Thursday, November 7, 2024
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Air India पेशाब कांड: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और DGCA को जारी किया नोटिस, SOP तैयार करने को कहा


नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)ने फ्लाइट में पैसेंजर्स द्वारा पेशाब करने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए एसओपी तैयार करने का केंद्र सरकार, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और विमानन कंपनियों को निर्देश देने संबंधी एक याचिका पर विचार करने पर सोमवार को सहमति जता दी. इस मामले में वही महिला यात्री याचिकाकर्ता हैं, जिनके ऊपर पिछले साल नवंबर में एअर इंडिया की उड़ान में एक यात्री ने पेशाब कर दिया था.

प्रधान न्यायाधीश डीवाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी. पारदीवाला की पीठ ने महिला की याचिका का संज्ञान लिया और केंद्र, डीजीसीए तथा एअर इंडिया सहित सभी विमानन कंपनियों को नोटिस जारी किए. शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से भी एसओपी तैयार करने में मदद मांगी. न्यायालय ने मामले की सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई में करने का निर्णय लिया.

कोर्ट ने जारी किया नोटिस
प्रधान न्यायाधीश ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और अन्य को नोटिस जारी करते हुए कहा, ‘यही वह 72-वर्षीया महिला हैं, जिन्हें एक उड़ान में ऐसी घटना से दो-चार होना पड़ा था. मिस्टर सॉलिसिटर जनरल, वह बुजुर्ग महिला चाहती हैं कि दिशानिर्देश तैयार हो, ताकि इस तरह की घटना न हो.’ शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और डीजीसीए के अलावा एअर इंडिया, विस्तारा, इंडिगो, गो एयरलाइन्स (इंडिया) लिमिटेड, आकाश एयर एवं स्पाइसजेट लिमिटेड को भी नोटिस जारी किए.

ये भी पढ़ें: Air India पेशाब कांड: पायलट और केबिन क्रू को वापस लेने की उठी मांग, कहा- जांच रिपोर्ट बिल्कुल गलत

महिला ने मार्च में एक जनहित याचिका दायर की थी और कहा था कि एअर इंडिया और डीजीसीए के उदासीन रवैये के कारण उसे शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होना पड़ा है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने 2014 से 2023 तक विभिन्न उड़ानों में यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार की सात घटनाओं का हवाला दिया तथा दावा किया कि इन घटनाओं से संबद्ध विमानन कंपनियों ने उचित कार्रवाई नहीं की. जनहित याचिका में केंद्र और डीजीसीए को यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश की मांग की गई है कि नागर विमानन आवश्यकताओं (सीएआर) के उच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि मीडिया संगठनों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों का अभाव है कि किस चीज की रिपोर्टिंग करने की आवश्यकता है, क्या विचाराधीन मामलों में उन्हें अटकलबाजी करनी चाहिए? याचिकाकर्ता का कहना है कि असत्यापित बयानों के आधार पर मीडिया कवरेज का प्रभाव पीड़ित के साथ-साथ अभियुक्तों को भी प्रभावित करता है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उनका इरादा आम जनता के हितों से प्रेरित है और विमानन उद्योग के भीतर एक प्रारूप स्थापित करने का एक ईमानदार प्रयास है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और यदि ऐसी घटनाएं होती भी हैं तो उनसे इस तरीके से निपटा जा सके कि यात्रियों को अतिरिक्त परेशानी न हो. दिल्ली की एक निचली अदालत ने न्यूयार्क से दिल्ली आ रही एअर इंडिया की एक उड़ान में महिला पर पेशाब करने वाले सहयात्री शंकर मिश्रा को 31 जनवरी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.

Tags: Air india, Supreme Court



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