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हाइलाइट्स
30 की उम्र होने के बाद थायराइड फंक्शन टेस्ट से पता लगा सकती हैं कि थायराइड हॉर्मोंस का स्तर सामान्य है या नहीं.
महिलाओं की उम्र 30 वर्ष से अधिक हो जाए तो प्रत्येक 6 महीने में फुल-बॉडी चेकअप कराती रहें.
Important Health Checkup for Women: महिलाओं की उम्र बढ़ने के साथ उनके शरीर में कुछ बदलाव आने लगते हैं. ये बदलाव उनके लुक, हड्डियों, हॉर्मोन्स और समग्र स्वास्थ्य में हो सकते हैं. 30 की उम्र के बाद महिलाओं की हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं. उनके हॉर्मोन्स में असंतुलन होने लगता है. मांसपेशियों की क्षमता कम होने लगती है और यहां तक की प्रजनन संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. ऐसे में उम्र बढ़ने के साथ शरीर की सेहत को बनाए रखना और इन बदलावों के लिए तैयार रहना बहुत ज़रूरी है. यदि आपकी उम्र 30 वर्ष से अधिक है तो आप इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल (नई दिल्ली) की ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक गायनोकोलॉजी की सीनियर कंसलटेंट डॉ. सारिका गुप्ता के बताए इन महत्वपूर्ण टेस्ट को ज़रूर करा लें, ताकि आप लंबी उम्र तक स्वस्थ और फिट रह सकें.
थायराइड फंक्शन टेस्टः थायरॉक्सिन (टी4) और ट्राईआयोडोथॉयरोनिन (टी3), ये थायराइड ग्लैंड से उत्पन्न होने वाले दो प्रमुख हॉर्मोन हैं, जो शरीर के मेटाबॉलिज़्म पर नियंत्रण बनाए रखते हैं. अगर ये हॉर्मोन सामान्य से अधिक या कम मात्रा में बनने लगें तो इसे क्रमशः हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराइडिज्म कहते हैं. महिलाओं में थायराइड से जुड़ी समस्याओं की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है. आप थायराइड फंक्शन टेस्ट के द्वारा पता लगा सकती हैं कि आपके शरीर में थायराइड हॉर्मोंस का स्तर सामान्य है या नहीं.
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पैप स्मियर टेस्ट और पेल्विक जांचः पैप स्मियर टेस्ट में सर्विक्स की सेल्स की जांच कर यह पता लगाया जाता है कि महिला में सर्वाइकल कैंसर की संभावना तो नहीं. इस जांच के द्वारा सर्वाइकल कैंसर का निदान बहुत जल्दी हो जाता है. इससे समय पर इलाज किया जा सकता है. इसके अलावा, पेल्विक जांच में महिला के प्रजनन अंगों जैसे वल्वा, गर्भाश्य, वेजाइना, ओवरीज आदि की जांच की जाती है. सभी महिलाओं को सलाह दी जाती है कि 21 साल की उम्र के बाद उन्हें हर दो या तीन साल बाद नियमित रूप से पेल्विक जांच एवं पैप स्मियर टेस्ट ज़रूर कराने चाहिए.
मैमोग्राम टेस्टः मैमोग्राम में डॉक्टर स्तनों की स्क्रीनिंग कर स्तन कैंसर का पता लगाते हैं. 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं में स्तन कैंसर की संभावना अधिक होती है. हालांकि, समय पर निदान के द्वारा महिला की ज़िंदगी को बचाया जा सकता है. कैंसर के फैलने से पहले ही अगर इलाज हो जाए तो मरीज के जीवित रहने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. इसके लिए मैमोग्राम बहुत उपयोगी है, जो कैंसर के जल्द निदान में मदद करता है.
ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल की जांचः अगर आप 30 साल की हो गई हैं तो समय आ गया है कि आप अपने कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को गंभीरता से लें. 20 साल की उम्र के बाद हर व्यस्क को हर दो साल में ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए. चाहे आप अपने आप को कितना ही स्वस्थ महसूस करती हों, आपको अपना कॉलेस्ट्रॉल ज़रूर चेक करवाना चाहिए. वजन अधिक है या डायबिटीज है, तो कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने की संभावना अधिक होती है.
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कैल्शियम और विटामिन डी टेस्टः ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डियों को कमज़ोर होने से रोकने के लिए ज़रूरी है कि आप अपनी बोन डेंसिटी ठीक बनाए रखें. ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो दुनिया भर में बड़ी संख्या में महिलाओं में पाई जाती है. हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अपने विटामिन डी और कैल्शियम के स्तर पर निगरानी रखें. नियमित जांच के द्वारा आप तय कर सकती हैं कि क्या आपको विटामिन डी सप्लीमेंट्स की ज़रूरत है या नहीं.
ब्लड शुगर लेवल की जांच भी है जरूरी: उपरोक्त हेल्थ चेकअप के अलावा, महिलाओं को अपने ब्लड शुगर, त्वचा में होने वाले बदलावों पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि 30 की उम्र के बाद नए मस्से, तिल होना आम बात है. साथ ही हर 6 महीने में अपना फुल-बॉडी चेकअप कराना न भूलें.
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Tags: Health, International Women Day, Lifestyle, Women Health
FIRST PUBLISHED : March 08, 2023, 14:59 IST
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