Wednesday, December 18, 2024
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सुजाता को देवीशंकर अवस्थी सम्मान, ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ के लिए मिलेगा सम्मान


युवा लेखिका और आलोचक सुजाता को वर्ष 2022 के ‘डॉ देवीशंकर अवस्थी सम्मान’ के लिए चुना गया है. सुजाता की पुस्तक ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ को यह सम्मान देने की घोषणा हुई है. देवीशंकर अवस्थी सम्मान की चयन समिति में शामिल राजेन्द्र कुमार, नन्द किशोर आचार्य, अशोक वाजपेयी और कमलेश अवस्थी ने सुजाता की पुस्तक को सम्मान देने के लिए चुना है. सुजाता को यह पुरस्कार 5 अप्रैल को दिल्ली में सहित्य अकादमी के सभागार में प्रदान किया जाएगा. इससे पहले आलोचक एवं कवि अच्युतानंद मिश्र को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. अच्युतानंद मिश्र को उनकी पुस्तक ‘कोलाहल में कविता की आवाज’ के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया था.

पुरस्कार की घोषणा करते हुए चयन समिति ने कहा कि ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ में सुजाता ने विस्तार से विचार, आलोचना और सृजन में स्त्री पक्ष की स्थिति का गम्भीरता और अध्यवसाय के साथ विश्लेषण किया है. यह पुस्तक आलोचना के क्षेत्र में एक विचारशील और वांछित हस्तक्षेप है.

युवा लेखिका, आलोचक और कवयित्री सुजाता समकालीन हिंदी साहित्य में एक चर्चित नाम हैं. हाल ही में उनकी दो नई पुस्तकें ‘पंडिता रमा बाई’ और ‘एक बटा दो’ प्रकाशित हुई हैं. देवीशंकर अवस्थी से सम्मानित सुजाता की कृति ‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है.

‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ सुजाता को अस्मिता-विमर्श की संश्लिष्ट धारा की प्रतिनिधि के रूप में सामने लाती है. वह गहन शोध द्वारा इतिहास के विस्मृत पन्नों से दमित अभिव्यक्तियों की निशानदेही करती हैं और समकालीन सृजन की बारीक परख भी.

‘आलोचना का स्त्री पक्ष’ पुस्तक में तीन भाग हैं. पहले भाग (पद्धति) में स्त्रीवाद की अवधारणा, उसकी भाषा, उसके कर्तव्यों पर मुख्य रूप से लिखा गया है. दूसरे भाग (परंपरा) में साहित्येतिहास में विभिन्न दौर के रचनाकारों और उनकी रचनाओं के माध्यम से स्त्री पक्ष को समझने की कोशिश की गई है और तीसरे भाग (पाठ) में वर्तमान हिंदी साहित्य की कुछ चर्चित कवियों यथा अनामिका, सविता सिंह और निर्मला पुतुल के हवाले से स्त्री-पक्ष पर गौर किया गया है.

पुरस्कार की घोषणा पर सुजाता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है- “सबसे पहला शुक्रिया उन पाठकों का जिन्होंने आलोचना की एक किताब को पढ़ा, सराहा, प्यार दिया इतना कि 4 महीने में ही दूसरा संस्करण आ गया. नतमस्तक हूं इस प्रेम के प्रति. रचना पाठक के लिए है तो आलोचना भी. शोधकर्ता भी पहले पाठक है और आलोचक भी. मेरे इस विश्वास को दृढ़ करने के लिए शुक्रिया.”

देवीशंकर अवस्थी सम्मान
बता दें कि प्रतिवर्ष आलोचना साहित्य के लिए दिए जाने वाले प्रतिष्ठित देवीशंकर अवस्थी सम्मान की शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी. यह सम्मान 45 वर्ष तक के युवा आलोचक लेखकों को दिया जाता है.

प्रसिद्ध आलोचक देवीशंकर अवस्थी का जन्म 5 अप्रैल, 1930 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के सथनी बाला खेड़ा गांव में हुआ था. देवीशंकर अवस्थी ने कानपुर के डी.ए.वी. कॉलेज से हिन्दी में एमए की डिग्री हासिल की. वे उसी कॉलेज में हिंदी विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हो गए. अध्यापन के दौरान ही उन्होंने साहित्य सृजन शुरू कर दिया है. कानपुर में रहते हुए देवीशंकर अवस्थी ने ‘कविता 1954’ का अजित कुमार के साथ संपादन किया. ‘कलजुग’ पत्रिका निकाली. युगचेतना, ज्ञानोदय, नयी कहानियां आदि पत्रिकाओं में आलोचनात्मक लेखन शुरू किया. 1961 से जनवरी 1966 तक वे दिल्ली विश्वविद्यालय के सांध्यकालीन सत्र में प्राध्यापक रहे. एक सड़क दुर्घटना के कारण 13 जनवरी, 1966 को उनका निधन हो गया.

1995 में पहला ‘डॉ देवीशंकर अवस्थी सम्मान’ मदन सोनी को प्रदान किया था. इसके बाद पुरुषोत्तम अग्रवाल, विजय कुमार, शंभुनाथ, ज्योतिष जोशी, संजीव कुमार, विनोद तिवारी, वैभव सिंह आदि रचनाकारों को इस सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है.

Tags: Books, Hindi Literature, Hindi Writer, Literature



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