हाइलाइट्स
पहले मिल चुका है गुजरात सरकार की तरफ से गुजरात गौरव सम्मान
दादा और पिता भी संतवाणी गाया करते थे
शुरुआत में वह आरटीओ ऑफिस में काम करते थे
Padma Shri Awards 2023: कहते हैं जिंदगी में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और एक मुकाम पाने के लिए कड़े संघर्ष के साथ सफर तय करना पड़ता है. कुछ ऐसा ही सफर तय किया है गुजरात राजकोट से पद्मश्री अवार्डी हेमंत चौहान ने… विरासत में अपने दादा और पिता से संगीत को आगे ले जाने का सफर उन्होंने संघर्ष के साथ तय किया और आज नई ऊंचाइयों पर अपनी पहचान बनाई है.
दादा और पिता से मिली विरासत
राजकोट (गुजरात) के रहने वाले 68 वर्षीय पद्मश्री अवार्डी हेमंत चौहान (Padma Shri Awardee Hemant Chauhan) ने बताया कि उनके दादा और पिता भी संतवाणी गाया करते थे. उन्हीं को देखते-देखते उन्होंने भी संगीत में अपना मन लगाना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि शुरुआत में वह आरटीओ ऑफिस में काम करते थे और आरटीओ ऑफिस में रहते-रहते भक्ति संगीत के लिए समय नहीं मिल पाता था. ऐसे में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपने आप को पूरे तरीके से भक्ति संगीत को समर्पित कर दिया.
हेमंत चौहान ने बताया कि कला एक साधना है और इसे सच्चा भक्त ही ठीक तरीके से सीख सकता है. उन्होंने इस साधना के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है. घंटों-घंटों तक रियाज करते हैं और खुद को संगीत में डुबो दिया है. उन्होंने बताया कि गुजराती और हिंदी दोनों भाषाओं में वह भजन गाते हैं और इस भजन ने उन्हें एक नई पहचान दी है.
संतवाणी का आशीर्वाद
पद्मश्री पाने के बाद News18 से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने बताया कि जिस तरीके से वह संतवाणी गाते हैं और जो सम्मान उन्हें आज मिला है, पद्मश्री के रूप में वह संतों का ही आशीर्वाद है. संतों की कृपा है जो उन्हें इतना बड़ा गर्व करने का मौका मिला है क्योंकि ईश्वर की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है.
देश-विदेश में मिली पहचान
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने संतवाणी गाने की शुरुआत की तो कभी नहीं सोचा था कि जिंदगी में बड़े मौके मिलेंगे. लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने जब गाना शुरू किया तो उन्हें लगा कि सौराष्ट्र तक वह सिर्फ अपने इस भजन को गाकर पहचान बना पाएंगे. लेकिन सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें देश-विदेश में पहचान मिलेगी. उन्होंने बताया कि नवरात्रों के दिनों में वह अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया में जाकर अपनी भजन प्रस्तुति देते हैं. इसके साथ ही पूरे भारत में भी अलग-अलग जगह पर जाकर उन्हें अपनी भजन संध्या देने का कई बार मौका मिला है.
स्टूडियो बनाकर अपने जैसे और भी गायक तैयार करने का सपना
उन्होंने बताया कि भजन उनके लिए एक औषधि की तरह है, जड़ी-बूटी की तरह है. बिना भक्ति संध्या के उनके जीवन में कुछ भी नहीं है. उनका सपना है कि वह अपने ही जैसे और भी बच्चों को धार्मिक संगीत के लिए प्रशिक्षित करें.
उन्होंने बताया लेकिन आजकल के युवा सिर्फ मशहूर होने के लिए गायकी के क्षेत्र में आना चाहते हैं. लेकिन गायकी की कला एक साधना है जिसमें खुद को लीन करना पड़ता है और जो सच्चे मन से धार्मिक संगीत सीखना चाहते हैं. उनको सिखाने के लिए बिल्कुल तैयार हैं. लेकिन जो मशहूर होने के लिए गायकी के क्षेत्र में आना चाहते हैं, वह सच्ची साधना नहीं कर पाते.
उन्होंने बताया कि उनका बेटा मयूर और बेटी गीता भी उनके साथ भजन गीत गाते हैं. धार्मिक गीत गाते हैं और उन्होंने अपना एक स्टूडियो तैयार किया है, जिसमें वह अपने सभी भजनों को रिकॉर्ड करते हैं. उनका पूरा काम उनका बेटा मयूर संभालता है.
भक्ति गीत में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
पद्मश्री अवार्डी हेमंत चौहान ने बताया कि उन्हें गुजरात सरकार की तरफ से गुजरात गौरव सम्मान, राष्ट्रपति सम्मान भी मिल चुका है. इसके साथ ही उन्होंने 8,000 से अधिक धार्मिक भजन गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया है और अब पद्मश्री उनके लिए गर्व का पल है. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इतना बड़ा सम्मान मिलेगा. पद्मश्री मिलने के बाद उन्होंने कहा कि एक सम्मान मिलने के बाद उस का सम्मान करना सबसे बड़ी चुनौती होती है और एक बड़ी जिम्मेदारी आती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) उन्हें पंखिड़ा (Pankhida) के नाम से जानते हैं और उनके लिए बेहद गर्व का पल है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें उनके संगीत से पहचानते हैं.
आज के समय में प्रोफेशन बनी गायकी
हेमंत चौहान ने कहा कि पहले के जो कलाकार हैं, जो गायक हैं उनके लिए संगीत साधना है. लेकिन आज के समय में संगीत के क्षेत्र में कई बदलाव देखने के लिए मिल रहे हैं. युवा इसे प्रोफेशन समझने लगे हैं और सिर्फ मशहूर होने के लिए वह गायकी के क्षेत्र में आते हैं. इतना ही नहीं कई बार ऐसे उल जुलूल गीत भी गाते हैं, जो गायकी का अपमान है.
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Tags: Bhajan, Padma Shri, Padma Shri Award
FIRST PUBLISHED : April 06, 2023, 16:31 IST