चंद्रमा की दूरी का एक फीसदी
इनसे डरने की जरूरत नहीं
अगर संदर्भ ले कि औसतन चार मीटर के व्यास का क्षुद्र ग्रह हर साल और आठ मीटर व्यास का क्षुद्र ग्रह हर पांच साल में धरती से टकराए तो इस आकार के क्षुद्रग्रह खंडित होकर उल्कापात करते हैं और कुछ उल्कापिंड के रूप में धरती तक पहुंचते हैं। अब 2023 बीयू की खोज की जा चुकी है और सूर्य के चारों ओर उसकी कक्षा का अनुमान लगाया जा चुका है और भविष्य में धरती के करीब आने का पहले से ही पूर्वानुमा लगाया जा सकता है। अनुमान है कि वर्ष 2077 से 2123 के बीच इसके 10 हजार में एक एक बार धरती को प्रभावित करने की आशंका है। इसलिए हमे 2023 बीयू या सौर मंडल के ऐसे लाखों वस्तुओं से भयभीत होने की जरूरत नहीं है।
पृथ्वी पर मौजूद जीवन को उल्लेखनीय रूप से प्रभावित करने के लिए 25 मीटर से अधिक व्यास के क्षुद्रग्रह के टकराने और मौजूदा सभ्यता को चुनौती देने के लिए कम से कम एक किलोमीटर व्यास वाले क्षुद्रग्रह की टक्कर होनी चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक हमारे सौर मंडल में ऐसे क्षुद्र ग्रहों की संख्या एक हजार से कुछ अधिक है और प्रत्येक पांच लाख साल में एक बार वे धरती को प्रभावित कर सकते हैं। हम इनमें से 95 प्रतिशत से अधिक क्षुद्रग्रहों की जानते हैं।
क्या क्षुद्रग्रह और करीब से गुजर सकते हैं? 2023 बीयू चौथा क्षुद्र ग्रह है जिसे अबतक धरती के इतना करीब रिकॉर्ड किया गया है। इससे पहले तीन छोटे क्षुद्र ग्रह धरती के बेहद करीब से वर्ष 2020 और 2021 (2021यूए, 2020 क्यूजी और 2020वीटी) गुजरे थे जिनकी खोज की गई थी।
अक्सर होती है ऐसी घटना
क्षुद्र ग्रह 2023 बीयू और असंख्य अन्य क्षुद्र ग्रह हमारे सौरमंडल के पांच अरब के अस्तित्व के दौरान धरती के करीब से गुजरे हैं और यह स्थिति भविष्य में भी रहने वाली है। हाल के सालों में बदलाव यह आया है कि हम इन आकार के क्षुद्रग्रहों की पहचान कर सकते हैं और उनसे होने वाले खतरों का आकलन कर सकते हैं। मोटे तौर पर पांच मीटर व्यास वाले क्षुद्रग्रह की हजारों किलोमीटर की दूरी से शौकिया खगोलशास्त्री ने खोज की जो दिखाता है कि खगोलीय खोज में आवश्यक तकनीक आम जनता तक पहुंच गई है। यह बहुत ही उत्साहित करने वाली है।
बदल गई दिशा
शौकिया तौर पर खोज करने वाले और पेशेवर मिलकर लगातार खोज और उन्हें श्रेणीबद्ध कर सकते हैं ताकि खतरों का विश्लेषण किया जा सके। एक अन्य उत्साहित करने वाला घटनाक्रम पिछले साल सामने आया जब डबल एस्ट्रॉयड रिडाइरेक्शन (डीएआरटी) मिशन के जरिये सफलतापूर्वत क्षुद्रग्रह से अंतरिक्ष यान की टक्कर करा उसकी दिशा बदली गई। डीएआरटी पृथ्वी से क्षुद्रग्रह के टकराने का गंभीर खतरा होने पर उसकी दिशा बदलने के विचार को पुख्ता करता है।