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हाइलाइट्स
लाल कलर में मर्करी सल्फाइड होता है. मर्करी सल्फाइड बेहद खतरनाक टॉक्सिन है जिससे स्किन कैंसर हो सकता है.
वाटर कलर में जेंशन वायलेट होता है. यह हाईली टॉक्सिन होता है.
Chemical Holi Side Effects: साल में एक बार आती है होली और होली में रंगों से सरोबार न हो तो मजा नहीं आता लेकिन यह मजा सजा में बदल सकती है. इसलिए रंगों में सरोबार होने से पहले 10 बार यह समझने की कोशिश करें कि खतरनाक रसायनों से बने रंगों से कितनी तरह की बीमारियां हो सकती है. जी हां, होली में रंगों का इस्तेमाल जरूर करें लेकिन संभल कर करें क्योंकि जिस कलर का आप इस्तेमाल करते हैं उसमें सिलिका, निकल, कॉपर, मर्करी, जिंक, एस्बेस्टस जैसे टॉक्सिक पदार्थ मिले होते हैं जिनसे कैंसर सहित कई बीमारियों का खतरा रहता है.
सर गंगाराम अस्पताल नई दिल्ली में डर्मेटोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ ऋषि पाराशर कहते हैं जितने केमिकल कलर होते हैं उतने तरह के इसमें हानिकारक टॉक्सिन होते हैं. डॉ पाराशर ने बताया कि पहले के जमाने में जिस तरह की होली खेली जाती थी, अगर उसी तरह से नेचुरल होली खेली जाए तो इससे कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन यदि आप केमिकल वाले कलर का इस्तेमाल करते हैं तो इससे स्किन ही नहीं बल्कि कई अन्य तरह की परेशानियां हो सकती हैं.
जितने तरह के कलर उतनी तरह की बीमारियां
डॉ. ऋषि पाराशर ने बताया कि केमिकल वाले काले कलर में लेड ऑक्साइड होता है. लेड ऑक्साइड से किडनी फेल्योर हो सकता है. ग्रीन कलर में कॉपर सल्फेट होता है जो आंखों में एलर्जी दे सकता है और इससे आंखों की दृष्टि भी जा सकती है. सिल्वर कलर में एल्युमिनियम ब्रोमाइड होता है जो कैंसर का कारण बन सकता है. ब्लू कलर में प्रशियन ब्लू होता है जिसके कारण कंटेक्ट डर्मेटाइटिस हो सकता है. स्किन में एग्जिमा हो सकता है. लाल कलर में मर्करी सल्फाइड होता है. मर्करी सल्फाइड बेहद खतरनाक टॉक्सिन है जिससे स्किन कैंसर हो सकता है. वाटर कलर में जेंशन वायलेट होता है. यह हाईली टॉक्सिन होता है. डॉ. ऋषि पाराशर ने बताया कि जो सूखे रंग के जो गुलाल होते हैं उसमें भी हैवी मेटल मिलाया जाता है. हैवी मेटल में सिलिका, लेड, निकल, कॉपर, मर्करी, रिंक, एस्बेस्टॉस मिले होते है. इन सब हैवी मेटल से निमोनिया, एग्जिमा, आंख, लिवर और किडनी में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं. प्रेग्नेंट लेडी में इसका सबसे अधिक घातक असर होता है. वहीं पेट में पल रहे बच्चे को भी इससे नुकसान होता है.
लड़कियों ने इन खतरनाक केमिकल से बचना चाहिए
डॉ. ऋषि पराशर कहते हैं कि जहां तक संभव हो, इन कलर से बचना चाहिए. खासकर बच्चे, बुजुर्ग और प्रेग्नेंट महिलाओं को इन खतरनाक रंगों से होली नहीं खेलनी चाहिए. जिन लोगों को कोविड के कारण परेशानी झेलनी पड़ी है, उन्हें भी इस तरह के रंगों से होली नहीं खेलनी चाहिए. डॉ. पाराशर ने कहा कि टीनएज की लड़कियों को केमिकल वाले रंगों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इन कलर के साइड इफेक्ट के कारण चेहरे पर स्कार या धब्बे पड़ सकते हैं जो हमेशा के लिए रह सकते हैं. यह भविष्य में हमेशा परेशानी दे सकते हैं. वहीं केमिकल वाले कलर से चेहरे पर स्थायी दाग या पिगमेंटेशन की समस्या हो सकती है. यह सब युवा उम्र में लड़कियों के सौंदर्य को बिगाड़ सकता है. छोटे बच्चों के लिए भी यह बहुत हानिकारक है.
शरीर को नुकसान न हो, इसके लिए क्या करें
डॉ. ऋषि पाराशर ने बताया कि बेहतर है कि आप इन खतरनाक रंगों से होली खेले ही न. अगर खेलनी है तो आंखों के उपर काला चश्मा लगा लें. अगर चेहरे को ढकने के लिए बड़ा चश्मा है तो यह और बेहतर है. वही सिर पर टोपी पहन लें. केमिकल वाले रंगों के साइड इफेक्ट से बचने के लिए होली खेलने से पहले पूरी स्किन पर तेल लगा लें. जैसे ही केमिकल वाला कलर चेहरे पर आए, उसे तुरंत पानी से साफ कर लें. हमेशा बाल्टी में पानी रखें. रंग छुड़ाने के लिए सॉफ्ट साबुन का इस्तेमाल करें. कुछ लोग डिटर्जेंट साबुन का इस्तेमाल करते हैं जो गलत है. कुछ क्रीम साथ में रखें. अगर स्किन में ज्यादा जलन या खुजली है तो आप कुछ सामान्य क्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं. खुजली की के लिए एंटी हिस्टामिन की दवा रखें. अगर स्किन में ज्यादा जलन है या बहुत अधिक खुजली है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
किस रंग से खेलें होली
इनके लिए सबसे बेहतर यही रहेगा कि टेसू के फूल से होली खेलें. इसके साथ ही आप बेसन से पीला रंग बना सकते हैं. कुंकुम से लाल रंग बना सकते हैं. संतरे के छिल्के से रंग बना सकते हैं. नीम के पत्ते से हरा रंग बना सकते हैं. केसर से केसरिया रंग बना सकते हैं. डॉ. पाराशर ने कहा कि ऑर्गेनिक कलर से कम नुकसान है लेकिन मिलावटी होने पर इससे नुकसान ज्यादा होगा. इसलिए बड़ी दुकान या अच्छी कंपनी का ऑर्गेनिक कलर खरीदना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : March 08, 2023, 05:40 IST
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