
Amalaki Ekadashi 2024: मार्च महीने में विजया एकादशी और आमलकी एकादशी आती हैं. विजया एकादशी 6 मार्च को बीत चुकी है जबकि दूसरी आमलकी एकादशी 20 मार्च को मनाई जाएगी. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी के अलावा आंवला एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने के साथ भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. इस एकादशी को मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला कहा जाता है. प्रसिद्ध एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी बताते हैं कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. आइए उनसे जानते हैं कब है पूजा का मुहूर्त और आंवला पूजन का महत्व.
दिल्ली निवासी ज्योतिष प्रदुमन सूरी बतातें हैं इस दिन स्नान वाले पानी में आंवला डालकर नहाने से किसी और की नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता है और व्यक्ति के पूर्व में अटके हुए सब कार्य पूरे हो जाते हैं. इसके साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है. अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए श्रद्धालु सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. इसके बाद विधिवत पूजा करते हुए श्रीहरि को पीला फूल, माला, पीला चंदन, भोग लगाने के साथ तुलसी जल चढ़ाएं.
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी के अलावा आंवला एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है.
यह रहेगा मुहूर्त
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 मार्च को सुबह 12:20 बजे शुरु होगी. इस तिथि का समापन अगले दिन 21 मार्च को सुबह 2:22 पर होगा. उदया तिथि के आधार पर आमलकी एकादशी का व्रत 20 मार्च, बुधवार को रखा जाएगा. रंगभरी एकादशी भी 20 मार्च को है.
इसलिए होता है आंवले का पूजन
सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार सृष्टि का सृजन करने के लिए भगवान विष्णु की नाभि से ब्रह्मा जी उत्पन्न हुए थे. उनको स्वयं की उत्पत्ति के बारे में जानने की चाह हुई. इसके लिए ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की तपस्या प्रारंभ कर दी. प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने जब दर्शन दिए तो ब्रह्मा जी अत्यंत भावुक हो गए और उनके नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली. आंवले के पेड़ की उत्पत्ति उनके इसी आंसुओं से मानी जाती है. ब्रह्मा जी के इस निर्मल भाव से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने कहा, ब्रह्मा जी आज आपके आंसू से आंवले का पेड़ उत्पन्न हुआ है, इसलिए यह पेड़ और इसका फल सदैव उनको बहुत प्रिय होगा. अब से आंवले के वृक्ष में सभी देवी और देवताओं का वास रहेगा. कोई भी आमलकी एकादशी व्रत करेगा और आंवले के पेड़ के नीचे विधि विधान से मेरी पूजा करेगा, उसके सभी मनोकामना पूर्ण होने के साथ पाप कर्म खत्म हो जाएंगे और मोक्ष की प्राप्ति होगी. कहते है तब से आमलकी एकादशी पूर्ण श्रद्धा भाव से मनाई जाने लगी.
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FIRST PUBLISHED : March 12, 2024, 14:17 IST