभी प्रधानमंत्री पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर जितनी बार गए हैं, प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी अकेले उससे कहीं अधिक बार पूर्वोत्तर जा चुके हैं. पीएम मोदी लगभग 51 बार पूर्वोत्तर के राज्यों का दौरा कर चुके है. पीएम मोदी ने ये सुनिश्चित किया कि हर 15 दिन में कोई न कोई केंद्रीय मंत्री पूर्वोत्तर के दौरे पर जाते रहें और वहां के विकास कार्यों का जायजा लेते रहें. इससे यहां विकास को तेज रफ्तार मिल रही है. पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ (Local for Global) के मंत्र ने पूर्वोत्तर के विकास को गति दी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार के अपने चुनावी भाषण में पूरे नॉर्थ-ईस्ट को अष्टलक्ष्मी का स्वरूप दिया और इन राज्यों में इसे विकास, कनेक्टिविटी, आधारभूत संरचना का विकास, आईटी, औद्योगिक विकास, स्पोर्ट्स, निवेश और जैविक खेती का बड़ा हब बनाया है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हीरा (HIRA) अर्थात् हाइवे, इनलैंड वाटरवे, रेलवे और एयरवे के विकास पर जोर दिया है. इससे पूर्वोत्तर के राज्यों, शेष भारत और दिल्ली के बीच की दिल की दूरियां खत्म हुई हैं. नॉर्थ ईस्ट की युवा शक्ति के लिए डिजिटल कनेक्टिविटी (digital connectivity) से नए अवसर बनाए जा रहे हैं. 2014 की तुलना में नॉर्थ ईस्ट में ऑप्टिकल फाइबर की कवरेज लगभग 4 गुना बढ़ी है. मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए हजारों मोबाइल टॉवर लगाए जा रहे हैं. नॉर्थ ईस्ट के आदिवासी क्षेत्रों में डेढ़ सौ से अधिक एकलव्य मॉडल स्कूल बनाए जा रहे हैं. इस बजट में एकलव्य मॉडल स्कूलों में 38,800 शिक्षकों की भर्ती का प्रावधान भी किया गया है. पर्वतमाला योजना से यहां पर्यटन स्थलों में सुविधा बढ़ेगी और टूरिज्म का विकास भी होगा. खेलों को लेकर भी केंद्र सरकार आज एक नई अप्रोच के साथ आगे बढ़ रही है जिसका सबसे अधिक लाभ पूर्वोत्तर को हुआ है. याद दिला दें कि ये बीजपी की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार थी जिसने अलग से पूर्वोत्तर मंत्रालय का गठन किया था.

शांति की ओर अग्रसर पूर्वोत्तर के राज्य
बीते 8 वर्षों में अनेक संगठनों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है, स्थाई शांति की राह पकड़ी है. नॉर्थ ईस्ट में AFSPA की आवश्यकता ना पड़े, इसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. पीएम मोदी ने खुद ऐलान किया है कि इसे हटाने के लिए स्थितियां बनाई जा रहीं हैं. लगभग 60 प्रतिशत हिस्सों से AFSPA को हटा लिया गया. Disturbed Area Notification का एरिया भी काफी सीमित हो गया है. पूर्वोत्तर में आठ हजार से ज्यादा उग्रवादियों ने हथियार डालकर शांति और अमन की राह पकड़ी है. NLFT समझौता, बोडो समझौता, कार्बी-ओंग्लोंग समझौता, ब्रू-रियांग समझौता- इन सभी समझौतों ने पूर्वोत्तर में शांति और विकास की स्थापना में काफी सहायता की है. आजादी के बाद लंबे समय तक देश में और पिछली सरकारों में ये सोच रही थी कि बॉर्डर एरिया में विकास होगा तो दुश्मन को फायदा होगा. इस नकारात्मक सोच के कारण पूर्वोत्तर सहित देश के सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर नहीं हो पाई.

तभी राज्यों के बीच दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाया जा रहा है. मोदी सरकार के लिए नॉर्थ ईस्ट आखिरी छोर नहीं, बल्कि सुरक्षा और समृद्धि का गेट-वे है. वाइब्रेंट बॉर्डर विलेज के तहत सीमावर्ती गांवों में बेहतर सुविधाओं को विकसित करने पर बल दिया जा रहा है. पीएम मोदी ने अपनी एक चुनावी रैली में कहा था कि अब तक देश में जिनकी सरकारें रहीं, उनकी नॉर्थ ईस्ट के लिए ‘डिवाइड’ की सोच थी और हम ‘डिवाइन’ (DEVINE) का इरादा लेकर आए हैं. DEVINE योजना से कायाकल्प हो रहा है. पीएम-डिवाइन योजना में 2022-23 से 2025-26 (15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्षों) तक चार साल की अवधि में 6,600 करोड़ रुपये खर्च होगा. साथ ही पीएम-डिवाइन परियोजनाओं को वर्ष 2025-26 तक पूरा करने का प्रयास किया जाएगा.

आदिवासी समाज का विकास
मोदी सरकार का ऐजेंडा ही है, सभी समुदायों और इलाकों के बीच हर प्रकार के विभाजन को दूर करना. नॉर्थ ईस्ट में बीजपी का दावा है कि वे विवादों के बॉर्डर नहीं बल्कि विकास के कॉरिडोर बना रहे हैं. पार्टी की शांति और विकास की नीति का सबसे अधिक लाभ जनजातीय समाज को हुआ है. आदिवासी समाज की परंपरा, भाषा-भूषा, खान-पान, संस्कृति को बनाए रखते हुए आदिवासी क्षेत्रों का विकास हमारी प्राथमिकता है. बांस को पेड़ की श्रेणी से हटा कर घास की श्रेणी में लाया गया. इससे बांस से जुड़े आदिवासी उत्पादों के निर्माण को बल मिला. यहां कई वन धन केंद्र स्थापित किए गए हैं. ये नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि जो लोग मतदान का बहिष्कार करने का मन बना चुके थे, उन्होंने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में आस्था व्यक्त करते हुए लोकतंत्र के इस उत्सव में भाग लिया.

पूर्वोत्‍तर क्षेत्र ने पिछले छह वर्ष के दौरान कृषि उत्‍पादों के निर्यात में 85 प्रतिशत की बढोत्‍तरी दर्ज की है. पूर्वोत्तर क्षेत्र से कृषि उत्पाद निर्यात वित्त वर्ष 2016-17 के 2.52 मिलियन डॉलर से बढ़ कर, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 17.2 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. पूर्वोत्‍तर क्षेत्र ने पिछले छह वर्ष के दौरान कृषि उत्‍पादों के निर्यात में 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है. एपीडा ने क्षेत्र से 80 उभरते उद्यमियों तथा निर्यातकों का क्षमता निर्माण, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों, खाद्य प्रसंस्करण में कौशल विकास तथा प्रशिक्षण, बागवानी संबंधी ऊपज पर मूल्य संवर्धन आदि जैसी कई अन्य परियोजनाएं भी आरंभ की हैं.

कनेक्टिविटी बढ़ाने में झोंकी ताकत
पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा शत प्रतिशत विद्युतीकरण का टारगेट पूरा कर लिया गया. मेघालय को 100 साल बाद दूसरा रेलवे स्टेशन मिला. ‘एक्ट-ईस्ट’ विदेश नीति का लाभ पूर्वोत्तर के राज्यों को मिल रहा है. भारत-म्‍यांमार-थाइलैंड सुपर हाईवे इसी का नतीजा है. पूर्वोत्तर क्षेत्र में हवाई अड्डों की कुल संख्या 16 से अधिक हो गई है. 1947 से 2014 तक इस पूर्वोत्तर क्षेत्र में केवल 9 हवाई अड्डे बनाए गए थे. पहले दूर-दराज के सीमावर्ती गांवों को अंतिम गांव माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों को देश का पहला गांव मान कर काम किया है. ऐसे में पूर्वोत्तर का विकास सरकार की प्राथमिकता बन गया है. पर्यटन हो या व्यापार, टेलीकॉम हो या टेक्सटाइल, पूर्वोत्तर को सर्वोच्च प्राथमिकता मिलती है. पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास योजना 2017 में शुरू की. इसके तहत 3,000 करोड़ रुपये की लागत से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन दिया. पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र विकास के लिये 90 करोड़ की योजना लाए. इस योजना से विशेषकर मणिपुर, त्रिपुरा और असम के पर्वतीय क्षेत्रों को लाभ मिला. पूर्वोत्तर में निवेश को बढ़ावा देने के लिये 2017 में 12वां पूर्वोत्तर व्यापार शिखर सम्मेलन का आयोजन किया.

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आलम ये ही अब आईएएस और सिविल सेवा में शामिल होते ही प्रशिक्षण के दौर में ही इन अफसरों का नार्थ ईस्ट के राज्यों में जाकर गांवो में रहना और विकास के कार्यों में उनकी भूमिका अनिवार्य कर दी गई है. वो दौर गया जब मंत्री सप्ताहांत पर आराम कर रहे होते थे. अब बारी-बारी से सबको नार्थ ईस्ट के राज्यों में जाना पड़ता है. अपने मंत्रालय के कार्यों का जायजा लेना और सरकार के कार्यक्रमों के बारे में लोगों को बताने का होम वर्क जरूर पूरा करना होता है. बीजेपी संगठन के लिए भी पूरे साल समीक्षा और कार्यक्रम चलते रहते हैं. सरकार की योजनाओं का फायदा हर समाज और हर तबके को मिल रहा है. इसलिए ये मात्र संयोग नहीं हो सकता कि पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी दोबारा जीती हो. ये जनता और वोटरों का भरोसा ही है कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’ का नारा इन सीमावर्ती राज्यों में भी सफल हो रहा है.

Tags: Assembly elections, BJP, North East, Pm narendra modi



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