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Asian Games: आधी रात को दिल्ली की सड़कों पर की प्रैक्टिस फिर इस बेटी ने देश के लिए जीता मेडल

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Asian Games: आधी रात को दिल्ली की सड़कों पर की प्रैक्टिस फिर इस बेटी ने देश के लिए जीता मेडल

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नई दिल्ली. चीन में चल रहे एशियन गेम्स में भारत ने अब तक 71 मेडल जीत सबसे ज्यादा मेडल हासिल करने का इतिहास रचा है तो कश्मीर की बेटी ने पहली बार भारत को स्पीड स्केटिंग में मेडल दिलाया है. कश्मीरी पंडित समुदाय से आने वाली हीरल साधु ने भारत को ब्रोंज मेडल दिलाया है.

हीरल साधु है कश्मीरी पंडित

1989 के दशक में साधु परिवार कश्मीर के डाउन टाउन क्षेत्र में रहता था लेकिन कश्मीर के हालात खराब होने के बाद दूसरे कश्मीरी पंडितों की तरह इस परिवार को भी अपना क्षेत्र छोड़ना पड़ा अब यह परिवार दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहता है. दिल्ली के रोहिणी में रह रहा साधु परिवार खुशी से सराबोर और गौरवान्वित महसूस कर रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर रोलर स्केटिंग में अच्छा प्रदर्शन करने वाली हीरल साधु ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना और एशिययन गेम्स में भारत का पहला मेडल जीता है. उन्होंने स्पीड स्केटिंग के 3000 मीटर रिले रेस टीम इवेंट में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. दरअसल ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में रोलर स्केटिंग को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एशियन गेम्स ही इस खेल के लिए सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है. अब तक भारत को रोलर स्केटिंग में कोई पदक नहीं मिला था लेकिन अब इसकी शुरुआत हो गई है.

हीरल साधू की नजरें अब गोल्ड पर 

कामयाबी से खुश हीरल साधु अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को गोल्ड दिलाने का सपना देख रही हैं. हीरल साधू ने न्यूज़ 18 से बात करते हुए कहा कि अच्छा प्रदर्शन करना और गोल्ड लाने का प्रयास रहेगा. जब 2026 में एशियन गेम्स होंगे तो भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतना उनका सपना है. साधु परिवार ने हीरल को ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए लंबा संघर्ष किया है. दिल्ली में प्रेक्टिस ट्रैक ना होने के कारण हर वीकएंड पर हीरल अपने कोच के साथ मोहाली जाकर प्रैक्टिस किया करती थी. दरअसल दिल्ली में ऐसा कोई स्टेडियम और प्रैक्टिस ट्रैक नहीं है जहां पर रोलर स्केटिंग की प्रैक्टिस की जा सके. इस कारण वह मोहाली जाकर हर हफ्ते प्रैक्टिस करती थी और फिर रविवार की शाम को दिल्ली वापस आ जाती थी.

आम दिनों में दिल्ली में रात के समय सड़के प्रैक्टिस ट्रैक बन जाया करती थी. पिता रोहित साधु मां पायल साधु इस पूरे संघर्ष को बताते हुए गौरव महसूस करते हैं और बताते हैं किसी अनहोनी से बचने के लिए सड़क पर प्रैक्टिस करते हुए अपनी गाड़ी से कर दिया जाता था. रोहित साधु और पायल साधु ने सरकार से अपील की है कि दूसरे गेम्स की तरह इस गेम को भी बेहतर सुविधाएं दी जाएं. राष्ट्रीय स्तर पर हीरल अब तक 2013 से लगातार गोल्ड मेडल विनर हैं. उन्होंने लगभग 90 गोल्ड मेडल राष्ट्रीय स्तर पर जीते हैं , इसके अलावा दव स्कूल के स्तर पर भी हर साल वह गोल्ड मेडल विनर रही हैं.

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