पंजाब (Punjab) में भगवंत मान (Bhagwant Mann) की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार (AAP Government) ने शुक्रवार को अपना पहला पूर्ण बजट पेश किया। बजट पेश होने के कुछ ही घंटों बाद पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के वाइस चांसलर राज्य सरकार पर भड़क उठे और फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर पंजाबियों से संस्थान को बचाने की अपील की है।
दरअसल, राज्य के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने शुक्रवार को पंजाब विधानसभा में 1.96 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया। इस बजट में आप सरकार ने पिछले बजट से 12 फीसदी अधिक राशि का आंवटन करते हुए स्कूली और उच्च शिक्षा के लिए कुल 17,072 करोड़ रुपये का आवंटन किया है लेकिन पंजाबी यूनिवर्सिटी के कुलपति का कहना है कि राज्य सरकार ने उनकी यूनिवर्सिटी को सिर्फ 164 करोड़ रुपये ही आंवटित किए हैं जो मांगी गई रकम 360 करोड़ रुपये से आधी से भी कम है।
यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अरविंद कुमार ने शुक्रवार को सरकार के इस कदम का सार्वजनिक रूप से विरोध किया और “सभी पंजाबियों” से अनुदान बढ़ाने और संस्थान को बंद होने से “बचाने” के लिए सरकार पर दबाव बनाने का आह्वान किया। कुमार ने इसके लिए फेसबुक का सहारा लिया, जिस पर उन्होंने पांच मिनट का वीडियो जारी किया है।
विश्वविद्यालय के आधिकारिक फेसबुक पेज पर जारी एक वीडियो बयान में अरविंद कुमार ने कहा कि पंजाब सरकार ने विश्वविद्यालय द्वारा मांगे गए 360 करोड़ रुपये के मुकाबले केवल 164 करोड़ रुपये आवंटित करके “क्रूर मजाक” किया है।
शुद्ध पंजाबी में बोलते हुए कुलपति ने अपने पांच मिनट के संदेश में कहा कि कम आवंटन के साथ विश्वविद्यालय चलाना असंभव है। उन्होंने कहा कि अगर फंड की कमी के कारण विश्वविद्यालय बंद हो जाता है तो “यह पंजाब और पंजाबियत की मौत की घंटी होगी।”
कुलपति कुमार एक प्रसिद्ध क्वांटम भौतिक विज्ञानी है, जिन्होंने पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), मोहाली में डीन के रूप में कार्य किया था। कुमार को अप्रैल 2021 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान तीन साल के लिए पंजाबी विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया था। तब राज्य का नेतृत्व कैप्टन अमरिंदर सिंह कर रहे थे।
कुमार के पूर्ववर्ती कुलपति, प्रोफेसर बी.एस.घुमन जो लोक प्रशासन के एक अनुभवी अकादमिक थे, ने विश्वविद्यालय में बड़े वित्तीय संकट की वजह से ही नवंबर 2020 में इस्तीफा दे दिया था।
अपने वीडियो बयान में अपने बयान में कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय का वार्षिक वेतन बिल 468 करोड़ रुपये का है, जो प्रति माह 39 करोड़ रुपये होता है। उन्होंने कहा, “अगर हम पानी, बिजली बिल आदि के लिए और 100 करोड़ रुपये जोड़ते हैं, तो विश्वविद्यालय का कुल बजट लगभग 575 करोड़ रुपये है। इसमें से यूनिवर्सिटी फीस और संबद्धता के जरिये 200 करोड़ रुपये जुटाने में हम सक्षम है।” उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकार को स्पष्ट कर दिया था कि 360 करोड़ रुपये के अनुदान के बिना, “हमारे लिए विश्वविद्यालय को चला पाना असंभव होगा।”
उन्होंने कहा कि यह हाल तब है, जब यह सरकार दावा करती है कि शिक्षा और चिकित्सा उसकी प्राथमिकता सूची में है। पिछले साल राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने भी कहा था कि वह राज्य में शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाएंगे और कर्ज से बाहर निकालेंगे।