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नई दिल्ली. पिछले कुछ वर्षों के दौरान दिल्ली में कांग्रेस के पास तीन बड़े चेहरे रहे हैं – दिवंगत शीला दीक्षित, अजय माकन और संदीप दीक्षित… और उन तीनों की अक्सर ही आपस में नहीं बनती दिखी. लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि कई बार कोई एक मुद्दा परस्पर विरोधी लोगों भी एक साथ ले आता है.
आज, जब कांग्रेस ‘अध्यादेश’ के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का समर्थन करने को लेकर दुविधा में फंसी हुई है. दिल्ली कांग्रेस के दो ‘नेता’ इसे लेकर एकमत हैं और आखिरकार सहमत दिख रहे हैं.
अजय माकन पर बड़े आरोप लगा चुके हैं संदीप दीक्षित
वर्ष 2016 में संदीप दीक्षित ने अजय माकन पर जानबूझकर उनकी मां और पूर्व सीएम शीला दीक्षित की छवि खराब करने का आरोप लगाया था. उस वक्त माकन दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष थे. तब पूर्वी दिल्ली के तत्कालीन सांसद दीक्षित ने कहा था, ‘उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर कैग की रिपोर्ट का झूठा सारांश तैयार किया, मनगढ़ंत आरोप लगाए और सीएजी रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले ही उसे एक मीडिया हाउस को भेज दिया.’
वर्ष 2015 में, जब कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में अपनी सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा था, तब शीला दीक्षित ने भी माकन पर खराब रणनीति और योजना का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि ‘चुनाव अभियान में दिशा, दृष्टि और आक्रामकता का अभाव है.’
हालांकि तब दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी पीसी चाको ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री के रूप में दीक्षित के कार्यकाल ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा था, ‘उन्होंने जो नहीं किया, पानी, बिजली और अनधिकृत कॉलोनियों के मुद्दे, शायद पार्टी के खिलाफ गए.’
उस दौरान इन नेताओं के बीच कड़वाहट इतनी बढ़ गई थी कि जब वर्ष 2019 में शीला दीक्षित का निधन हुआ तो उनके परिवार ने चाको को इसका एक कारण बताया. उन्होंने चाको पर पूर्व सीएम को इतना मानसिक तनाव देने का आरोप लगाया, जो उनकी मौत का कारण बना.
AAP के मुद्दे पर अजय माकन और शीला दीक्षित में भी थे मतभेद
हालांकि वर्ष 2018 आते-आते माकन और शीला दीक्षित के बीच रिश्तों में नरमी आती दिख रही थी और वह उनके पास पहुंचे. तब एक पेचीदा मुद्दा यह था कि क्या कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए AAP के साथ गठबंधन करना चाहिए? माकन और चाको जहां इसके पक्ष में थे, तो वहीं शीला दीक्षित ने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
आज AAP ने एक बार फिर से कांग्रेस को विभाजित कर दिया है. हालांकि इस मुद्दे ने दो परस्पर विरोधी नेताओं को एक साथ ला दिया है. अध्यादेश के मुद्दे पर आप को किसी भी तरह का समर्थन देने के विरोध की बात आती है तो संदीप दीक्षित और अजय माकन दोनों इस पर एकमत हैं. दोनों ने राहुल गांधी और अन्य शीर्ष नेताओं को कुछ बातें बताई हैं.
पहला यह है कि अध्यादेश के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल को समर्थन न देने का एकमात्र कारण यह है कि वह भविष्य में उनके खिलाफ सतर्कता कार्रवाई की संभावना से बचना चाहते हैं.
माकन ने केजरीवाल को समर्थन न देने की बताई वजह
माकन कहते हैं, ‘इस बात की संभावना है कि उन्हें 10 साल तक की जेल हो सकती है और वह इससे बचना चाहते हैं.’ उन्होंने राहुल गांधी को यह भी बता दिया है कि ‘अगर आप किसी दिन पीएम बन गए तो केजरीवाल जो चाह रहे हैं उसका इस्तेमाल आपके खिलाफ भी किया जा सकता है.’
संदीप और माकन दोनों ने स्पष्ट कर दिया है कि अरविंद केजरीवाल का समर्थन विपक्षी एकता के लिए महत्वपूर्ण लग सकता है, लेकिन इस समर्थन के परिणाम गंभीर होंगे क्योंकि आप कांग्रेस की कीमत पर आगे बढ़ेगी. और ऐसा कोई भी समर्थन पार्टी काडर को हतोत्साहित ही करेगा.
राजनीतिक रूप से, संदीप और माकन दोनों अपने राजनीतिक भविष्य में एक चौराहे पर हैं. संदीप के मध्य प्रदेश पर अधिक ध्यान केंद्रित करने से, AAP को कोई भी समर्थन केवल दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के मूल वोटों को खा जाएगा. इसलिए, उनके एक साथ आने का अच्छा राजनीतिक अर्थ निकलता है.
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FIRST PUBLISHED : June 28, 2023, 05:30 IST
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