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Bank, SSC, UPSC Exam Tips : बैंक एग्जाम, एसएससी, यूपीएससी व अन्य कई प्रतियोगी परीक्षाओं में रीजनिंग यानी तर्ककौशल से संबंधित सवाल का सेक्शन एक जरूरी हिस्सा होता है। इन्हें स्कोरिंग प्रश्न माना जाता है। ऐसे में यदि अभ्यर्थी पहले से ही रीजनिंग की तैयारी ठीक से कर ले तो प्रतयोगिता में प्रदर्शन बेहतर किया जा सकता है।
रीजनिंग स्किल को यूं तराशें
लॉजिकल रीजनिंग कार्यस्थल में कई स्तर पर मदद करती है। इन सबसे ऊपर अहम यह भी है कि जेईई, कैट और यूपीएससी सहित कई प्रवेश परीक्षाओं में लॉजिकल रीजनिंग एक अलग सेक्शन होता है। इसमें पजल फॉर्मेट, ब्लड रिलेशन, कोडिंग-डिकोडिंग, दिशा ज्ञान, सिटिंग अरेंजमेंट जैसे प्रश्न शामिल किए जाते हैं। और सीक्वेंस क्वेश्चन होते हैं।
यह एक मेटा स्किल है
लॉजिकल रीजनिंग, क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसे गुण दरअसल मेटा स्किल्स हैं। ये व्यक्ति का आईक्यू बढ़ाते हैं और उसकी विश्लेषण क्षमता को बढ़ाते हैं। लॉजिकल रीजनिंग बिजनेस मैनेजर्स, इंजीनियरों, मैनेजमेंट और अधिकारियों की विशेषता है।
अभ्यास और समय प्रबंधन जरूरी
लॉजिकल रीजनिंग के प्रश्नों की परिवर्तनशील प्रकृति के कारण इन्हें हल करने का एक नियम नहीं हो सकता। इसीलिए हर दिन इस तरह के कई प्रकार के प्रश्नों को हल करना तैयारी के लिए जरूरी है। समय सीमा को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे प्रति मिनट समस्याओं को हल करने की गति बढ़ानी चाहिए। कम से कम तीन महीने के लिए रोजाना एक घंटा इस तरह के प्रश्नों का अभ्यास करें। आपको इसमें महारत हो जाएगी।
प्रतियोगी परीक्षा के लिए लॉजिकल रीजनिंग के प्रश्नों की तैयारी और उन्हें हल करने की कुछ टिप्स यहां जानिए
●लॉजिकल रीजनिंग के प्रश्नों, पजल, आकृति परीक्षण, कोडिंग, डिकोडिंग आदि की ज्यादा से ज्यादाप्रैक्टिस करें।
● कुछ सेकेंड प्रश्न को ध्यान से पढ़ें और प्रश्न में छिपे क्या और क्यों को दिमाग में स्पष्ट करें। इस प्रक्रिया का रोज अभ्यास जरूरी है।
●जिस सूचना को प्रश्न में नहीं बताया गया है, उसे कभी भी अनुमान के आधार पर ना मानें। अभ्यर्थी खासकर ब्लड रिलेशन के प्रश्नों में इस तरह का अनुमान लगा बैठते हैं और गलत निष्कर्ष निकालते हैं।
●प्रश्न के हर हिस्से को सजगता से पढ़ें।
●अगर वर्बल प्रश्न है, तो उसमें ‘सभी’, ‘कुछ’, ‘किसी को भी नहीं’, जैसे शब्दों पर ध्यान दें।
●उन उत्तरों को पहले ही हटा दें, जो एक नजर में गलत समझ में आ जाते हैं। ऐसे में तुलना के लिए कम विकल्प बचेंगे।
●ये ना सोच लें कि एक ही पैटर्न का प्रश्न दुबारा प्रश्नपत्र में नहीं दिया जाएगा। फीचर डेस्क।
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