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H3N2 Influenza Virus Dos And Dos And Don’ts: बड़ों की तुलना में बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है। यही वजह है कि उन्हें कोई भी संक्रमण बहुत जल्दी अपना शिकार बना लेता है। फिलहाल देशभर में इन्फ्लुएंजा ए के सब टाइप H3N2 वायरस का प्रकोप फैला हुआ है। डॉक्टरों की मानें तो यह एच3एन2 वायरस बच्चों के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। दरअसल, इन्फ्लुएंजा A H3N2 ‘मौसमी फ्लू’ जैसा एक संक्रामक रोग है। जो किसी पीड़ित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली बूंदों द्वारा दूसरे व्यक्ति के हाथों और सतह पर बूंदों के संपर्क में आने से फैल सकता है।
क्या है H3N2 वायरस?-
दरअसल इन्फ्लुएंजा वायरस ही सांसों में होने वाले संक्रमण का कारण बनता है। यह वायरस इतना खतरनाक है कि यह पक्षियों और स्तनधारियों को भी संक्रमित कर सकता है। रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार पक्षी और अन्य जानवरों में, यह वायरस कई तरह से फैल गया है। बता दें, एच3एन2 इन्फ्लुएंजा ए वायरस का ही एक सबटाइप है, जो व्यक्ति को होने वाले इन्फ्लुएंजा का सबसे बड़ कारण है।
H3N2 वायरस के लक्षण-
डॉक्टर बताते हैं कि बच्चों के लिए एच3एन2 नाम का यह वायरस काफी खतरनाक हो सकता है। फ्लू होने पर बच्चों को बुखार, खांसी, गले में खराश उल्टी, दस्त, शरीर में पानी की कमी, कमजोरी महसूस हो सकती है। इतना ही नहीं इस वायरस से पीड़ित बच्चे को रिकवर होने में भी ज्यादा समय लग रहा है। चिंता की बात यह है कि इस वायरस की वजह से बच्चों को निमोनिया होने का खतरा भी बना रहता है, जिससे उनकी जान भी खतरे में पड़ सकती है।
माता-पिता ऐसे रखें बच्चों का ध्यान-
पीडियाट्रिशियन की मानें तो एच3एन2 की वजह से होने वाला निमोनिया गंभीर हो सकता है, इस वायरस से पीड़ित बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाने से लेकर गंभीर मामलों में मृत्यु तक हो सकती है। हालांकि ज्यादातर मामलों में बच्चे उपचार के बाद ठीक हो जाते हैं। बावजूद इसके माता-पिता को बच्चों की सेहत का ध्यान रखना चाहिए। अगर खांसी एक सप्ताह से अधिक समय से है, तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। बच्चों को तेज बुखार, बदन दर्द और सिरदर्द होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। इस वायरस को लेकर बरती गई लापरवाही आगे चलकर सांस संबंधी परेशानियों को न्यौता दे सकती हैं, जो कि खतरनाक हो सकता है।
वायरस से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान-
टीकाकरण करवाएं-
H3N2 को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका बच्चे को टीका लगवाना है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों के फ्लू से बीमार होने पर उनमें गंभीर जटिलताएं विकसित होने की संभावना अधिक बनी रहती है।
हाथों को बार-बार धोएं-
अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोने के अलावा यह सुनिश्चित करें कि इस्तेमाल किए जाने वाला हैंड सैनिटाइजर अल्कोहल बेस्ड हो। ऐसा करने से फ्लू पैदा करने वाले कीटाणुओं के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है।
खांसते और छींकते समय मुंह को ढक लें-
खांसते या छींकते समय, कीटाणुओं को फैलने से रोकने के लिए अपने मुंह और नाक पर टिश्यू पेपर या कोहनी से ढक लें।
बीमार होने पर घर पर रहें-
यदि आप या आपका बच्चा फ्लू से बीमार हैं, तो वायरस को दूसरों तक फैलाने से बचने के लिए घर पर ही रहें।
स्वस्थ खाएं और हाइड्रेटेड रहें-
स्वस्थ आहार खाने और हाइड्रेटेड रहने से प्रतिरक्षा प्रणाली अच्छी बनी रहती है, जिससे व्यक्ति को संक्रमण से लड़ना आसान हो जाता है।
वायरस से बचे रहने के लिए भूलकर भी न करें ये गलतियां –
चेहरे और मुंह को न छुएं-
अपने चेहरे और मुंह पर बार-बार हाथ लगाने से बचें, ऐसा करने से आपके हाथ पर लगे कीटाणु फैलकर आपको बीमार कर सकते हैं।
भोजन और ड्रिंक्स को शेयर न करें-
भोजन और ड्रिंक्स को एक दूसरे के साथ शेयर करने से आप बीमार पड़ सकते हैं।
लक्षणों को न करें अनदेखा-
यदि आप या आपका बच्चा बुखार, खांसी और गले में खराश जैसे फ्लू के लक्षणों को महसूस कर रहा है, तो समस्या को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं।
इन टिप्स को ध्यान रखकर आप अपने घर के बच्चों और बुजुर्गों को H3N2 इन्फ्लुएंजा से बीमार होने से बचा सकते हैं।
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