Wednesday, March 12, 2025
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BJP दफ्तर से तय होते हैं BSP प्रत्याशी, अखिलेश यादव के वार पर मायावती के भतीजे का पलटवार, कहा- शिवपाल पर निशाना


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बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशियों को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के हमले पर सोमवार को मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने पलटवार किया। आकाश आनंद ने अखिलेश यादव के बयान को मानसिक कुंठा करार दिया। आकाश आनंद ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव के तानाशाही अंदाज के कारण लड़े शिवपाल सिंह यादव के कारण सपा को हार मिली है। 

अखिलेश यादव ने रविवार को सीतापुर में कहा था कि बसपा के प्रत्याशी भाजपा कार्यालय से तय होते हैं। वह भी जीतने के लिए नहीं बल्कि सपा को हराने के लिए। इसी का जवाब देते हुए आकाश आनंद ने ट्वीट करते हुए अखिलेश यादव पर पलटवार किया। 

आकाश आनंद ने लिखा कि माननीय अखिलेश यादव जी आपका ये बयान आपकी मानसिक कुंठा को दर्शाता  है। राजनैतिक गलियारों के साथ-साथ आपके कार्यकर्ता भी ये जानते हैं कि आप चुनाव इसलिए हारे क्योंकि आपके चाचा आपके तानाशाही अंदाज के खिलाफ चुनाव लड़े थे।

आकाश आनंद का इशारा शिवपाल सिंह यादव की तरफ था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दारौन सपा और बसपा ने गठबंधन किया था लेकिन इसके बाद भी यूपी में केवल 15 सीटें ही जीत सके थे। उस समय शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच तनातनी चल रही थी। 

लोकसभा चुनाव के बाद ही सपा-बसपा का गठबंधन टूट गया। दोनों पार्टियों ने अलग-अलग विधानसभा का चुनाव लड़ा। सपा भले ही सरकार बनाने लायक सीटें नहीं जीत सकी लेकिन उसकी सीटें और वोट बढ़ गए थे। बसपा बुरी तरह पराजित हो गई थी। बसपा को केवल एक सीट ही मिल सकी थी। 

कई सीटों पर समाजवादी पार्टी बहुत कम वोटों से चुनाव हारी थी। इन सीटों पर चुनाव हारने का ठीकरा उसने बसपा पर ही फोड़ा था। रविवार को भी अखिलेश यादव ने बसपा को सपा की हार के लिए जिम्मेदारी बताते हुए निशाना साधा था। 

सीतापुर के महमूदाबाद के पोखरा कला में पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह वर्मा के भाई व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष महेंद्र सिंह वर्मा की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में पहुंचे अखिलेश ने कहा कि बसपा के प्रत्याशी भाजपा कार्यालय से तय होते हैं। वह भी जीतने के लिए नहीं बल्कि सपा को हराने के लिए।

अखिलेश ने कहा कि वर्ष 2022 में भी भाजपा ने रणनीति बनाकर हराया। हम तो महमूदाबाद, सीतापुर, महोली में कम वोटों से हारे और बाराबंकी के कुर्सी में जीतते-जीतते हारे। हिसाब लगाओ अगर साढ़े तीन लाख मत और मिल गए होते सपा की सरकार होती।

सपा की नजरें बसपा के दलित बोटों पर

असल में सपा की नजरें अब बसपा के दलित वोटों पर हैं। यही वजह है कि अखिलेश यादव लगातार जातीय जनगणना की मुद्दा उठा रहे हैं। रविवार को भी उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिए बगैर कहा कि गुजरात वालों ने देश के साथ धोखा किया है। गुजरात और उत्तर प्रदेश की जनता बदलाव चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा अगर जातीय जनगणना नहीं कराती है तो समाज में भेदभाव बढ़ता जाएगा। उन्होंने केंद्र और प्रदेश सरकार के रामराज्य लाने के दावे पर तंज कसा है।

अखिलेश ने योगी पर निशाना साधते हुए कहा था कि समाजवाद से ही रामराज्य की शुरुआत होती है। हमें समाजवाद विरासत में मिला है। इस शब्द का मतलब जिन्हें समझ में नहीं आता है उन्हें समझा भी नहीं सकते। खासतौर पर सबका साथ-सबका विकास की बातें करने वालों को।



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