Wednesday, December 18, 2024
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Chapra: 100 साल से बरकरार है इस रसगुल्ले का अनोखा स्वाद, अब बेटा संभाल रहा है विरासत


रिपोर्ट- विशाल कुमार
छपरा. रसगुल्ला का नाम सुनते ही आपको बंगाली रसगुल्ले याद आ जाते होंगे. छपरा में भी एक बंगाली परिवार पिछले 100 साल से रसगुल्ले बना रहा है और इसके रसगुल्ले इतने फेमस हैं कि खाने के लिए छपरा के साथ-साथ आसपास के जिलों के लोग भी पहुंचते हैं. लगभग 100 साल पहले इस बंगाली परिवार ने रसगुल्ले बनाने की शुरुआत की थी और धीरे-धीरे यह इतना मशहूर हो गया कि जिस गली में घोष मिष्ठान की दुकान थी वह गली रसगुल्ला गली के नाम से फेमस हो गई.

रसगुल्ले कि इस विरासत को संभाल रहे अभिजीत घोष ने बताया कि उनके पिताजी ने इसकी शुरुआत की थी और आज वह इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनके पिताजी से रसगुल्ला खाने वाले लोग आज भी उनके दुकान पर आते हैं और वही स्वाद पाकर उन्हें बधाई और शुभकामना भी देते हैं.

हर दिन बनते हैं हज़ारों रसगुल्ले
पहले यह रसगुल्ला हाथ से बनता था लेकिन अब रसगुल्ले की डिमांड इतनी ज्यादा है कि इस परिवार ने पूरा ऑटोमेटिक मशीन स्थापित कर लिया है. आज इनके फैक्ट्री में प्रतिदिन हजारों रसगुल्ले बनते है लेकिन इन्होंने अपने पुराने अंदाज को नहीं छोड़ा और शुद्धता के साथ-साथ क्वालिटी का भी पूरा ख्याल रखते हैं.

100 साल से बना रहे हैं रसगुल्ले
घोष मिष्ठान के नाम से कई फर्जी लोगों ने भी छपरा में दुकान खोली थी. लेकिन लोगों ने उसे नकार दिया और आज भी एक छोटी सी दुकान छपरा के लोगों को 100 साल पहले वाला रसगुल्ला खिला रहा है. अभिजीत घोष बताते हैं कि उनका परिवार छपरा में ही बस गया है और छपरा के लोगों के प्यार स्नेह को देखते हुए आगे भी रसगुल्ले का सफर जारी रहेगा.

क्या है रसगुल्ले की कीमत?
अभिजीत घोष ने कहा, ‘मेरे यहां काफी सस्ता और अच्छा रसगुल्ला दिया जाता है. जिसके वजह से लोगों की भीड़ उमड़ती है. उन्होंने कहा कि ₹10 पीस में एक रसगुल्ला बेची जाती है. जबकि ₹250 किलो छेना का रसगुल्ला हमारे यहां लोगों को उपलब्ध कराया जाता है. जिसका स्वाद काफी अच्छा लगता है और इसे जो एक बार चख लेता है उसे दोबारा खाने के लिए खरीदारी करने आता है’.

आगे भी जारी रहेगा सफर
उन्होंने आगे कहा, ‘जिस विश्वास के साथ लोग मेरे यहां मिठाई खरीदारी करने आते हैं.उसी विश्वास के साथ मैं आगे भी लोगों को छेना का मिठाई खिलाते रहूंगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह मेरे पूर्वजों की दी हुई विरासत है मैं इसे खोना नहीं चाहता हूं और छपरा वासियों का जो प्यार स्नेह मिलता है मैं इसे भी खोना नहीं चाहूंगा.

Tags: Chapra, Food



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