Home Life Style Smartphones Users Study: स्‍टडी में बड़ा खुलासा, 88 फीसदी लोगों के शादीशुदा र‍िश्‍ते खराब करने की बड़ी वजह बन रहे ‘स्‍मार्टफोन’

Smartphones Users Study: स्‍टडी में बड़ा खुलासा, 88 फीसदी लोगों के शादीशुदा र‍िश्‍ते खराब करने की बड़ी वजह बन रहे ‘स्‍मार्टफोन’

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Smartphones Users Study: स्‍टडी में बड़ा खुलासा, 88 फीसदी लोगों के शादीशुदा र‍िश्‍ते खराब करने की बड़ी वजह बन रहे ‘स्‍मार्टफोन’

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हाइलाइट्स

स्‍मार्टफोन यूजर्स ने माना इन-पर्सन एंगेजमेंट अधिक आराम देने वाले होते हैं
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्‍नई, समेत कई शहरों के यूजर्स पर क‍िया सर्वे
पत्‍नी- पत्‍नी दोनों समान रूप से हर रोज औसतन 4.7 घंटे स्मार्टफोन पर बिताते हैं

नई दिल्ली. ज‍िस तरह से टेक्‍नॉलोजी का तेजी से व‍िस्‍तार हो रहा है और स्‍मार्ट ड‍िवाइस लोगों के जीवन में एक अहम रोल न‍िभा रहे हैं, उसके कुछ नुकसानदायक पहलू भी सामने आ रहे हैं. इसका खुलासा स्‍मार्ट ड‍िवाइस बनाने वाली एक बड़ी कंपनी वीवो (Vivo India) द्वारा हाल ही में की गई स्‍ट्डी में हुआ है. स्‍टडी में खुलासा हुआ है क‍ि स्‍मार्टफोन (Smartphones) भले ही आपके रूटीन का बड़ा ह‍िस्‍सा बन गए हों लेक‍िन इसके अध‍िक इस्‍तेमाल की वजह से भारत में वैवाह‍िक र‍िश्‍ते खराब हो रहे हैं. यह स्‍टडी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्‍नई, हैदराबाद, बैंगलुरु, अहमदाबाद और पुणे में 1,000 स्‍मार्टफोन यूजर्स के सर्वेक्षण के आधार पर की गई है.

इंड‍ियन एक्‍सप्रेस की एक र‍िपोर्ट के मुताब‍िक वीवो (Vivo India) की ओर से साइबरमीडिया रिसर्च के साथ म‍िलकर ‘स्विच ऑफ’ स्‍टडी की गयी ज‍िसका व‍िषय ‘स्मार्टफोन और मानव संबंधों पर उनके प्रभाव 2022’ रखा गया. इस स्‍टडी में पाया गया है क‍ि 67 फीसदी लोग अपने पति या पत्नी के साथ समय बिताने के दौरान भी फोन पर ही होते हैं.

वहीं, 89 फीसदी ने यह भी कहा क‍ि वे जितना संभव हो सके, अपने जीवनसाथी के साथ आराम से बातचीत करने में कम समय बीताते हैं. इस स्‍टडी से न‍िष्‍कर्ष न‍िकाला गया क‍ि स्मार्टफोन यूजर इस बात से भी सहमत हैं कि इन-पर्सन एंगेजमेंट अधिक आराम देने वाले होते हैं और वे ऐसा करने में कम समय लगाते हैं.

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स्‍टडी र‍िपोर्ट की माने तो 84 फीसदी स्‍मार्टफोन यूजर्स का कहना है क‍ि वह अपने जीवनसाथी के साथ अधिक समय बिताना चाहते हैं. वह समस्याओं को स्वीकार कर रहे हैं और बदलने को भी तैयार हैं. वहीं 88 फीसदी यूजर्स का मानना है क‍ि स्मार्टफोन का बढ़ता उपयोग या दखल उनके जीवनसाथी के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा रहा है. करीब 90 फीसदी लोग अपने जीवनसाथी के साथ सार्थक बातचीत के लिए अधिक खाली समय देना चाहेंगे.

हर रोज औसतन इतने घंटे स्‍मार्टफोन पर ब‍िताते हैं दंपति
स्‍टडी के पर‍िणामों की बात करें तो पत्‍नी और पत्‍नी दोनों समान रूप से हर रोज औसतन 4.7 घंटे स्मार्टफोन पर बिताते हैं. इसके अलावा, 73 फीसदी लोगों ने यह भी स्वीकार किया है कि पति या पत्‍नी के साथ समय बिताने के बजाय फोन पर ज्‍यादा समय ब‍िताते हैं.

स्‍मार्टफोन पर रहते कुछ कहने पर 70 फीसदी च‍िढ़ जाते हैं
यह भी तथ्य सामने आया है क‍ि 70 फीसदी लोग अपने स्मार्टफोन में डूबे रहने पर अपने पति या पत्नी के कुछ मांगने पर चिढ़ जाते हैं. स्‍टडी के मुताब‍िक 66 फीसदी लोगों को लगता है कि स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग ने उनके जीवनसाथी के साथ उनके रिश्ते को कमजोर कर दिया है.

वीवो इंडिया हेड (ब्रांड रणनीति) योगेंद्र श्रीरामुला ने कहा क‍ि आज के जीवन में स्मार्टफोन का महत्व निर्विवाद है, लेकिन इसके ज्‍यादा उपयोग से यूजर्स को सावधान रहने की जरूरत है. उन्‍होंने यह भी कहा है क‍ि एक जिम्मेदार ब्रांड के रूप में हम अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने के महत्व को रेखांकित करना चाहते हैं, क्योंकि यही खाली समय का सही अर्थ है.

88 फीसदी यूजर्स खाली समय फोन पर बिताते हैं
र‍िपोर्ट की माने तो करीब 88 फीसदी यूजर्स अपना खाली समय स्‍मार्टफोन पर ही ब‍िताते हैं और यह उनके व्‍यवहार का एक ह‍िस्‍सा बन गया है. वहीं, 90 फीसदी ने स्‍मार्टफोन यूज को आराम करने का सबसे पसंदीदा तरीका माना है.

पता चला है क‍ि हर स्‍मार्टफोन यूजर्स के पास हर रोज करीब डेढ़ घंटे का वक्‍त खाली होता है. उनमें से ज्यादातर अपना खाली वक्‍त फैमिली के साथ बिताना पसंद करते हैं. हालांकि, परिवार के साथ समय बिताने के दौरान वे अपना स्मार्टफोन साथ रखते हैं. हालांक‍ि करीब दो घंटे का वक्‍त लेन-देन की बातचीत और आराम से चैट पर बिताया जाने वाला औसत समय करीब समान है.

इस स्‍टडी में यह भी खुलासा हुआ है क‍ि 89 फीसदी यूजर्स कुछ खाली समय मिलते ही अपने स्मार्टफोन तक पहुंचने की इच्छा महसूस करते हैं. व्यवहार के अध्‍ययन से पता चलता है कि 88 फीसदी यूजर्स स्मार्टफोन पर अपना खाली समय बिताने को जीवन का एक हिस्सा बना चुके हैं.

Tags: Lifestyle, Mobile Phone, Smartphone

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