धनंजय दलवी/मुंबई. एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती यानी धारावी के कम पढ़े-लिखे व बेरोजगार लोगों के लिए एक शख्स ने ऐप बनाया है ताकि उन युवाओं को नौकरी या काम मिल सके, जिनके पास कोई हुनर है. असल में, झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों के अपराध और व्यसनों की गिरफ्त में आने का मुख्य कारण बेरोजगारी है. इन बच्चों के पास कला तो है लेकिन शिक्षा नहीं. उनके हुनर के अनुसार नौकरी पाने की सुविधा भी नहीं इसलिए मुंबई के जीजामाता नगर की झुग्गियों में रहने वाला एक युवा उद्यमी इनकी मदद के लिए आगे आया है. यह उदय पवार हैं, जिन्होंने ‘टिंग टोंग’ नाम का ऐप बनाया है.
उदय ने कहा ‘मैं झुग्गियों में पला-बढ़ा हूं. जब हम कहते हैं कि हम ऐसी जगह रहते हैं, तो लोगों का हमें देखने का नजरिया बदल जाता है. बहुत से लोग सोचते हैं कि यहां रहने वाले लोग खराब होते हैं. ऐसा नहीं है. यहां भी सबमें अलग-अलग गुण हैं, पर बाहर के लोगों को दिखते नहीं हैं. मैं इस तस्वीर को बदलना चाहता था.’ यहां के लोगों की बेरोजगारी को करीब से देखने वाले पवार को बिजनेस ऐप बनाने का आइडिया आया तो उन्हें दोस्तों की मदद लेनी पड़ी क्योंकि वह सिर्फ 11वीं पास हैं कोई इंजीनियर नहीं.
बड़ी कंपनियों के ऐप से कैसे अलग है यह आइडिया?
पवार ने बताया इस ऐप में आपको नजदीकी क्लीनिक, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, वकील, सीए जैसी सारी जानकारियां मिलेंगी. आपके घर के पास पानीपुरी वाला है क्या? यह जानकारी भी मिल जाएगी. ‘हम मुंबई के वेंडरों को अपने ऐप में रजिस्टर कर रहे हैं. कई लोगों को घर से रोजगार मिल रहा है.’
पवार ने कहा ‘मैं जानता हूं कि जिस तरह की एप्लिकेशन मैंने बनाई है, उसी तरह की बड़ी कंपनियों के भी एप्लिकेशन हैं. लेकिन उन ऐप्स में आपको काम मिलता है, तो बड़ी कंपनियों को आपको कमीशन देना होता है. आपके हाथ में बहुत कम रकम आती है. इसलिए मैं अपने ऐप में कोई कमीशन नहीं डालता. यहां आपका रजिस्ट्रेशन शुल्क भी मामूली है. रोज एक रुपये यानी सिर्फ 365 रुपये सालाना.’
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Tags: Job Search, Mobile apps, Mumbai News
FIRST PUBLISHED : April 28, 2023, 14:31 IST